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Moradabad: UPSC मुख्य परीक्षा 2025 पर Self Study Wala के संस्थापक मोहित शर्मा से विशेष बातचीत

Moradabad: मुरादाबाद के Self Study Wala के संस्थापक मोहित शर्मा ने UPSC मुख्य परीक्षा 2025 को लेकर खास बातचीत में कहा कि अब IAS परीक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह ज़मीन से जुड़े विचारों और व्यावहारिक ज्ञान की भी परीक्षा बन गई है।

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Narendra Singh
वाईबीएन

Self Study Wala के संस्थापक मोहित शर्मा Photograph: (Moradabad)

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मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता :  IAS परीक्षा अब केवल किताबों की नहीं, ज़मीन से जुड़े विचारों की परीक्षा है – मोहित शर्मा 

वाईबीएन
Self Study Wala Photograph: (Moradabad)

शिक्षक - मोहित शर्मा(संस्थापक Self Study Wala)

रिपोर्टर:
मोहित सर, सबसे पहले धन्यवाद कि आपने हमें समय दिया। आप इस बार के UPSC CSE 2025 मुख्य परीक्षा (Mains) को समग्र रूप से कैसे देखते हैं?


मोहित शर्मा:
धन्यवाद। इस बार के प्रश्नपत्रों ने फिर यह साबित कर दिया कि UPSC अब केवल याददाश्त का इम्तिहान नहीं, बल्कि थिंकिंग, इंटरलिंकिंग और ज़मीनी हकीकत से जुड़े प्रश्नों को हल करने का इम्तिहान है। GS पेपर 3 में फ्यूज़न एनर्जी (ITER), कार्बन कैप्चर (CCUS) और सेमीकंडक्टर मिशन जैसे सवाल पूछे गए, जो बताते हैं कि आयोग अब विज्ञान और तकनीक को सीधे भारत की नीतियों और अर्थव्यवस्था से जोड़कर देख रहा है।

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रिपोर्टर:
निबंध पत्र (Essay Paper) को लेकर छात्रों में हमेशा जिज्ञासा रहती है। इस बार आपको क्या खास लगा?


मोहित शर्मा:
इस बार के निबंध वास्तव में दार्शनिक और आत्ममंथन कराने वाले थे। जैसे – “सत्य कोई रंग नहीं जानता” और “जीवन को यात्रा के रूप में देखना चाहिए, गंतव्य के रूप में नहीं”। ये विषय सीधे दिल को छूते हैं। यहाँ अंकों का खेल तथ्यों पर नहीं, बल्कि इस बात पर टिका था कि छात्र अपनी संवेदनाओं, उदाहरणों और तर्कों को कितनी सहजता से जोड़ पाता है।


रिपोर्टर:
GS पेपर 1 को आमतौर पर “स्टैटिक” कहा जाता है। आपकी राय क्या है?

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मोहित शर्मा:
GS 1 ने इतिहास और भूगोल को समकालीन संदर्भ में जोड़कर प्रस्तुत किया। हड़प्पा वास्तुकला और अकबर की धार्मिक समन्वय नीति जैसे सवाल पारंपरिक थे। लेकिन साथ ही जलवायु परिवर्तन व समुद्र स्तर वृद्धि से द्वीपीय देशों पर संकट और फास्ट फूड इंडस्ट्री व स्वास्थ्य पर प्रश्न भी थे। यह साफ है कि UPSC चाहता है कि उम्मीदवार इतिहास और संस्कृति को आज के सामाजिक–आर्थिक संदर्भों से जोड़े।


रिपोर्टर:
GS पेपर 2 और 3 की क्या खासियत रही?


मोहित शर्मा:


GS 2 पूरी तरह राजनीति और सुशासन (governance) से जुड़ा रहा – जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, कोलेजियम प्रणाली, केन्द्र–राज्य वित्तीय संबंध, और भारत–अफ्रीका डिजिटल साझेदारी जैसे सवाल कर्रेंट अफेयर्स के महत्व को दर्शाते हैं। GS 3 भी हमेशा की तरह कर्रेंट अफेयर्स से जुड़ा हुआ रहा – PLI स्कीम, भूजल दोहन, बायोटेक्नोलॉजी और ऊर्जा आत्मनिर्भरता जैसे विषय से प्रश्न पूछें गये। वहीं, वामपंथी उग्रवाद को 2026 तक समाप्त करने और भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रश्नों ने इसे रणनीतिक गहराई दी।


रिपोर्टर:
एथिक्स (GS पेपर 4) हमेशा से “दिल–दिमाग की परीक्षा” कहा जाता है। इस बार आपको क्या लगा?

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मोहित शर्मा:
बिल्कुल सही कहा आपने। GS 4 इस बार भी दिल और दिमाग दोनों को परखने वाला था। केस स्टडीज़ ने हमेशा की तरह वास्तविक जीवन की दुविधाओं को सामने रखा। उदाहरण के लिए – एक ज़िला अधिकारी जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र संभाल रहा है और उसी समय उसकी माँ का देहांत हो जाता है। यह प्रश्न केवल प्रशासनिक क्षमता नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और कर्तव्य भावना के संतुलन की परीक्षा लेता है।


रिपोर्टर:
तो आप भावी अभ्यर्थियों को क्या सीख देना चाहेंगे?


मोहित शर्मा:
तीन बातें याद रखनी चाहिए –
1.    इंटरलिंकिंग सीखिए – इतिहास से वर्तमान, अर्थव्यवस्था से पर्यावरण, और नैतिकता से प्रशासन।
2.    ज्ञान को एप्लाई करना सीखिए – किताबों की भाषा नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़े उदहारण दीजिए।
3.    संतुलन बनाइए – UPSC को न तो अति आदर्शवादी उत्तर चाहिए, न ही नकारात्मक। वह चाहता है व्यावहारिक, नैतिक और संतुलित सोच वाले अभ्यर्थियों को मौका दिया जाये।
आख़िरकार, UPSC वही उम्मीदवार चुनता है जो न केवल जानकारी रखता हो, बल्कि मानवतावादी दृष्टिकोण रखता हो और जिम्मेदारी से सोचता हो।


रिपोर्टर (नरेंद्र सिंह)
बहुत सुंदर बात कही आपने। यह स्पष्ट है कि UPSC का इम्तिहान अब सिर्फ काग़ज़ पर उत्तर लिखने का नहीं, बल्कि इंसान और समाज को समझने का इम्तिहान बन चुका है।

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