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Photograph: (Moradabad)
मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता अमेरिका से दूध समझौते के विरोध में गॉंव फ़ौलादपुर से उठी आवाज ने किसानों को झकझोर कर रख दिया। राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की चिंगारी सुलग गई है। आज भारतीय किसान यूनियन (शंकर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. दिवाकर सिंह ने हजारों किसानों को साथ लेकर अमरोहा कलेक्ट्रेट को घेरा, मार्च कर, जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनायी है। कल से ही 25 गॉंवों में आंदोलन शुरू हो जाएगा। फिर हर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन होगा। जब तक भारत सरकार पूरी तरह से इस समझौता प्रक्रिया को नहीं रोक देगी, तब तक यह आंदोलन चलेगा।
यह है मामला
अमेरिका के साथ मांसाहारी दूध (nonveg milk) को लेकर होने वाली समझौता बैठक के विरोध में गॉंव फ़ौलादपुर के ग्रामीणों ने धरना दिया। पंचायत भवन में शुरू हुए धरने में ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि, भारत सरकार अमेरिका के आगे झुककर दूध आयात का समझौता करती है तो किसान अपनी गायों को ले जाकर संसद भवन में बांध देंगे, क्योंकि फिर किसान पशुपालन कर ही नहीं पाएंगे।
धरने का नेतृत्व महिला ग्राम प्रधान मनु यादव द्वारा किया गया। धरने के संयोजक अजय कुमार ने कहा कि अमेरिका, भारत सरकार पर नॉनवेज मिल्क के लिए दबाव बना रहा है क्योंकि वह अपने डेयरी उत्पादों को भारतीय बाजार में बेचना चाहता है। नॉनवेज मिल्क वह दूध होता है जो सूअर, मछली, मुर्गी, गाय, बैल, घोड़े, यहां तक कि कुत्ते-बिल्लियों के मांस और खून को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को पशुचारे में मिलाकर गायों को खिलाया जाता है।
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हालांकि भारत सरकार ने पिछली दो बैठकों में समझौता करने से इंकार कर दिया है, लेकिन अमेरिका ने भारत को 1 अगस्त की समय सीमा दी है, जिसके बाद वह भारत पर 26% का टैरिफ लगा सकता है। इसीलिए आशंका है कि दबाव में सरकार समझौता भी कर सकती है या शर्तों में यह चालाकी हो सकती है कि नॉनवेज मिल्क नहीं लेंगे, शाकाहारी दूध ले लेंगे। यदि एक बार वहां से दूध आना आरम्भ हो गया तो फिर मांसाहारी दूध भी आएगा ही।
यदि अमेरिका का दूध आ गया तो हमारे किसान पशुपालन भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अमेरिका का दूध सस्ते में आएगा और मांस के कारण उसमें घी भी अधिक निकलेगा। फिर यहां के किसानों का दूध डेयरी भी नहीं लेंगी। इसका कारण यह है कि अमेरिका वालों की आय तो पशु मांस से होती है, मांसाहारी दूध तो उनके लिए अतिरिक्त है, अब इसे भारत को सस्ते में बेचकर भी जो कुछ धन मिलेगा, वह तो उनके लिए बोनस ही होगा। और फिर, न केवल दूध, दूध पाउडर आएगा, बल्कि मावा, पनीर, मिठाइयां यानी सारे डेयरी उत्पाद आएंगे।
मनु यादव ने कहा कि इससे भारत की धर्म संस्कृति तो नष्ट होगी ही, साथ ही डेयरी उद्योग, हलवाई और किसान सब के सब एक झटके में बर्बाद हो जाएंगे। क्योंकि, भारत में पशुपालन और खेती एक दूसरे के पूरक हैं, पशुपालन बन्द होगा तो खेती अपने आप बर्बाद हो जाएगी। आधी से अधिक यानी करीब 50 करोड़ जनता इन्हीं से जीवनयापन करती है।
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