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Photograph: (Moradabad: )
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और औद्योगिक शहर मुरादाबाद, अपने हस्तशिल्प और पीतल उद्योग के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ब्रास सिटी ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध यह नगर, एक ओर जहाँ आर्थिक प्रगति का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं की गिरफ्त में भी नजर आ रहा है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब भारत आत्मनिर्भरता और स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर है, मुरादाबाद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इस शहर की स्थिति को समझने के लिए इसकी चुनौतियों और संभावनाओं पर एक समीक्षात्मक दृष्टि डालना आवश्यक है।
औद्योगिक प्रदूषण बना जी का जंजाल
पीतल उद्योग मुरादाबाद की पहचान है, लेकिन इसी के साथ प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। छोटी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला धातु और रासायनिक कचरा नदियों को प्रदूषित करता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जनस्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
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बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा मुरादाबाद
सड़कें, जल निकासी व्यवस्था, कूड़ा प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन जैसे मूलभूत ढांचे अभी भी आधुनिक मानकों से काफी पीछे हैं। तेजी से बढ़ती आबादी के बीच प्रशासन को बुनियादी ढाँचे की सुदृढ़ता पर और गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य बनी समस्याएं
ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी झुग्गियों तक, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। मेडिकल कॉलेज और तकनीकी संस्थानों की अनुपलब्धता युवाओं को अन्य शहरों की ओर पलायन करने पर मजबूर करती है।
मुरादाबाद के हस्तशिल्प उत्पादों की विदेशों में अपार मांग है। यदि सरकार निर्यात को सुगम बनाने के लिए लॉजिस्टिक हब, डिज़ाइन इनोवेशन सेंटर और डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म्स की स्थापना जरूरी है, इसी से शहर वैश्विक बाजार में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा सकता है।
मुरादाबाद की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरी और धार्मिक स्थल, पर्यटन को नया आयाम दे सकते हैं। शिल्प ग्राम या हस्तशिल्प मेले जैसे आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं।आईटीआई, पॉलिटेक्निक और व्यावसायिक शिक्षा केंद्रों के विस्तार से युवाओं को नई दिशा मिल सकती है। साथ ही, महिला प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मुरादाबाद संभावनाओं की भूमि है। इसकी सांस्कृतिक विरासत, औद्योगिक सामर्थ्य और श्रमिक क्षमता किसी भी विकसित शहर से कम नहीं है। आवश्यकता है तो बस एक दूरदर्शी योजना, सतत नीति क्रियान्वयन और स्थानीय नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की।यदि मुरादाबाद की समस्याओं का समाधान योजनाबद्ध ढंग से किया जाए और इसकी शक्तियों को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए, तो आने वाले वर्षों में यह शहर न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की आर्थिक और सांस्कृतिक धुरी बन सकता है।
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