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शहर का कूड़ा उठाने और नाली सफाई का ठेका जिन दो कंपनियों को मिला है। उन्होंने ना तो पूरा कूड़ा उठाया और ना ही की सफाई की। एक कंपनी ने नगर निगम से भुगतान के लिए साढ़े पांच करोड़ तो दूसरी कंपनी ने सवा करोड़ रुपये बिल भुगतान के लिये लगाया। इस पर नगर निगम का कहना है कि वह शत-प्रतिशत भुगतान नहीं करेगा, क्योंकि करीब 20 फीसदी कूड़ा नहीं उठाया गया है। वहीं आमजन का कहना है कि शहर भर में जगह-जगह गदंगी बिखरी पड़ी हुई है। यह कटौती तो 50 फीसदी बनती है।
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यहां बता दें कि यंग भारत की ओर से हर वार्ड की समस्याएं जानी जा रही है, जहां पर लोगों की सर्वाधिक शिकायत सफाई व्यवस्था ठीक ना होने की बताई जा रही है। बहरहाल शहर के सभी 70 वार्डों से प्रतिदिन औसतन 400 टन कूड़ा निकलता है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम ने दो कंपनियों को 2.90 करोड़ रुपये ठेका दिया है। इनमें से लायंस सर्विसेज लि. कंपनी को पुराने शहर के 20 वार्डों का ठेका 50 लाख रुपये में और आयुषी हाईजीन प्रा.लि. कंपनी के पास 50 वार्डों के घरों से कूड़ा उठाने और उसे ट्रंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाने का ठेका 2.40 करोड़ रुपये में दिया गया है।
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दोनों ही कंपनियों के पास अपने वार्ड क्षेत्र के सामुदायिक शौचालयों, नाली की सफाई का भी जिम्मा है। आयुषी हाईजीन प्रा.लि. कंपनी की ओर से पिछले तीन महीने के काम का साढ़े पांच करोड़ रुपये से अधिक का बिल और लायंस कंपनी की ओर से तीन महीने का करीब 1.25 करोड़ रुपये का बिल नगर निगम को दिया गया।
दोनों कपंनियों से 20 फीसदी की होगी कटौती: नगर आयुक्त
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नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने बतया कि जब उन्होंने निगम के सुपरवाइजरों से सत्यापन कराया तो शहर के करीब 20 फीसदी घरों से नियमित कूड़ा उठाने का काम होता नहीं मिला। इसके आधार पर कूड़ा उठाने वाली दोनों कंपनियों के बिलों से 20 फीसदी की कटौती की गई। साथ ही दोनों कंपनियों को कार्य में सुधार करने का नोटिस जारी किया गया है।
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