Advertisment

एकता की संवाहक है भारतीय संस्कृति : डॉ.चन्द्रप्रकाश शर्मा

कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास द्वारा संगोष्ठी हुई। जिसमें समग्र चिन्तन प्रवाह के अन्तर्गत विभिन्न विषयों पर शोध आलेखों का प्रस्तुतिकरण हुआ। संगोष्ठी में देश के 10 प्रांतों के 100 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया।

author-image
Akhilesh Sharma
रामपुर

पंतनगर विवि में आयोजित संगोष्ठी में बोलते साहित्यकार डा. चंद्रप्रकाश शर्मा। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास की ओर से संघ साहित्य : समग्र चिन्तन प्रवाह के अन्तर्गत विभिन्न विषयों पर शोध आलेखों के आधार पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश के 10 प्रांतों के 100 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। जिसमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान,  आदि राज्यों के वरिष्ठ साहित्यकारो ने भाग लिया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में "राष्ट्र और संस्कृति" विषय पर रामपुर  के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.चन्द्रप्रकाश शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सांस्कृतिक आधार पर भारत प्राचीन काल से एक राष्ट्र रहा है क्योंकि भारतीय संस्कृति योग संस्कृति है जो व्यक्ति , समाज, प्रकृति और परमसत्ता की एकात्मकता पर बल देती है, तथा टुकड़ों में  विकास पर नहीं, समग्रता के साथ चर-अचर के विकास में विश्वास रखती है और  जड़ और चेतन दोनों  के प्रति अपनत्व की भावना रखती है जिसके कारण हम चन्द्रमा को मामा, धरती और नदियों  को मां मानने के साथ पेड़-पौधों की भी पूजा करते हैं। भारतीय  संस्कृति का अध्यात्म और विज्ञानपरक होना इसकी उल्लेखनीय विशेषताएं हैं। भारत के हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन के कुम्भ-आयोजनों सम्पूर्ण  भारत के लोगों का बिना किसी भेदभाव के भाग लेना, भारतीयों में प्रचलित 16 संस्कारों में नामकरण , मुण्डन, यज्ञोपवीत, विवाह व अन्त्येष्टि संस्कारों को अपनाना और सभी धार्मिक अनुष्ठानों में एक ही संकल्पमंत्र का वाचन होना, सांस्कृतिक रुप से भारत के एक होने के प्रमाण हैं। भारतीय संस्कृति के आलोक में ही भारत एक परम वैभव और विश्व गुरु की पदवी पर प्रतिष्ठित हो सकता है। संगोष्ठी में सागर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बलवंत ज्ञानी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, राष्ट्रीय  सह महामंत्री मनोज कुमार,राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ.पवन पुत्र बादल, उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष सुनील  पाठक के अलावा सुरेश बाबू मिश्र, यतेंद्र कटारिया आदि सैकड़ों वरिष्ठ साहित्यकार  मौजूद रहे। संगोष्ठी में डा.चन्द्रप्रकाश शर्मा को उत्तरीय उढ़ाकर, मैडल, स्मृतिचिह्न व प्रशस्तिपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।

यह भी पढ़ेंः-

Rampur News: छुट्टी पर गए थे, वापस नहीं लौटे 7 पुलिस कर्मियों को एसपी ने किया सस्पेंड

Rampur News:किसानों से संवाद में बोले केेंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान- विकसित कृषि और किसानों की समृद्धि के लिए कार्य कर रही सरकार

Advertisment

Rampur News: एंटी करप्शन की टीम ने संविदा कर्मी को 10,000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा

Rampur News: सीएमओ, एसीएमओ के खिलाफ बरेली की एंटी करप्शन कोर्ट में मामला दर्ज, नोटिस

Advertisment
Advertisment