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मदरसा फुरकानिया में उर्स के मौके पर मौजूद विद्वान। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। खानकाहे अहमदिया कादरिया के 166 वें उर्स की तीन दिवसीय तकरीबात 16 से 18 नवम्बर को खत्म हो गयी। 16 नवम्बर (इतवार) को सुबह 10 बजे से दो बजे दोपहर तक फुरकानिया हाल मिस्टन गंज में नेशनल “34 वें नेशनल तसव्वुफ़ सेमिनार” हुआ जिसमें रामपुर के अलावा बहेड़ी, मुरादाबाद, अलीगढ़ दिल्ली, शाहजहाँपुर, सन्तकबीर नगर, पटना आदि के 23 स्कालर और प्रोफ़ेसर साहेबान “समाजी घृणा को दूर करने में सूफी हज़रात का योगदान”, शीषर्क पर अपने शोध पेपर पेश किये।
डा सिराज अहमद कादरी, डायरेक्टर नअत रिसर्च सेंटर इण्डिया सन्तकबीर नगर को “खतीबे आज़म एवार्ड”, प्रदान किया गया। तीन पुस्तकों (1) मसाईले शरीअत (भाग एक व दो), (2) तज़करा अईम्मा अहलेबैत (3) दबिस्ताने नअत (अंक.10) को विमोचन डा. शायर उल्लाह खां वजीही, (अध्यक्ष ख़ानक़ाह व मदरसा फुरकानिया) के हाथों हुआ, समिनार की अध्यक्षता काज़ीए शहर सैयद खुशनुद मियाँ ने की। शाम को 27 वें तरही मुशायरा हुआ जिसमें 32 शोअरा ने नातिया व मनकबती कलाम पेश किया, मुशायर की अध्यक्षता अज़हर इनायती ने की ।
उर्स के दूसरे दिन (पीर) सुबह नौ बजे से दो बजे तक किराअत का 5 वें जिलास्तरीय मुकाबला हुआ जिसमें 36 कारियों ने हिस्सा लिया जिन्हें 21 बेशकीमत ट्राफ़ियों से सम्मानित किया गया। प्रोग्राम की अध्यक्षता इमामे शहर मौलाना मुहम्मद नासिर ख़ां ने फरमाई। आज शाम को सूफी हजरत शाह अहमद अली साहब (रह.) और मौलाना वजीह उददीन साहब कादरी खतीबे के जीवन-परिचय तथा समाजी इस्लाही कारनामों पर मौलाना फ़ैज़ान ख़ां (नायब इमामे शहर) और मुफ्ती मआरिफ उल्लाह खां(नायब मुफ्तीरए शहर) ने तकरीर की।
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तीसरे दिन (मंगलवार) शाम 6 बजे खानकाह कादरिया के फुरकानिया हाल में हजरत मौलाना उबैद उल्लाह खां आजमी (पूर्व सांसद राज्य सभा) वर्तमान उपाध्यक्ष मुस्र्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने तसब्बुफ़ की समाजी इस्लाह की अहमियत पर डेढ घंटा तकरीर फ़रमाई। उन्होंने कहा कि सुफ़ियाए किराम ने समाज की बुनियादी खराबियों को दूर किया, इल्म के साथ अमल करने पर जोर दिया, खानकाहों में इल्म के चिराग जलाये, सूफ़ी बनने के लिए शिक्षा-दीक्षा को लाज़मी करार दिया और जाहिल दोगी पीरों से बचने का मशवरा दिया जो रंग बिरंगे कपड़े पहनकर जनता को ठगते हैं। मौलाना आज़मी ने हजरत खतीब आजम को खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहा कि वह बीसवीं शताब्ती के मुजद-दिद थे जिन्होंने खानकाह में दरसगह आरम्भ करके दीन, और दुनिया की तालीम आमजनता को उपलब्ध कराई।
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जलसे के आखिर में सलातो सलाम हुआ और मौलाना मुहम्मद रेहान इवा (इमाम जामे मस्जिद ने मुहज़िरीन और मुल्क व कौम की भलाई के लिए दुआ की। इस मौके पर डा शुलफाम की किताब सतीबे आज़म (व्यक्तित्व एवं कृतित्व) का विमोचन भी किया गया तथा आम जनता में वितरित की गयी ।
याद रहे कि उर्स का तीनों दिन असर के बाद कुरआन खुवानी और कुल शरीफ़ हुआ। हर दिन तमाम जलसों का आरम्भ काती बदरुद-दुजा साहब तथा कारी फ़रहत सुलतान खाँ आदि की शानदार किराअत से हुआ। जील अहमद, रहमत अली, मुशहिद तथा फैज़ान बिलासपुरी की नअतों पर हाजिरीन झूम झूम उठे । उर्स में रामपुर तथा आस पास के शहरों के अलावा बम्बई और आसाम के जायरीन ने शिरकत फरमाई।
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