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इमामबाड़ा खासबाग में मौलाना सैयद फैज़ अब्बास मशहदी के साथ पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां और काशिफ खां। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नटवर्क। आठ मोहर्रम को जिलेभर से काफी संख्या में लोग इमामबाड़ा खासबाग पहुंचे। खासबाग स्थित इमामबाड़े और उसमें रखी जरीह की जियारत के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इमामबाड़ा खासबाग में अजादार जंजीरों और छुरियों का मातम भी करते हैं।
यूं तो रामपुर रियासत की बुनियाद नवाब फैजुल्लाह खां ने 1774 में रखी थी। आजादी के बाद नवाब खानदान के तीन इमामबाड़े हैं। इनमें इमामबाड़ा किला, इमामबाड़ा खासबाग और इमामबाड़ा गुलजार-ए- रफत शामिल हैं। नवाबी दौर में इमामबाड़ा किला में ही अजादारी होती थी। आजादी के बाद किला सरकार के अधीन हो गया तो 1949 में खासबाग में भी इमामबाड़ा बनाया गया। इसके अलावा ज्वालानगर में इमामबाड़ा गुलजार-ए-रफत बना। सभी इमामबाड़ों में आजादर पहुंच रहे हैं।
शुक्रवार को आठ मोहर्रम को जिलेभर से काफी संख्या में लोग इमामबाड़ा खासबाग पहुंचे। लखनऊ से आए मौलाना सैयद फैज़ अब्बास मशहदी ने दुआ कराई। इस मौके पर पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां भी मौजूद रहे। पूर्व मंत्री के पीआरओ काशिफ खां ने बताया कि इमामबाड़ा खासबाग में 1200 और किला इमामबाड़ा में 1500 अलम हैं। इमामबाड़ा गुलजार-ए-रफत में सोने के अलम भी हैं। यह अलम ईरान और सीरिया से लाए गए थे। मोहर्रम के दौरान ही इमामबाड़ा सजाने के लिए अलम बाहर निकाले जाते हैं। इसके बाद तीनों इमामबाड़ों के अलम खासबाग इमामबाड़े के स्ट्रांग रूम में रखे जाते हैं। इनकी सुरक्षा में पुलिस तैनात रहती है।
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