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Rampur News: दीपावली मनाने में शास्त्रों की अवहेलना, सोशल मीडिया की दूषित हवा से त्योहार मनाना अमंगलकारीः विश्वनाथ मिश्रा

दीपावली पर्व मनाने को लेकर चल रही दो तारीखों के बीच पंडित विश्वनाथ मिश्रा ने कहा है कि सोशल मीडिया की दूषित हवा के अनुसार दीपावली या कोई त्योहार मनाया जाना अमंगलकारी है। शास्त्रों की अवहेलना नहीं होनी चाहिए।

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Akhilesh Sharma
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पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्रा Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। जिला ब्राह्मण महासभा ने कहा है कि शास्त्रों की अवहेलना करके दीपावली पर्व मनाया जाना अमंगलकारी है। सोशल मीडिया की दूषित हवा से दीपावली नहीं मनाएं। ज्योतिषीय गणना के बाद जो तिथि है उसी के अनुसार दीपावली मनाना शुभ और सिद्धिदायक है।

ब्रह्म समर्पित ब्राह्मण महासभा सम्पूर्ण भारत रजि रामपुर अर्चक पुरोहित प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्रा पुजारी शक्ति दरबार ने कहा है कि पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए अमावस्या कब है। सनातन धर्म में ज्योतिष को विज्ञान और धर्म का अंग माना जाता है। आपने किस पंचाग में यह देखा है कि दीपावली 20 अक्टूबर को है। सोशल मीडिया की दूषित हवा के साथ नहीं बहें। सनातन धर्म का त्योहार है. इसलिए सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार ही चलें और दीपावली 21 अक्टूबर को मनाएं। क्योंकि 20 अक्टूबर को दीपावली मनाना अमंगलकारी है। कुछ लोग सनातन धर्म को नीचा दिखाने के लिए पंचांगों को नकारते हुए पुरोहित पंडित जनों की प्रतिष्ठा में ज़हर घोलने का प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं वे सफल होते भी दिख रहे हैं। यह निराधार शास्त्रीय विरोधी प्रचार प्रसार कर रहे हैं। 21 तारीख में तो सुबह से शाम तक अमावस्या है और हर पंचांगों में यही लिखा है। देव पितृ कार्य अमावस्या धर्म में सनातन संस्कृति के अंग माने जाने वाले विप्रजनों क्यों अशुभ अमंगलकारी समय को शुभ लाभकारी बताने का असंगत प्रयास किया जा रहा है। शास्त्रों की अवहेलना करने में कष्ट और हानि होती है, चतुर्दशी में अमावस्या तिथि का संकल्प कैसे करोगे, ब्राह्मण बंधुओं और यजमान को राक्षसों की पूजा कराकर शुभ लाभ होने की उम्मीद करोगे, तो यह असंभव है। पाप है।

एकादशी के बाद तेरस कहां से आ गई जो धनतेरस मना रहे हो, क्या 11 के बाद 13 अंक आता है कभी

यह सब सोशल मीडिया पर भोंपू के रूप में बैठे तथाकथित लोग कर रहे हैं। दूषित प्रचार से सनातन धर्म को मानने वालों को गलत रास्ते पर लेकर जा रहे हैं। यह शास्त्रों का अपमान है। एकादशी के बाद धन तेरस यानी त्रयोदशी कहां आती है। हमेशा 11 यानी एकादशी के बाद द्वादशी आती है ना की 11 के बाद 13 अंक यानी त्रयोदशी। यह अनोखा पर्व सोशल मीडिया पर ही दिखता रहता है, समाज और विप्रवंधु पाप अनाचार के असत्य अनाचार के मर्म में शामिल हो जाते हैं, पंडित जी सावधान रहें और यजमान भी ज्ञानी हैं, फिर भी पंडितों पुरोहितों पंचांगों को नकारते हुए अशुभ समय मुहूर्त को इंटरनेट पर सोशल मीडिया पर गलत प्रसारित किया जाता है। पंडित जी को नकारते हुए अमंगलकारी समय को अपनाने वाले धन्य हैं। ऐसे समाज को ईश्वर ही बचा सकता है। मानव के पंडितों  के बस की बात नहीं है। 

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