/young-bharat-news/media/media_files/2025/10/23/1243-2025-10-23-22-21-10.jpeg)
गांवों में पराली जलाने का निरीक्षण करते कृषि अधिकारी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार पराली / फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है। पर्यावरण विभाग के आदेश के मुताबिक वायुमंडल को हो रही क्षति की पूर्ति के लिए वसूली के निर्देश हैं। इसी क्रम में कृषि विभाग के अधिकारियों ने मिलक, बिलासपुर एवं स्वार क्षेत्र में फसल अवशेष प्रबन्धन का कार्य कराया। तथा पराली जला रहे किसानों को रोककर फसल अवशेष जलाने से हो रही क्षति के विषय में समझाया। साथ ही 4 किसानों पर पराली जलाने पर जुर्माना अधिरोपित कराया गया।
उप कृषि निदेशक रामकिशन सिंह ने बताया कि दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रुपये 5000/-, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए रुपये 10000/- एवं पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 30000/- तक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ती की वसूली किये जाने का प्राविधान है। साथ ही फसल अवशेष के जलाये जाने की पुनः पुनरावृत्ति होने की दशा में (लगातार दो घटनाओं के होने की दशा में सम्बन्धित कृषक को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं यथा अनुदान आदि से वंचित किये जाने के साथ-साथ अर्थदण्ड से भी दण्डित किया जा सकता है। इसलिए किसान बन्धुओं से अपील है कि पराली को खेत में न जलाएं तथा उन्हें अपने खेतों में ही पलटकर खाद बनाएं। पराली का उचित प्रबन्धन कर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहयोग प्रदान करें।
जिले में लगातार पराली जलाने के मामले आ रहे सामने
धान / गन्ना की कटाई का कार्य प्रारम्भ हो चुका है और विगत वर्षों में देखा गया है कि जनपद में पराली जलाने की घटनाएँ सामने आयी है, पराली को जलाने से रोका जाना नितान्त आवश्यक है चूंकि किसानों द्वारा एक टन धान पराली जलाने से लगभग 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश, 1.2 किलोग्राम गन्धक तथा 400 किलोग्राम जैविक कार्बन के अतिरिक्त अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं जो हमारी भूमि व फसलों के लिए बहुत ही लाभदायक व महत्वपूर्ण है। एक टन धान की पराली जलाने पर 03 किलोग्राम कणिका तत्व (कार्बन), 1460 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड, 60 किलोग्राम कार्बन मोनो आक्साइड, 99 किलोग्राम राख एवं 02 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड के अलावा 2.72 किलोग्राम मीथेन व नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी अति जहरीली गैस निकलती है जिससे वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य, पशु व पक्षियों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
वायु गुणवत्ता खराब होने से फैलती हैं बीमारियां
वायु गुणवत्ता में कमी आती है इससे आंखों मे जलन, त्वचारोग, हृदय व फेफडों की गम्भीर बीमारियां हो जाती है तथा भूमि में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, कैंचुआ आदि नष्ट हो जाते हैं, ऐसी स्थिति से बचने के लिए आवश्यक है कि धान/गन्ना पराली का वैज्ञानिक ढंग से मशीनों के द्वारा प्रबन्ध कर भूमि में मिलाने के उपरान्त 15 से 20 किग्रा/हे0 यूरिया का छिड़काव कर एवं सिंचाई कर गला सकते हैं जो एक उच्च गुणवत्ता के जैविक खाद में परिवर्तित हो जाती है । या सुपर सीडर जैसे यन्त्रों से सीधी बुवाई कर फसल अवशेष को खेत में ही मिलाया जा सकता है, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है । धान / गन्ना पराली प्रबन्धन हेतु सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चापर, जीरोड्रिल मशीन, रोटावेटर एवं एमबी प्लाऊ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। पराली को मृदा में मिलाने से जैविक मेटर की मात्रा बढ़ती है तथा मृदा में उर्वरा शक्ति की बढोत्तरी होती है। कृषक फसल अवशेष को नजदीकी गौशाला में भी दान कर सकते हैं गोशाला पराली भिजवाने का व्यय वित्त आयोग निधि से किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त कृषक बेलर संचालकों के द्वारा भी अपने खेत की पराली को निःशूल्क उठवा सकते हैं । पराली जलाना पर्यावरण के अनुकूल नही है।
Rampur News: तेज रफ्तार कार ने टेंपो में मारी टक्कर, पांच लोग घायल
Rampur News: कार की टक्कर से दंपति की मौत, मचा कोहराम
Rampur News: जिला कारागार में भाइयों को देख भावुक हुईं बहनें, रुआंसे मन से किया भाई दूज का टीका
Rampur News: मिशन शक्ति- परिवार टूटने से बचाने में कामयाब हुई पुलिस की मुहिम
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us
/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/11/dXXHxMv9gnrpRAb9ouRk.jpg)