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मदरसा फुरकानिया में जश्ने आजादी के कार्यक्रम में मौजूद तालिबे इल्म। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। मदरसा जामे उल उलूम फुरक़ानिया मिसटन गंज में अजीम ओ शान तरीके पर जश्ने आजादी मनाया गया। सबसे पहले सुबह 8:00 बजे गांधी समाधि पर मदरसे के जुमला आसातज़ा और तलाबा ने मदरसे के प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद रेहान खां की मौजूदगी में अपनी नुमाइंदगी की दर्ज कराई। इसके बाद वापस आकर मदरसे की इमारत पर क़ौमी परचम लहराया।
इसके बाद फुरकानिया हाल में आजादी पर एक जलसा मुनाक़्क़ीद किया गया जिसकी निजामत मदरसे के वाइस प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद नासिर खां फुरक़ानी ने फरमाई। जलसे में मोहम्मद अरकान फुरक़ानी, मोहम्मद अबान फुरक़ानी, जकरिया फुरक़ानी, मोहम्मद जैद फुरक़ानी, और मौलवी आजाद अहमद फुरक़ानी ने कौमी नज्में पेश की। इसके बाद अब्दुल कादिर फुरक़ानी पुत्र मौलवी मोहम्मद नासिर खां, अब्दुल कादिर पुत्र अब्दुल खलील, नोमान फुरक़ानी और अब्दुल समद फुरक़ानी ने जश्ने आजादी पर तक़रीरे पेश कीं। जिसमें मुजाहिदीन आजादी की कुर्बानियों को याद किया गया। हिंदुस्तान के नामवर मुजाहिदीन आजादी महात्मा गांधी, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, बाल कृष्ण गोखले, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद,जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, रफी अहमद किदवई, और शेर मैसूर टीपू सुल्तान शहीद की जुर्रत मन्दाना कोशिशें का जिक्र किया गया । मौलवी यासीन मोहम्मद इदरीस फुरक़ानी ने निज़ामे आजादी के मौज़ू पर रोशनी डाली और ज़हनी व फिक्री आजादी को हकीकी आजादी करार दिया। मौलवी ऐतेसाम उल्ला खान वजीही ने अपनी तकरीर में कहा कि हमारे शहर को यह फ़ख्र हासिल है कि महात्मा गांधी को सियासत में लाने वाली हस्ती फखर रामपुर मौलाना मोहम्मद अली जौहर हैं जिन्होंने गांधी जी को जूनूबी अफ्रीका से हिंदुस्तान लेकर आए और उनकी कयादत में सभी हिंदू और मुसलमान ने मिलकर हिंदुस्तान को आजादी दिलाई। प्रिंसिपल मदरसा मौलवी मोहम्मद रेहान खां फुरक़ानी ने तलाबा से फरमाया के हमें तवील जद्दोजहद के बाद आजादी हासिल हुई आप सब लोग खूब मेहनत के साथ पढ़ो ताकि हम तुम बड़े आदमी बनकर इस मुल्क की शानदार मुस्तकबिल बन सको। कहा कि हिंदुस्तान की जम्हूरियत बहुत वसत की हामिल है और इसमें सबको बराबर के हुक़ूक हासिल हैं। अपनी तकरीर में जुमला आसातज़ा को नसीहत फरमाते हुए कहा कि आप तलाबा को मेहनत और शफ़क़त के साथ पढ़ाये और उनके अंदर मुस्बत सोच पैदा करें ताकि कल जब यह तलाबा ऊंचे मकान पर पहुंचे तो मदरसा फुरकानिया का नाम रोशन करें और मुल्क की फला बहबूद और तरक्की में बिराद राने वतन के साथ शरीक रहे। जलसे के आखिर में सभी हाजरीन को श्रीनि तकसीम की गई जिसमें मदरसे के जुमला असतज़ा और तलाबा मौजूद रहे।
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