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मुनीष चंद्र शर्मा को विद्यापीठ पुरस्कार देते आयोजक। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। हिंदी भाषा एवं शिक्षा के क्षेत्र में चार दशकों से अधिक समय से निरंतर योगदान के लिए मुनीश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। देश की राजधानी दिल्ली में रविवार को आयोजित सम्मान समारोह में हिंदी भाषा एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए मुनीश चन्द्र शर्मा को ‘विद्या वाचस्पति’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान उन्हें शिक्षा, समाज सेवा और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में निरंतर योगदान के लिए प्रदान किया गया। समारोह में देश के विभिन्न भागों से आए विद्वानों, शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों ने शर्मा के योगदानों का उल्लेख करते हुए कहा कि “आज के दौर में जब अंग्रेज़ी भाषा के प्रभाव से हिंदी का क्षेत्र सीमित हो रहा है, तब मुनीश चन्द्र शर्मा जैसे शिक्षकों का प्रयास हिंदी को उसकी वास्तविक गरिमा दिलाने का कार्य कर रहा है।” शर्मा पिछले 39 वर्षों से हिंदी भाषा के अध्यापन और शिक्षण सुधार कार्यों में सक्रिय हैं। उन्होंने विद्यालयी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक हिंदी शिक्षण को सशक्त बनाने के लिए अनेक नवाचार किए हैं। विद्यार्थियों में हिंदी के प्रति रुचि और गर्व की भावना जगाने के लिए वे सतत कार्यरत हैं।
उनकी शिक्षण निष्ठा को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 में उन्हें ‘राज्य अध्यापक पुरस्कार’ से सम्मानित किया था। यह सम्मान उनके शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान की सरकारी मान्यता थी। शिक्षा के साथ-साथ श्री शर्मा समाज सेवा के क्षेत्र में भी समान रूप से सक्रिय हैं। वे विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों के प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं। उनके नेतृत्व में रक्तदान शिविर, पर्यावरण संरक्षण अभियान, जल संरक्षण जागरूकता, हर घर शिक्षा, बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ, मतदाता जागरूकता और सामाजिक समरसता जैसे कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किए जा रहे हैं।
मुनीश चन्द्र शर्मा मूलतः जनपद रामपुर (उत्तर प्रदेश) से हैं। उन्हें मिला यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत कार्यों की स्वीकृति है बल्कि समूचे जनपद के लिए भी एक गौरव का विषय है। रामपुर की धरती से निकले इस शिक्षाविद् ने पूरे प्रदेश ही नहीं, देशभर में हिंदी शिक्षा की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। श्री शर्मा का जीवन पूर्णतः भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से प्रेरित है। वे “सर्वे भवन्तु सुखिनः” के आदर्श वाक्य को जीवन में धारण करते हैं और अपने विद्यार्थियों को भी इसी दिशा में प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि- “हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीयता की आत्मा है। मेरा प्रयास है कि हिंदी भाषा और हिंदी भाषी व्यक्ति को वही सम्मान मिले जो किसी अन्य भाषा के व्यक्ति को विश्व में प्राप्त होता है।”
‘विद्या वाचस्पति’ सम्मान प्राप्त करना श्री शर्मा के चार दशकों के सतत परिश्रम, समर्पण और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की स्वीकृति है। उन्होंने इस सम्मान को हिंदी शिक्षकों, विद्यार्थियों और समाजसेवियों को समर्पित करते हुए कहा कि यह सम्मान उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी के प्रयासों का प्रतीक है जो हिंदी को आगे बढ़ाने में लगे हैं।
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