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Rampur News: टांडा-बादली में हाईकोर्ट के आदेश पर तीन माह तक टली करीब 1000 दुकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई

रामपुर जनपद टांडा-बादली में लोक निर्माण विभाग की अतिक्रमण हटाने को चल रही कार्रवाई हाईकोर्ट ने तीन महीने के लिए रोक दी है। अब याचिकाकर्ता तीन सपताह के भीतर अपना जवाब लोनिवि को देंगे इसके बाद अगली कार्यवाही होगी।

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Akhilesh Sharma
रामपुर

हाईकोर्ट Photograph: (इंटरनेट मीडिया)

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रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। हाई कोर्ट ने टांडा-बादली में लोक निर्माण विभाग की ओर से मार्ग चौड़ीकरण के लिए शुरू किए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान की प्रक्रिया को तीन माह के लिए रोक दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब सहायक अभियंता लोनिवि के पास दाखिल करें। नोटिस जारी कर्ता दो माह में याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन पर दो माह में कानूनी प्रावधानों का पालन कर निर्णय लें। तीन माह तक प्रशासन याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं करेगा। 

बीते दिनों 14 व 15 जुलाई को लोक निर्माण विभाग रामपुर के सहायक अभियन्ता ने नगर क्षेत्र टांडा व बादली में विभिन्न दुकानदारों को नोटिस जारी किया था। जिसमें लिखा था कि दुकानदारों द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जा किया हुआ है। साथ ही नोटिस में लिखित भूमिक को एक सप्ताह में खाली करने के दिशा निर्देश दिए गए थे। इन नोटिसों के बाद जुल्फिकार व सात अन्य दुकानदारों ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील शादाब अली व सुबोध कुमार ने तर्क दिया कि सहायक्त अभियन्ता द्वारा याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया है एवं नोटिस जारी करने में कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। प्रशासन ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करने के लिए अग्रसर है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने किसी भी सरकारी सम्पत्ति पर कब्जा नहीं किया है, बल्कि अपनी निजी सम्पत्ति पर ही अपनी दुकान का निर्माण किया है। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा याचिकाकर्त्ता को निर्देशित किया है कि वह तीन सप्ताह के अन्दर अपना जवाब सहायकअभियन्ता (लोनिवि) के समक्ष दाखिल करेंगे। जिस पर नोटिस जारीकर्ता द्वारा अगले 2 माह में याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन/ जवाब पर कानूनी प्रावधानों का पालन करते हुए निर्णय लिया जायेगा। सुनवाई की दिनांक से 3 माह तक याघचिकाकर्ता के खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई भी उत्नापीड़नात्मक कार्यवाही नहीं की जायेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया द्वारा याचिक्ताकर्ता के अधिवक्ता शादाब अली व सुबोध कुमार के तर्कों को सुनकर दियाहै।

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