रामपुर, वाईबीएन संवाददाता
रूसी लाइब्रेरी एसोसिएशन (आरएलए) की ओर से हुई अखिल रूसी लाइब्रेरी कांग्रेस लाइब्रेरी क्षेत्र के लिए एक प्रमुख आयोजन है। इस वर्ष, 29वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 26 से 29 मई तक रूस के इजेव्स्क शहर में आयोजित किया जा रहा है। इसमें विभिन्न देशों के पुस्तकालयों और संस्थानों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। भारत से 10 सदस्यों का दल इस आयोजन में भाग ले रहा है। जिसमें रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र जी भी इस आयोजन में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग ले रहे हैं।
रामपुर रजा लाइब्रेरी ने AI मशीन लर्निंग चैन बनाने की जानकारी
रूसी लाइब्रेरी एसोसिएशन के 29वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर आयोजित "रूसी-भारतीय पुस्तकालय संवाद में भारत के प्रतिष्ठित रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र जी ने "ए.आई, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों को पुस्तकालय सेवाओं में एकीकृत करने पर एक प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि आज का पुस्तकालय केवल पुस्तकों का भंडार नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत ज्ञान केंद्र है जहाँ मानव जिज्ञासा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का संगम होता है।
पुस्तकालय अब सामाजिक सहभागिता, तकनीकी नवाचार और डिजिटल शोध केंद्र बन रहे
डॉ. पुष्कर मिश्र जी ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि पुस्तकालय अब सामाजिक सहभागिता, तकनीकी नवाचार और डिजिटल शोध के केंद्र बनते जा रहे हैं। इनका दायरा परंपरागत सीमाओं से आगे बढ़ चुका है और वे तेज़ी से बदलती डिजिटल दुनिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी रूप से खुद को सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से अब उपयोगकर्ता प्राकृतिक भाषा में प्रश्न पूछ सकते हैं, चैटबॉक्स और वॉयस सर्च सिस्टम्स के जरिए हर समय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। ए.आई. आधारित अनुशंसा प्रणाली उपयोगकर्ताओं के पठन इतिहास के आधार पर पुस्तकों और संसाधनों की सिफारिश कर सकती है, जिससे अनुभव और भी व्यक्तिगत बनता है। मशीन लर्निंग तकनीक की बात करते हुए डॉ. पुष्कर मिश्र जी ने बताया कि इससे न केवल पुस्तकालय में आने वाले उपयोगकर्ताओं की संख्या का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, बल्कि संग्रह निर्माण की दिशा भी उपयोगकर्ता की ज़रूरतों और रुचियों के अनुसार निर्धारित की जा सकती है। मशीन लर्निंग के माध्यम से ग्रंथों की डिजिटल टैगिंग, पाठ विश्लेषण,भावना विश्लेषण जैसे अनेक कार्य स्वचालित और प्रभावी ढंग से किए जा सकते हैं। डिजिटल दस्तावेज़ों के संरक्षण में भी यह तकनीक मददगार है। ब्लॉकचेन तकनीक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह डिजिटल अधिकार प्रबंधन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाती है। इसके माध्यम से पुस्तकालयों में सामग्री के उपयोग, ऋण, तथा डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और सत्यापनीय बनाया जा सकता है। स्मार्ट अनुबंधों के ज़रिए अंतर-पुस्तकालयीय ऋण और भुगतान की प्रक्रियाएं भी सरल और तेज हो जाती हैं। उपयोगकर्ताओं को उनकी निजी जानकारी पर अधिक नियंत्रण मिलता है, जिससे डेटा गोपनीयता और भरोसे को बल मिलता है।
डिजिटल अधिकार प्रबंधन सुरक्षित और पारदर्शी
डॉ. पुष्कर मिश्र जी ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय के लिए एक स्पष्ट रणनीतिक रोडमैप भी प्रस्तुत किया। कहा कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय को एक विश्वस्तरीय बहुसांस्कृतिक एवं बहुभाषी शोध एवं अनुवाद केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जो सभी प्रमुख वैश्विक भाषाओं को समाहित करेगा। हामिद मंजिल में एक अत्याधुनिक संग्रहालय स्थापित किया जाएगा, जो इस ऐतिहासिक धरोहर की समृद्धि को दर्शाएगा। इसके साथ ही, एक उन्नत अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी, जहाँ गहन शैक्षणिक शोध को बढ़ावा मिलेगा। संरक्षण, पुस्तकालय विज्ञान, बाइंडिंग, पांडुलिपिविज्ञान तथा कैलीग्राफी जैसे विषयों पर प्रशिक्षण देने वाले संस्थान भी आरंभ किए जाएंगे। विभिन्न देशों की कला, संगीत और नृत्य को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जो विश्व संस्कृतियों की झलक प्रस्तुत करेगा। हमिद मंजिल को विश्व की सबसे सुंदर इमारतों में से एक के रूप में प्रदर्शित करते हुए एक पर्यटन केंद्र भी विकसित किया जाएगा, जो नैनीताल, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, कैंची धाम और अन्य प्रमुख स्थलों को आपस में जोड़ेगा। स्थानीय युवाओं और आम जनता के लिए एक आधुनिक पठन कक्ष भी निर्मित किया जाएगा। विश्वभर से आने वाले विद्वानों के लिए रामपुर किले परिसर में आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अतिरिक्त, पुस्तकालय परिसर की शोभा को बढ़ाने के लिए और अधिक उद्यानों का विकास किया जाएगा।
पुस्तकालय परिसर की शोभा को बढ़ाने के लिए और अधिक उद्यानों का विकास किया जाएगा
कहा कि इसके अंतर्गत सबसे पहले तकनीकी मूल्यांकन, फिर संस्थागत लक्ष्य निर्धारण, तकनीकी साझेदारियों की स्थापना, पायलट प्रोजेक्ट्स की शुरुआत और अंततः स्टाफ प्रशिक्षण तथा उपयोगकर्ता जागरूकता शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सफल क्रियान्वयन के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे के साथ-साथ नैतिकता, गोपनीयता और समावेशिता को भी समान महत्व देना आवश्यक है। अपने संबोधन के अंतिम चरण में उन्होंने भविष्य की झलक प्रस्तुत की जैसे ए.आई. सक्षम रोबोट जो इतिहास को पुनर्निर्मित करते हैं, या ऑगमेंटेट रियलटी स्मार्ट ग्लासेस जो शोधकर्ताओं को प्राचीन पांडुलिपियों में छिपी सूचनाओं को स्पष्ट रूप सेदेखने और समझने में सहायता करते हैं। ये तकनीकें विश्व भर के विद्वानों को एक साथ जोड़ने और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। डॉ. पुष्कर मिश्र जी ने यह भी कहा कि पुस्तकालय केवल सूचना के संरक्षक नहीं हैं, बल्कि वे वैश्विक समुदाय में शांति, समावेशिता और मानवता के दूत हैं। आने वाले वर्षों में तकनीक पुस्तकालयों को नष्ट नहीं करेगी, बल्कि उन्हें और अधिक मानवीय, उपयोगी और सशक्त बनाएगी। उन्होंने यह संदेश दिया कि पुस्तकालयों को नवाचारों को अपनाते हुए भी अपनी मूल आत्मा- सभी के लिए स्वतंत्र और समान सूचना की उपलब्धता को कायम रखना चाहिए। अंत में, डॉ पुष्कर मिश्र जी ने तकनीकि के मानवीकरण पर बल देते हुए कहा कि भावी पीढ़ियों के सुखद समृद्ध एवं शान्तिपूर्ण भविष्य के लिए हमें पुस्तकालय व अन्य विद्याकेन्द्रों को संघर्ष मुक्ति एवं शान्ति स्थापन की और कार्य करना होगा।
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