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ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। Sharad Purnima 2025: इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर दिन सोमवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन से ही शरद ऋतु ऋतु शुरू होती है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। ऐसी भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है, जिससे धन, प्रेम और स्वास्थ्य के मोर्चे पर लाभ मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। कहते हैं कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखकर रखकर खाने से इंसान का भाग्य संवरता है।
शरद पूर्णिमा पर भद्रा का समय
इस साल शरद पूर्णिमा पर लगभग पूरे दिन भद्रा का साया रहने वाला है। शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से भद्रा काल आरंभ हो जाएगा। इसका समापन रात 10 बजकर 53 मिनट पर होगा। ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त जी का कहना है कि भद्रा काल के बाद ही चंद्रमा के साए में खीर रखना उचित होगा। ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त ये भी बताते हैं की जब किसी जातक की कुण्डली में चंद्र के साथ या चंद्र से पहले या बाद वाले घर में कोई भी ग्रह न हो और चंद्र पर किसी ग्रह की दृष्टि भी न पद रही हो तब कुण्डली में केमुंद्रम दोष होता है या चंद्र के साथ केतु की युति हो तब कुण्डली में चंद्र ग्रहण माना जाता है और इन सभी स्थितियों में चंद्र बहुत पीड़ित होता जिसकी बजह से जातक का मन बहुत जल्दी दुखी हो जाता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर चंद्र की रौशनी में रखी खीर ऐसे जातक को किसी अमृत से काम नहीं होती इसके खाने से मानसिक स्थिति मजबूत होती है।
शरद पूर्णिमा 2025 कब है? (Sharad Purnima 2025 Date and Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अक्टूबर को सुबह को 09 बजकर 16 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर (Sharad Purnima 2025 Date) को मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा स्नान-दान समय
ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।
शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima 2025 Significance)
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर रात के समय चंद्रमा की चांदनी में खीर या दूध रखने से वह अमृत के समान हो जाता है। यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन पवित्र नदी या फिर घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें, साफ वस्त्र धारण करें, व्रत व पूजा का संकल्प लें।
देवो के देव महादेव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद केसर अर्पित करें और ॐ नमः शिवाय का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही शिव जी की कृपा से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें सुंदर वस्त्र, फल, फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें। गाय के दूध से खीर बनाकर भोग तैयार करें और और भगवान विष्णु माता लक्मी जी को भोग लगाए जिससे धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।।
इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य जरूर देंअर्घ्य में दूध, चावल और सफेद फूल मिलाएं।
अगले दिन सर्व प्रथम सूर्योदय से पहले उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें उसके बाद ही कुछ और खाये।
पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र, चावल, दूध, मिठाई और दक्षिणा का दान जरूर करें।
शरद पूर्णिमा पर सावधानियां
यदि आप शरद पूर्णिमा पर उपवास रखने की सोच रहे हैं तो जलाहार या फलाहार उपवास रख सकते हैं. इस दिन घर-परिवार के लोग भी सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा. शरीर के शुद्ध और खाली रहने पर आप चंद्रमा से बरस रहे अमृत का अधिक लाभ उठा पाएंगे. इस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें. मन में घृणा, द्वेष और अहंकार की भावना न रखें।
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