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संगोष्ठी में किताब का विमोचन करते अतिथि। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। सूफियों ने सामाजिक पूर्वाग्रहों को दूर करने में महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान की हैं। भारत के बिखरे हुए सामाजिक वातावरण में विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयां मौजूद थीं। इन बुराइयों को दूर करने में सूफियों की सुधारवादी सेवाओं को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
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इस विषय पर खानकाह अहमदिया कादरिया रामपुर की 34वीं राष्ट्रीय सूफीवाद संगोष्ठी में पूरे भारत से आए प्रोफेसरों, बुद्धिजीवियों और विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इनमें डॉ. मुहम्मद इलियास फुरकानी - मुरादाबाद, डॉ. जहीर रहमती - प्रोफेसर जाकिर हुसैन कॉलेज - नई दिल्ली, सैयद मुफीजुद्दीन कादरी शाहजहांपुर, डॉ. सिराज अहमद कादरी खलीलाबाद, डॉ. नौशाद आलम चिश्ती - अलीगढ़, डॉ. शाह हुसैन अहमद - पटना, डॉ. रिजवानुल्लाह आरवी - पटना, डॉ. महताब अमरोहवी और मौलवी ताजीमुल इस्लाम फुरकानी शामिल थे।
इसके अलावा बिलासपुर कस्बे के प्रतिभाशाली संतों की सेवाओं पर जनाब जफर सुख नैन और मौलवी तसनीफ हुसैन खान फुरकानी साहबान ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। रुहेलखंड के सूफियों की सुधारवादी और साहित्यिक सेवाओं के विषय पर हाफिज अनवार अहमद कादरी बहीमीरी ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। हजरत मुजद्दद अल्फासानी के रहस्यवादी संदेशों पर मौलवी मुहम्मद फरमान फुरकानी ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। मुफ्ती दानिश उल कादरी - मुरादाबाद ने तजकिरा अनवारुल आरिफीन का परिचय प्रस्तुत किया जबकि डॉ. आसिफ हुसैन - मुरादाबाद ने तजकिरा बैतुल मारिफत का परिचय कराया. तजकिरा सूफियाने बदायूं का परिचय डॉ. अनवार सदानी - अमरोहा ने प्रस्तुत किया। वक्फ संपत्तियों के प्रचार में रुहेलखंड के संतों की सेवाओं पर सैयद ओवैस मुस्तफा रिजवी - अमरोहा और मुफ्ती मारिफुल्लाह खान वजीही ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी के अंत में चार नई किताबों का विमोचन हुआ। जिनमें मसाइल-ए-शरीयत भाग एक व दो (नया संस्करण), हजरत खतीब-ए-आजम शख्सियत और खिदमात (संपादक डॉ. मुहीउद्दीन), दबिस्तान-ए-नात अंक नंबर 10 और तजकिरा आइम्मा-ए-अहले बैत लेखक: अनवार अहमद कादरी शामिल हैं।
इस बार खतीब-ए-आजम अवॉर्ड प्रख्यात शोधकर्ता डॉ. सिराज अहमद कादरी - खलीलाबाद को दिया गया। यह सभा सुबह 9 बजे से दो बजे तक फुरकानिया हॉल में सफलतापूर्वक जारी रही। सभा की अध्यक्षता काजी शहर सैयद खुशनूद मियां साहब ने और संचालन के कर्तव्यों को मौलाना एहतशामुल्लाह खान वजीही ने अंजाम दिया। शहर, शहर के बाहर और मदरसा फुरकानिया के छात्रों और शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
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