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100 साल से अधिक उम्र के 948 विरासत वृक्षों में शाहजहांपुर ओसीएफ में लगा पीपल वृक्ष भी शामिल

वन विभाग ने 100 वर्ष से अधिक आयु वाली 28 प्रजातियों के 948 वृक्ष विरासत वृक्ष के रूप में चिन्हित किए हैं। इनमें शाहजहांपुर ओसीएफ में लगा पीपल का वृक्ष भी शामिल किया गया है। जिसे प्रदेश सरकार की ओर से जारी सूची में स्थान मिला है।

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maharaj singh
विरासत वृक्ष के रूप में चयनित पेड

विरासत वृक्ष के रूप में चयनित पेड Photograph: (इंटरनेट मीडिया)

शाहजहांपुर वाईबीएन नेटवर्क : जनपद की आयुध वस्त्र निर्माणी OCF ने विरासत वृक्षों की सूची में नाम दर्ज करा लिया है। यहां ब्रिटिश शासन काल में लगाया गया पीपल के वृक्ष को प्रदेश सरकार की ओर से जारी सूची में स्थान मिला है। इन वृक्षों का रोचक इतिहास है। 
 हमारे देश में प्राचीन काल से ही वृक्षों के रोपण, संरक्षण एवं संवर्धन की परम्परा रही है। वृक्ष हमारे लिए महत्वपूर्ण संसाधन एवं हमारी सांस्कृतिक धरोहर के अभिन्न अंग हैं। प्रदेश में विलुप्त हो रही वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण एवं पौराणिक व ऐतिहासिक अवसरों, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों, स्मारकों, धार्मिक परम्पराओं व मान्यताओं से जुड़े हुए वृक्षों को संरक्षित कर जन सामान्य में वृक्षों के प्रति जागरूकता पैदा करने की मुहिम शुरू की है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। जनपदवार 100 साल से अधिक आयु वाले वृक्षों को चिन्हित कर उन्हें विरासत  विरासत (हेरीटेज) वृक्ष नाम देकर अभिलेखीकरण किया गया है।

कुसुम, खिरनी, चिलबिल समेत 28 प्रजातियों के वृक्ष किए गए विरासत में संरक्षित

प्रदेश के गैर वन क्षेत्र (सामुदायिक भूमि) पर अवस्थित सौ वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजातियों-अर्स, अर्जुन, आम, इमली, कैम, करील, कुसुम, खिरनी, शमी, गम्हार, गूलर, छितवन, चिलबिल, जामुन, नीम, एडनसोनिया, पाकड, पीपल, पीलू, बरगद, महुआ, महोगनी, मैसूर बरगद, शीशम, साल, सेमल, हल्दू व तुमाल के 948 वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है।

सीएम योगी के गोरखपुर मंदिर का बरगद भी शामिल

प्रसिद्ध गोरखनाथ धाम परिसर गोरखपुर में हनुमान मन्दिर के बायें स्थित विरासत वृक्ष बरगद पर श्रृद्धा रखते हुए वृक्ष की पूजा करते हैं। वट सावित्री व्रत के अवसर पर महिलायें कीर्तन व अखण्ड सौभाग्य की प्रार्थना करते हुए वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। गोरखनाथ मन्दिर परिसर में हनुमान मन्दिर, काली मन्दिर के समीप व गौशाला के अन्दर स्थित बरगद व पाकड़ वृक्षों सहित गोरखपुर जनपद में 19 वृक्ष विरासत वृक्ष घोषित किए गए हैं।

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लखनऊ के दशहरी, वाराणसी लंगड़ा आम तथा शाहजहांपुर ओसीएफ के पीपल को भी स्थान


घोषित विरासत वृक्षों में लखनऊ व वाराणसी के क्रमशः दशहरी आम व लंगड़ा आम के मातृ वृक्ष (डवजीमत ज्तमम) फतेहपुर का बावन इमली, मथुरा के इमलीतला मंदिर परिसर में अवस्थित इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष, बाराबंकी में स्थित एडनसोनिया वृक्ष, हापुड़ व संत कबीर नगर में अवस्थित पाकड़ वृक्ष, सारनाथ में अवस्थित बोधि वृक्ष, बाबा झारखण्ड के नाम से प्रसिद्ध अम्बेडकर नगर का पीपल वृक्ष एवं आर्डिनेंस क्लोदिंग फैक्ट्री शाहजहांपुर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा पीपल वृक्ष  भी शामिल हैं।

चीनी यात्री ह्वेनसांग से भी जुडा है विरासत वृक्षों का इतिहास 

विशिष्ट विरासत वृक्षों में चीनी यात्री ह्वेनसांग की उल्लिखित झूसी (प्रयागराज) का एडनसोनिया वृक्ष, मथुरा जनपद के टेर कदंब मंदिर परिसर व निधि वन में अवस्थित पीलू वृक्ष, प्रयागराज के किले में अवस्थित अक्षयवट, उन्नाव जनपद में वाल्मीकि आश्रम, लव कुश जन्म स्थली व जानकी कुण्ड नाम से प्रसिद्ध स्थल पर अवस्थित बरगद वृक्ष एवं प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए एनबीआरआई, लखनऊ व महामाया देवी मंदिर परिसर गाजियाबाद में अवस्थित बरगद वृक्ष भी शामिल है।

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शाहजहांपुर के कुल नौ वृक्षों को स्थान 

राज्य जैव विविधता बोर्ड ने 100 से 400 साल पुराने पीपल, बरगद, पाकड़ तथा साल के नौ वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है। जिले के नवरत्न वृक्षों में छह पेड़ खुटार रेंज के है। दो जलालाबाद रेंज तथा एक सदर रेंज के पेड़ को पुरातन व विरासत वृक्ष की सूची में स्थान मिला है।

प्रभागीय वन अधिकारी विनोद कुमार के अनुसार सर्वे में जिले के नौ वृक्षों को विरासत की सूची में शामिल किया। विरासत वृक्षों में शामिल नौ में से आठ वृक्षों की धार्मिक व सामाजिक मान्यता है। जहां पुरातन काल से मेला लगता है। श्रद्धालु वृक्षों को देवता की तरह पूजते हैं। ओसीएफ परिसर में 125 वर्ष का पुराना पीपल का पेड़ भी शामिल है। ब्रिटिश शासनकाल में इस पीपल के पेड़ पर फांसी दी जाती थी। डीएफओ के अनुसार विरासत वृक्षों की देख रेख का जिम्मा संबंधित ग्राम पंचायत व नगर निकाय का होगा। क्षेत्रों को पर्यटन की तरह संरक्षित किया जाएगा। वृक्षों के कटान आदि पर रोक रहेंगी।

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