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अमर बलिदानी अशफाक उल्ला खां की जयंती पर भावांजलि देते वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना Photograph: (वाईबीएन)
शाहजहापुर, वाईबीएन संवाददाता। अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की 125वीं जयंती पर शाहजहांपुर की पावन भूमि ने एक बार फिर स्वतंत्रता संग्राम की गूंज महसूस की। नगर के जलालनगर स्थित मजार पर आज श्रद्धा और सम्मान के वातावरण में बलिदानी को नमन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की मज़ार पर चादरपोशी व गुलपोशी कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। उनके साथ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी, नगर आयुक्त डॉ. बिपिन कुमार मिश्र सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
अशफाक बिस्मिल की आत्मकथा सुनाते हुए भावुक हो गए वित्तमंत्री सुरेश खन्ना
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भव्य समारोह में वित्तमंत्री सुरेश खन्ना रामप्रसाद बिस्मिल व अशफाक उल्ला खां की आत्मकथा के अंश सुनाए। वित्तमंत्री ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की मित्रता आज भी हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मानी जाती है। उन्होंने बताया कि बिस्मिल जी ने अपनी आत्मकथा में लिखा — “अशफ़ाक मेरा सच्चा मित्र था, जो मुसलमान होकर भी मुझसे अधिक हिंदू था। उसकी देशभक्ति पर मुझे गर्व था।”
वहीं अशफक उल्ला खां ने कहा था — “बिस्मिल मेरा बड़ा भाई है। अगर हर हिंदू बिस्मिल जैसा और हर मुसलमान अशफाक जैसा बन जाए, तो अंग्रेज एक दिन भी नहीं टिक सकते।”
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने फांसी से पूर्व अशफ़ाक के अंतिम शब्द थे “मैं जा रहा हूं अपने बिस्मिल भाई से मिलने — जहाँ केवल हिंदुस्तानी हैं।” खन्ना ने कहा कि दोनों अमर सपूतो का बलिदान आज भी राष्ट्र को एकता, प्रेम और त्याग की राह दिखाता है। इस दौरान वित्तमंत्री सुरेश खन्ना भावुक हो गए, उनकी आंखे भर आई।
वहीं अशफक उल्ला खां ने कहा था — “बिस्मिल मेरा बड़ा भाई है। अगर हर हिंदू बिस्मिल जैसा और हर मुसलमान अशफाक जैसा बन जाए, तो अंग्रेज एक दिन भी नहीं टिक सकते।”
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने फांसी से पूर्व अशफ़ाक के अंतिम शब्द थे “मैं जा रहा हूं अपने बिस्मिल भाई से मिलने — जहाँ केवल हिंदुस्तानी हैं।” खन्ना ने कहा कि दोनों अमर सपूतो का बलिदान आज भी राष्ट्र को एकता, प्रेम और त्याग की राह दिखाता है। इस दौरान वित्तमंत्री सुरेश खन्ना भावुक हो गए, उनकी आंखे भर आई।
सुधीर विद्यार्थी व शायर राशिद हुसैन राही ने गजलों से शमां बांधा
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कार्यक्रम में क्रांतिकारी लेखक सुधीर विद्यार्थी ने स्वतंत्रता संग्राम में अशफ़ाक़ उल्ला खां योगदान पर प्रकाश डाला। शायर राशिद हुसैन राही ने अपनी ग़ज़लों और नज़्मों के माध्यम से वीर बलिदानी को भावांजलि दी।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण अशफाक उल्ला खां के प्रपौत्र ने दिया, जबकि पूरे आयोजन का संचालन कवि डॉ. इन्दु अजनबी ने अपने प्रभावशाली शब्दों से किया।
समारोह में प्रमुख रूप से आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, मो. इरफ़ान, ओंकार मनीषी, पवन सिंह, शादाब उल्ला ख़ाँ, पार्षद दिवाकर मिश्र, तालिब ख़ान, जितेन्द्र वर्मा, अब्दुल सत्तार, रज़ी, डॉ. मोहसिन, नईम, जगदीश कुशवाहा, शमीम आज़ाद, मुजीबुर्रहमान, मुकेश राठौर, अनीत त्रिपाठी एडवोकेट सहित अनेक गणमान्य जन मौजूद रहे। बडी भावुक बिस्मिल और आत्मकथा बिस्मिल के लिए रोने लगा।
खुदा के लिए कवि अग्निवेश
कार्यक्रम के अंत में आयोजक आफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ ने सभी अतिथियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
यह आयोजन न केवल बलिदान की स्मृति को ताज़ा करने वाला था, बल्कि आज़ादी के अमर गीतों की गूंज से सराबोर एक प्रेरणादायी पल भी बन गया।
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