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भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम और बंधन प्रतीक है
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता : भाई-बहन के अटूट व पावन प्रेम का प्रतीक भाई दूज पर्व जिले भर में पांरपरिक पूजन के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। रोडवेज बसों में भीड उमड रही है। जिला कारागार में भी बंदियों से मिलने की विशेष व्यवस्था की गई है। नगर निगम की बसों से भी बहने भाई के घर जा रही है।
गुरुवार को सुबह से ही बहनों ने उपवास रखकर पारंपरिक पूजन किया। ग्रामीण क्षेत्रों में चावल के पीठे का चौक पूरकर पूजा अर्चना की गई। रंगोली सजाकर पूजन की विधा को भी अपनाया गया। इस दौरान बहनों ने सताना की कहानी सुनाई। साथ ही सूर्यदेव, यमराज और देवी यमुना से जुड़ी कहानी सुनाकर पर्व को मनाया।
बेरी के डाल संग पूजन की पंरपरा
भाई दूज पूजन में बेरी की डाल रखकर पूजा अर्चना की भी परंपरा है। महिलाएं आंगन में बडा सा चौक पूरकर तथा सात भाइयों के स्वरूप बनाकर उस पर बेरी की डाल डालकर उपर से सिलबटटा रखती है। सात भाई व सताना की कहानी के साथ ही गीत गाती हैं। इसके बाद भाइयो के माथे पर हल्दी चावल, रोली अक्षत का टीका लगाकर दीर्घायु की कामना की जाती है।
इंटरनेट मीडिया पर बताए जा रहे भाई दूज मनाने के कारण
इंटरनेट मीडिया पर भी पर्वों का महत्व बताया गया है। इनमें पहली कहानी है यमराज और देवी यमुना की। बताते है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे। यमुना ने अपने भाई का बड़े आदर-सत्कार से स्वागत किया, उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाया। यमराज बहुत प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से टीका लगवाएगा, उसे लंबी आयु और सुख-समृद्धि मिलेगी
दूसरा कथानक जुडा है कृष्ण और देवी सुभद्रा से। बताया गया है कि भगवान कृष्ण, नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। सुभद्रा ने उनका प्रेम और प्यार से स्वागत किया, उन्हें मिठाई खिलाई और उनके माथे पर टीका लगाया। इस घटना से ही भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।
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