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मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपते गन्ना शोध परिषद के सेवा निवृत कर्मचारी Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहाँपुर वाईबीएन नेटवर्क। मिठास बांटने वाले उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के 400 सेवानिवृत्त कर्मचारियों व वं वैज्ञानिकों के जीवन में कडुवाहट आ गई है। शासन उनकी पेंशन बंद कर दी है। इससे सीनियर सिटिजन कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गए है। परेशान कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी शाहजहांपुर को भेजे गए ज्ञापन में बताया है कि उन्हें जुलाई 2019 तक शासनादेश के अनुसार पूर्ण पेन्शन मिलती रही, लेकिन वर्ष 2020 से अचानक उनकी पेंशन को मनमाने ढंग से कम कर दिया गया।
2019 तक मिली पूरी पेंशन, 2020 से शुरू हुई कटौती
मंगलवार को सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा, जिसमें कहा गया कि 2019 तक उन्हें राजकीय कर्मचारियों की भांति पूरी पेंशन दी जाती थी। वर्ष 2020 से अपर मुख्य सचिव, गन्ना एवं चीनी उद्योग विभाग की ओर से स्व-वित्त पोषित पेंशन योजना लागू कर दी गई। नई व्यवस्था में शासन द्वारा स्वीकृत 5 करोड़ रुपये से प्राप्त ब्याज और परिषद के आंतरिक स्रोतों की 50% आय से पेन्शन निर्धारित की गई। इसके बाद पेंशन कम होते-होते कर्मचारियों को मात्र 40% और कहीं-कहीं 34% पेंशन ही मिल रही है।
अब 31 अक्टूबर 2025 को पेंशन पूरी तरह समाप्त
कर्मचारियों के आक्रोश का मुख्य कारण यह है कि वर्तमान प्रभारी निदेशक डा वीके शुक्ला ने 31 अक्टूबर 2025 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी कर पेंशन भुगतान को ही समाप्त कर दिया गया। इस आदेश के बाद से पेंशनर्स में भारी रोष है और वे इसे जीवनयापन पर सीधा संकट बता रहे हैं।
मंत्री तक पहुंचे, पर अब तक नहीं मिला न्याय
उ.प्र. गन्ना शोध पेंशनर्स कल्याण समिति के पदाधिकारी कई बार वित्त मंत्री और गन्ना मंत्री से भी मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।
मुख्यमंत्री से की न्याय दिलाने की अपील
सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि उनकी पेंशन पुनः पूर्ण रूप में बहाल की जाए, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी दशकों की सेवा का सम्मान करते हुए न्याय जरूर दिलाएगी।
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