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साउथ सिटी बाढ़ व धरना पर विवाद: कंपनी ने समिति पदाधिकारियों पर लगाया दुष्प्रचार व राजनीति का आरोप, कहा - नगर निगम भी निभाए जिम्मेदारी

साउथ सिटी में बाढ़ व जल निकासी समस्या के स्थाई समाधान के लिए कालोनी निवासियों ने गेट बंद कर धरना दिया। कंपनी निदेशक ने इसे दुष्प्रचार करार दिया। सोसाइटी पर बिजली बिल न चुकाने, मेंटिनेंस न अदा न देने का आरोप लगाया, कहा कि धरना राजनीति से प्रेरित है।

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Ambrish Nayak
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाताबाढ़ व जल भराव के संकट से जूझ रहे साउथ सिटी कॉलोनी में राहत व बचाव कार्यों के बीच गेट बंद कर धरना देने पर विवाद शुरू हो गया है। हालांकि पार्षद सिद्धार्थ शुक्ला और उनकी टीम बाढ़ राहत के साथ समस्या निस्तारण में जुटी है और धरना से भी दूरी बना ली है, लेकिन साउथ सिटी संघर्ष समिति के बैनर तले समस्या के स्थाई निदान न होने पर धरना दिया जा रहा है। इस बीच कंपनी  निदेशक ने धरना के अगुवाकारों पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया, कहा कि बाढ के दाैरान कालोनी वासियों से दूरी बनाने वाले पदाधिकारी बाढ उतरने के बाद धरना देकर छवि खराब कर रहे हैं, जबकि कंपनी की ओर से पंप चलवाकर पानी निकलवाने तथा पार्षद व सांसद पुत्र से लगातार संवाद करके समस्या निस्तारण का प्रयास कर व्यवस्था को पटरी पर लाने में सहयोग दिया गया।

धरना के बहाने कालोनी निवासियों पर अभद्रता का आरोप 

साउथ सिटी एक्सटेंशन कंपनी के निदेशक विजय कुमरा तथा हरगोविंद मोदी ने यंग भारत न्यूज से बातचीत में कहा कि बुधवार शाम कॉलोनी के कुछ लोग बिना वार्ता किए ही अचानक कॉलोनी गेट बंद कर धरने पर बैठ गए। दोनों गेट बंद कर आवागमन भी रोक दिया। इससे न कोई अंदर जा सका, न बाहर। निदेशक विजय कुमरा का कहना है कि उनके पास कई फोन आए, जिसमें महिलाओं से अभद्रता का भी आरोप लगाया गया। कंपनी निदेशक का कहना है कि उनसे न तो किसी कल्याण समिति पदाधिकारी ने समस्याओं को लेकर संपर्क किया न ही कोई लिखित सूचना दी। बिना बताए गेट बंद करके धरना देना, सामाजिक आचरण के खिलाफ है।

सोसाइटी के औचित्य पर उठाए सवाल 

निदेशक विजय कुमरा ने कहा कि वर्ष 2008 में एलायंस बिल्डर्स ने कॉलोनी का हैंडओवर विधिवत रूप से रजिस्टर्ड सोसाइटी को सौंप दिया था। लेकिन 2013 के बाद सोसाइटी ने कामकाज बंद कर दिया। न चुनाव हुए और न ही नवीनीकरण। कंपनी निदेशक का कहना है कि कुछ लोगों ने निवासियों को भड़का कर न खुद मेंटिनेंस शुल्क दिया, न दूसरों को देने दिया। इस कारण कालोनी की दशा खराब होती जा रही है। 

छह लाख बिजली बिल न अदा करने का आरोप 

कंपनी निदेशक का आरोप है कि कल्याण समिति को रोड लाइट और वाटर टैंक आदि का छह लाख रुपये का बिजली बिल अदा करना था, जिसका भुगतान न करने पर कनेक्शन काट दिया। कॉलोनी वर्षों अंधेरे में रही। बाद में मंत्री सुरेश खन्ना के आग्रह पर कंपनी ने बिल बकाया जमा किया, जिसके बाद निगम ने विकास कार्य शुरू किए। पहले मेन रोड और फिर सभी सड़कों का पुनर्निर्माण हुआ, जो अब भी जारी है।

अवैध प्लाटिंग का आरोप निराधार, कालोनी रेरा से स्वीकृत 

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कंपनी निदेशक ने बताया 2012 में बची भूमि खरीदकर नक्शा स्वीकृत कराया गया। इसके बाद सुनियोजित विकास हुआ। नालियां, पार्क, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचा विधिवत स्वीकृति के साथ बनाया गया। सिटी मजिस्ट्रेट से कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद इसे रेरा में भी पंजीकृत कराया गया। कंपनी निदेशक अवैध प्लाटिंग के आरोप को बेबुनियाद व निराधार बताया।  

अनुरक्षण शुल्क न देने पर बंद करना पडा 40 लाख का एसटीपी, जेड ब्लॉक की समस्या का बताया सच 

कंपनी निदेशक ने बताया कि जेड ब्लॉक का नक्शा पुराने एनएच-24 के लेवल के आधार पर बना था। बाद में फोरलेन सड़क ऊँची होने से ड्रेनेज प्रभावित हुआ। 40 लाख की लागत से एसटीपी बनाया गया, जो दो साल चला। शुल्क न मिलने से रखरखाव रुक गया। अवैध कब्जे के कारण कई नालियां बंद हो गईं। हालिया बाढ़ में कंपनी और पार्षद ने पंप लगवाकर पानी निकासी कराई। कंपनी निदेशक का कहना है कि सोसाइटी की जिम्मेदारी होने के बावजूद उसने चारदीवारी, गेट और कार्यालय की मरम्मत कराई, जिस पर लाखों रुपये खर्च हुए। मात्र 100 रुपये मासिक शुल्क की मांग पर भी कुछ लोगों ने निवासियों को भड़काकर भुगतान रोक दिया।

आरोप निराधार, धरना से पहले करनी चाहिए थी बात 

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कंपनी ने स्पष्ट किया कि डब्ल्यू और एक्स ब्लॉक का पानी जेड ब्लॉक में जाने का आरोप निराधार है। फाउंटेन और पौंड एरिया की देखरेख सोसाइटी की जिम्मेदारी थी, लेकिन सुविधा न देने के बावजूद कंपनी पर आरोप लगाए जा रहे हैं। पौंड एरिया कंपनी की वैध संपत्ति है, जिस पर जिलाधिकारी ने मालिकाना हक प्रमाणित किया है।

बनेंगी ठोकरें और पक्की बाउंड्री वाल, मत हो परेशान

कंपनी निदेशक हरगोविंद मोदी ने कहा कि बाढ़ दैवीय आपदा है। ऐसे समय में कंपनी हमेशा कॉलोनी वासियों के साथ है। लेकिन कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए गेट बंद कर भीड़ जुटा रहे हैं और दुष्प्रचार कर रहे हैं। सोसाइटी न तो रजिस्टर्ड है और न ही मान्य। मोदी ने कहा कि बाढ से बचाव के लिए ठोकरे बनवाने के साथ ही पक्की बाउंड्री वाल भी बनवाई जाएगी। कालोनी के विस्तार की भी कोई योजना नहीं है। कालोनी तक जाने का रास्ता रोकना अनुचित है। उन्होंने कहा कि नगर निगम हाउस टैक्स, वाटर टैक्स ले रहा है, इसलिए निगम को  भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा प्रशासन के सहयोग से कालोनी के विकास के लिए हर संभव कार्य किए जा रहे हैं। 

कल्याण समिति अध्यक्ष का वर्जन  

2016 में समिति का अध्यक्ष बना था। 2020 तक समिति सक्रिय रही। इसके बाद बिल्डर ने समिति को निष्क्रिय रहा। समिति का नवीनीकरण भी नहीं हो सका। इस कारण बैनर पर कल्याण समिति के बजाय संघर्ष समिति लिखा गया है। आठ हजार वर्गमीटर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जगह पर भी कब्जा कर लिया गया है। फाउंटेन की जगह को भी समतल कराने की योजना बनाई जा रही है। जिसका विरोध किया जा रहा है। मैं कालोनी निवासी के नाते धरना में शामिल हूं। बाढ व जल निकासी समेत विविध समस्याओं के निस्तारण के लिए वित्तमंत्री सुरेश खन्ना से वार्ता की जाएगी, इसके बाद ही धरना समाप्त होगा। 

सुदेश कुमार सिंह, अध्यक्ष-  सिटी निवासी कल्याण समिति 

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