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Photograph: (शाहजहांपुर)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता । शहर की सड़कों और गलियों में अंधेरे का आलम है, लेकिन स्ट्रीट लाइटों की जिम्मेदारी संभाल रही ई-स्मार्ट कंपनी को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। नगर निगम हर साल करीब नौ करोड़ रुपये इस मद में खर्च करता है, फिर भी वार्डों में 15 से 20 फीसदी लाइटें खराब पड़ी हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी भारी-भरकम रकम कहां जा रही है।
बोर्ड में हो चुका है निर्णय
ई-स्मार्ट कंपनी पर कार्रवाई का मामला नया नहीं है। नगर निगम की बैठकों में पार्षद बार-बार हंगामा कर चुके हैं। हाल ही में करीब 40 पार्षदोंने बोर्ड बैठक में जोरदार विरोध दर्ज कराया। वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी कंपनी का अनुबंध समाप्त कर रिकवरी करने की सहमति दी थी। महापौर अर्चना वर्मा ने कहा कि सदन का निर्णय स्पष्ट है कंपनी का अनुबंध खत्म कर उनकी ओर से वसूली गई राशि की रिकवरी होगी।
नगर आयुक्त का अलग रुख
महापौर के रुख के विपरीत नगर आयुक्त डॉ. विपिन कुमार मिश्र का कहना है कि कंपनी के साथ 2017 से 2024 तक अनुबंध रहा और बाद में सात साल का नया अनुबंध किया गया। ऐसे में अनुबंध को अचानक खत्म करना संभव नहीं है, कार्रवाई नियमानुसार ही होगी।
गड़बड़ियों की लंबी फेहरिस्त
ई-स्मार्ट कंपनी के खिलाफ शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं। कंपनी ने करीब 16 हजार स्ट्रीट लाइटों की देखरेख के लिए महज 16 कर्मचारी लगाए हैं। नतीजा यह है कि समय पर मरम्मत नहीं हो पाती और शहर की गलियां अंधेरे में डूब जाती हैं। सवाल यह भी है कि नगर निगम हर महीने करीब 35 लाख रुपये का भुगतान करता है, बावजूद इसके संसाधनों की भारी कमी क्यों बनी हुई है।
पार्षदों के बीच उठ रहे सवाल
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लगातार खराब लाइटें, करोड़ों की वसूली और फिर भी कार्रवाई न होने से लोगों के बीच चर्चा है कि ई-स्मार्ट कंपनी को बचाने के लिए कहीं न कहीं सांठगांठ हो रही है।
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