मायूसी: 13 वर्षों से आवंटियों ने छोड़ी दूकान और रोजगार की आस, पैसा दबाकर बैठी पालिका खामोश
,तिलहर नगर पालिका की बड़ी चूक उजागर हुई है। 13 साल पहले 51 दुकानों का आवंटन हुआ था, लेकिन बाद में इसे निरस्त कर दिया गया, जिसकी सूचना आवंटियों को नहीं दी गई। न कब्जा मिला, न धन वापसी। अब मामला कोर्ट जा सकता है।
तिलहर नगर पालिका प्रशासन की एक बड़ी चूक सामने आई है। करीब 13 वर्ष पूर्व 51 दुकानों का आवंटन किया गया था, लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि उसी समय यह आवंटन निरस्त कर दिया गया था। आश्चर्यजनक रूप से, इस फैसले की जानकारी न तो आवंटियों को दी गई और न ही आधिकारिक रूप से सार्वजनिक किया गया। हाल ही में जब आवंटियों ने दुकानों पर कब्जा लेने की कोशिश की, तब इस पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ। इस खुलासे के बाद प्रभावित व्यापारी आक्रोशित हैं और प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं।
आवंटन प्रक्रिया में अनियमितता या प्रशासन की लापरवाही
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तहसील रोड स्थित जलकल परिसर के पास इन दुकानों का आवंटन पालिका प्रशासन द्वारा किया गया था। उस दौरान कुछ दुकानों का कब्जा तुरंत दे दिया गया, जबकि 51 दुकानों पर मामला अधर में अटका रहा। अब यह सामने आया है कि नियमों की अनदेखी के चलते प्रशासन ने आवंटन निरस्त कर दिया था, लेकिन इस फैसले को गुप्त रखा। आवंटियों का आरोप है कि यदि यह प्रक्रिया अवैध थी, तो उन्हें समय पर सूचित क्यों नहीं किया गया?
नगर पालिका की तालाब में समा रही दूकानें Photograph: (ybn network )
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आवंटियों को न कब्जा मिला, न धन वापसी
इस मामले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि कई आवंटियों ने आधी धनराशि जमा कर दी थी, लेकिन प्रशासन ने न तो दुकानों का यह कब्जा सौंपा और न ही उनकी राशि वापस की। प्रशासन की इस लापरवाही ने 13 साल तक इन व्यवसायियों को भ्रम में रखा। अब सवाल उठ रहा है कि पालिका प्रशासन ने इस निर्णय को इतने वर्षों तक दबाकर क्यों रखा और इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इस खुलासे के बाद अब कई आवंटियों ने कानूनी कदम उठाने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे उच्च न्यायालय तक जाने से पीछे नहीं हटेंगे। इस बीच, नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक कोई स्पष्ट बयान जारी नहीं किया है। यह मामला अदालत तक पहुंचता है, तो यह प्रशासन के लिए एक बड़ी मुश्किल बन सकता है।