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शव के साथ वाहन को सडक पर खडा कर जाम लगाकर विरोध जताते परिजन Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता। यह खबर हर संवेदनशील व्यक्ति को व्यथित कर देगी। जिस घर में आज खुशियों का शोर होना था, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है। तिवारी परिवार में बेटे कोविद तिवारी की सगाई और बहू की गोद भराई के लिए तैयारियां जोरों पर थीं। घर सजाया गया था, सूट सिलवाया गया था, गीत गाए जाने थे, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पुलिस की दबिश से डरकर नदी में कूदे कोविद की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। एक ही पल में हंसी-खुशी का माहौल मातम में बदल गया। जहां मंगल गीत गूंजने थे, वहां अब रोने की आवाजें हैं। घर में रखा कोविद का शव देखकर हर किसी की आंखें नम हैं। परिवार के लोगों का कहना है कि कोविद की शादी तय हो चुकी थी, और बहू की गोदभराई का कार्यक्रम आज यानी गुरुवार को था। बाबूजी सुरेश तिवारी का होनहार बेटा अब हमेशा के लिए खामोश हो गया है।अब कोविद न तो कभी शादी का सूट पहन जाएगा और न ही उसके सिर पर अब कभी मौर नहीं सजेगा।
पुलिस के डर से नदी में छलांग, डूबने से मौत
बुधवार को पुलिस ने जुआ खेलने वाले गिरोह की धरपकड को दबिश दी। इस दौरान कोविद तिवारी कथित रूप से खन्नौत नदी में कूद गया, जिससे उसकी डूबने से मृत्यु हो गई। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पीछा करते हुए उसे धक्का दे दिया और उसके पास के रुपये छीन लिए। बहरहाल इस घटना के बाद परिजनों ने कोविद के शव के वाहन को रात में सडक पर खडा करके जाम लगा दिया। पुलिस अधीक्षक ने आरोपी तीन पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया, इसके बाद परिजनों ने जाम हटाया, लेकिन अभी भी परिजनों में पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।
मां-बाप पर टूटा दुखों का पहाड़
कोविद की मौत से बाबू जई निवासी पिता सुरेश तिवारी व मां सरस्वती पर दुख का पहाड टूट पडा है। बुधवार को पोस्टमार्टम पर बैठे सुरेश तिवारी की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे, जबकि मां सरस्वती देवी बार-बार बेहोश हो रही थीं। दरअसल चार वर्ष पहले ही छोटे बेटे मोहित की कैंसर से मृत्यु के बाद कोविद ने हिम्मत बंधाई। आज यानी गुरुवार को कोविद की सगाई होनी थी, लेकिन घर की खुशियां मातम में बदल गई। ---
कार्रवाई और सवाल
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी राजेश द्विवेदी ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है और जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि अगर पुलिस की कार्रवाई मानवीय मर्यादा के अनुरूप होती, तो शायद एक घर आज मातम में न डूबता।
समाज के लिए सीख
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, यह प्रशासनिक संवेदनहीनता और सामाजिक गिरावट का आईना है। युवा वर्ग को यह सीख मिलती है कि भय या दबाव में लिया गया निर्णय जीवन की कीमत मांग सकता है। वहीं, पुलिस और प्रशासन को यह समझना होगा कि कानून व्यवस्था का नाम लेकर किसी का जीवन भय में न बदले।
प्रशासन करें चिंतन
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जनता अब यह जानना चाहती है कि आखिर वह कौन सी वजह थी जिसके डर से कोविद तिवारी को मौत को गले लगाना पडा। या फिर उसे किसी ने मार दिया। बहरहाल यह घटना अत्यंत दुखद है, इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
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