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एनएसजी पूर्व कमांडो अनिल चौहान Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
मुंबई आतंकी हमले के दौरान एनएसजी कमांडो कार्रवाई (आपरेशन ब्लैक टारनैडो) में शामिल रहे जिले के पूर्व कमांडो अनिल चौहान भारत सरकार से तहव्वुर राणा को फांसी की सजा दिलाने की मांग करते हैं। उनका कहना है कि आतंकियों ने बेगुनाहों को मारा था। आतंकियों के हमले में जवान भी शहीद हुए थे। तहव्वुर राणा को फांसी की सजा हो जाए तो शहीदों के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बता दें कि शाहजहांपुर जिले के चाहरपुर गांव के रहने वाले अनिल चौहान 26 नवंबर 2008 में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में कमांडो थे और मुंबई आतंकी हमले के दौरान उसी रात में आपरेशन ब्लैक टारनैडो के तहत मानेसर स्थित एनएसजी कमांडो मुख्यालय से मुंबई भेजे गए थे। अनिल चौहान ने इस दौरान आतंकियों को खदेड़ने में अपने शौर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया था। अब तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत सरकार द्वार प्रत्यर्पण कर देश में ले आया गया है। इस पर कमांडो अनिल चौहान खुलकर बोले- उन्होंने कहा जिस तरह से कसाब को इतने साल जेल में रखकर उसकी बिरयानी खिलाकर खातिरदारी की गई थी तब कहीं जाकर उसे फांसी की सजा हुई। तहव्वुर के साथ यह सब नहीं होना चाहिए। हमें विश्वास है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यायिक प्रक्रिया जल्द शुरू कराके तहव्वुर राणा को फांसी के फंदे तक पहुंचवाएंगे।
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तहव्वुर राणा को भारत लाने पर अनिल चौहान ने किया प्रधानमंत्री का धन्यवाद
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मुंबई आतंकी हमले के प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वर हुसैन राणा को पिछले सप्ताह भारत लाए जाने पर आपरेशन ब्लैक टारनैडो में शामिल रहे कमांडो अनिल चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। कहा कि मैने करीब 80 घंटे तक मुंबई के ताज होटल में आतंकवादियों से लोहा लिया था। कहा कि जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं वे शहादत की कीमत जानते हैं। इससे पहले जो भी सरकारें रहीं वे आतंकवादियों से रिश्ते निभाती थीं सैनिक शहादत देते थे सरकारें आतंकवादियों को बिरयानी खिलाती थीं। जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं उन्होंने शहादत को जाना और वे अब जवानों के खून की कीमत को भी समझते हैं।
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आपरेशन ब्लैक टारनैडो के वो अस्सी घंटे कभी नहीं भूलूंगा
पूर्व कमांडो अनिल चौहान कहते हैं कि 26 नवंबर 2008 को रात नौ बजे आतंकवादियों ने हमला बोला था। शाम का खाना खाकर ही निपटे थे कि आतंकवादी हमले की सूचना मिल गई थी। कुछ लोगों ने खाना भी नहीं खाया था। सभी को मुंबई चलने के लिए अलर्ट कर दिया गया था। सभी लोग रात में आईएल-76 विमान से ही मुंबई निकल गए। सुबह सात बजे आपरेशन शुरू हो गया। अनिल चौहान कहते हैं कि वे भले ही सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन अभी भी भारतीय सैनिक हैं। मुझे गर्व है कि हमने जान की बाजी लगाकर आपरेशन को सफल बनाया। सेना के हर जवान की यह मुराद होती है कि वह जिस आपरेशन में जा रहे हैं वह कामयाब होकर लौंटें या फिर तिरंगे में लिपटकर लौटें। मुंबई के आपरेशन ब्लैक टारनैडो को कभी नहीं भूलेंगे।
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ताज में मेजर संदीप उन्नीकृष्णनन के साथ थे अनिल चौहान
पूर्व कमांडो अनिल चौहान का कहना है कि आपरेशन के दौरान वे मेजर संदीप उन्नीकृष्णनन की टीम के साथ ही थे। ताज में आतंकवादियों को उनकी टीम ने देखा तो एक तरफ मेजर साहब चले गए। दूसरी तरफ तीन कमांडो गए। आतंकवादियों ने कमांडो पर गोली चला दी थी। कमांडो को गोली लगने पर मेजर साहब उधर पोजीशन लेने को दौड़े और वहीं आतंकवादियों की गोली से शहीद हो गए थे। हम लोगों को दूसरी ओर भेज दिया था। शहीद होने से पूर्व मेजर साहब ने तीन आतंकवादियों को भी वहीं ढेर कर दिया था। अनिल कहते हैं कि यह आपरेशन अब तक का सबसे बड़ा आपरेशन था जोकि 80 घंटे तक चला और आतंकवादियों को मार दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। अब मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राना भारत लाया जा चुका इसके द्वारा कराए गए आतंकी हमले की कीमत अब तहव्वुर राना को फांसी देकर चुकाई जानी चाहिए।
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