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Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
भाई… यह एक ऐसा रिश्ता है जो महज खून के रिश्ते तक सीमित नहीं है, यह भावनाओं, प्रेम और निस्वार्थ समर्पण की बुनियाद पर टिका है। एक भाई न केवल आपका सबसे पहला दोस्त होता है, बल्कि जीवन की हर मुश्किल घड़ी में एक अटूट सहारा भी बनता है। हमारे भारतीय समाज में भाई का रिश्ता बेहद खास माना जाता है। रक्षाबंधन, भैया दूज और भाई-बहन के अन्य त्योहार इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाते हैं। यही कारण है कि जब भी भाई के प्रति अपने प्यार, सम्मान और अपनापन व्यक्त करने की बात आती है, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। शनिवार को राष्ट्रीय भाई दिवस इसी रिश्ते की भावना को समर्पित है। इस रिश्ते की मिसाल दुनिया में बहुत से लोग हैं, लेकिन हम बात करें अपने शाहजहांपुर की तो यहां भी कुछ भाई ऐसे हैं जोकि एक दूसरे के अटूट सहारा हैं। आइए यहां कुछ ऐसे ही रिश्तों को निभाने वाले कुछ खास लोगों से प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
हर-गोविंद बोलो या बोलो राधे-गोविंद इन भाइयों की अदा ही निराली, भाइयों के बीच प्रेम इनसे सीखें
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हम बात कर रहे हैं शाहजहांपुर शहर के उद्यमी हर गोविंद मोदी और राधे-गोविंद मोदी की। सगे भाई हैं दोनों लेकिन, ऐसी दोस्ती ऐसा प्रेम आपने इस परिवार जैसी एकता कहीं नहीं देखी होगी। एक घर में रहना, एक रसोई खानपान सबकुछ पीढ़ियों से चला आ रहा है। दोनों भाई परिवार की इसी परंपरा को निभाते आ रहे हैं। परिवार की महिलाएं और बच्चों के बीच भी प्रगाड़ प्रेम ऐसा है मिसाल के लिए आप कोई पूरे परिवार की कहानी लिख सकते हैं। घर के बड़े भाई हर गोविंद मोदी कहते हैं- हमारे परिवार की यही परंपरा रही है। घर की महिलाओं के बीच भी बहुत प्रेम है। बच्चे भी कोई कमी महसूस नहीं होने देते। आज भी एक ही रसोई में खाना बनता है। कभी किसी बात पर मतभेद होने का तो मतलब नहीं हुआ। हमारे बुजुर्गों ने हमें जो संस्कार दिए हैं उनका हम लोग भी बखूबी पालन करते चले आ रहे हैं। इस प्रेम को घर की महिलाओं और बच्चों का सहयोग और ज्यादा मजबूत बना रहा है।
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राजनीति में जहां रिश्ते टूटते हैं, वहां भाईचारे की मिसाल बने यादव बंधु
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समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक राजेश यादव और एमएलसी रिंकू यादव राजनीति की अलग-अलग पंक्तियों से जुड़े हैं, लेकिन दिलों की एक डोर से बंधे हुए हैं। उम्र में बड़ा और अनुभव में वरिष्ठ होने के बावजूद राजेश यादव ने कभी छोटे भाई के बढ़ते कद को अपनी प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ा और रिंकू यादव ने भी अपने राजनीतिक सफर में बड़े भाई को मार्गदर्शक और सम्माननीय बना कर रखा।जब मंच पर साथ आते हैं, तो मंच का नहीं भाईचारे का प्रभाव दिखता है। जब भी कोई राजनीतिक या पारिवारिक निर्णय लेना होता है, दोनों एक-दूसरे की सलाह और सम्मान को सर्वोपरि मानते हैं। 2017 और 2022 में जब राजेश यादव को विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा, तब रिंकू यादव ने उन्हें राजनीति से अलग न होने दिया। संगठन के भीतर सक्रियता बनाए रखने में हरसंभव सहयोग किया। वहीं जब रिंकू यादव एमएलसी चुने गए, तो राजेश यादव की आंखों में वह गर्व झलकता था, जो एक पिता की अपने बेटे के लिए होता है। राजनीति में जहां अक्सर भाई-भाई प्रतिद्वंद्वी बन जाते हैं, वहीं यादव बंधु एक-दूसरे की ढाल बन गए। जहां यादव बंधु राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं वहीं उनके पीछे एक मजबूत पारिवारिक नींव खड़ी है। राजेश यादव की पत्नी रेखा यादव और रिंकू यादव की पत्नी प्रियंका यादव पूरी तरह गृहस्थ जीवन को संभालती हैं। दोनों ने न कभी राजनीति की चकाचौंध में भागीदारी चाही, न ही किसी सार्वजनिक पहचान की लालसा की। उनका जीवन बच्चों परिवार और मूल्यों को संवारने में समर्पित है। रेखा यादव ने वर्षों से एक समर्पित गृहिणी के रूप में हर मोड़ पर अपने पति का साथ निभाया। वहीं प्रियंका यादव पारिवारिक मर्यादा और सादगी का उदाहरण हैं।
रामबरन और चंद्रबरन सिंह ने भाईचारे की दी मिसाल, कहा – जहां प्यार है, वहां विवाद कैसा
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भाई-भाई का रिश्ता अगर सच्चे प्यार, सम्मान और सहयोग पर टिका हो, तो वह पूरी पीढ़ियों को जोड़ने की ताकत रखता है। सिविल लाइन 2 निवासी रामबरन सिंह और उनके छोटे भाई चंद्रबरन सिंह ने भाई दिवस पर यही भावना साझा की। इनका संयुक्त परिवार तीन सगे भाई, दो चचेरे भाई, माताजी, दो बहनें, दोनों भाइयों की पत्नियाँ और बच्चे विधि व लक्ष्य एक ही छत के नीचे प्रेमपूर्वक रहते हैं। रामबरन सिंह कहते हैं,हम सभी मिलकर रहते हैं कोई छोटा-बड़ा नहीं, सब बराबर हैं। यही हमारे रिश्ते की ताकत है। चंदेरबरन सिंह बताते हैं, ताऊ मुनेश्वर सिंह ने हमें बचपन से प्रेम एकता का संदेश दिया। सभी भाइयों ने हर संघर्ष और सफलता साथ देखा है। परिवार में सब एक-दूसरे का हाथ थामकर चलते हैं। परिवार के हर सदस्य का कहना है कि सम्मान, समझ और धैर्य ही इस एकता की नींव हैं। भाई दिवस पर दोनों भाइयों ने समाज को संदेश दिया अगर रिश्तों में ईमानदारी और अपनापन हो, तो कोई भी परिवार बिखरता नहीं। भाईचारा सिर्फ कहने का नहीं जीने का रिश्ता है।
नितेश, निकुंज और जितिन भाइयों के प्रेम की खास मिसाल
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शाहजहांपुर के खिरनी बाग में रहने वाले नितेश, निकुंज और जितिन तीन सगे भाइयों के बीच जो दोस्ती है वह एक मिसाल है। यह सभी एक व्यवसाय से जुड़े हैं और एक घर में एक रसोई से जुड़े हैं। भाइयों के आपसी प्रेम की वजह से पूरा परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा है। जहां कहीं भी यह जाते हैं साथ साथ जाते हैं। नितेश सबसे बड़े हैं तो निकुंज मझले व जितिन सबसे छोटे हैं। शनिवार को राष्ट्रीय भाई दिवस पर जब इनसे बात की गई तो यह तीनों एक ही साथ थे और एक सुंदरकांड पाठ में एक साथ बैठकर हनुमान जी का गुणगान कर रहे थे।
किसी ने सही कहा है....
भाई-भाई में प्रेम,
सागर से भी गहरा होता है,
एक-दूजे की खैर करना,
जीवन भर पहरा होता है ।
होता नहीं कभी बैर,
बस आपस का झगड़ा होता है,
बोले अगर कोई गैर,
भाई पहले ही बगल में खड़ा होता है ।
दुःख आने से भी पहले,
भाई के हृदय में दुःख होता है,
सुख पाने के भी पहले,
भाई-भाई को सुख दे देता है ।
भाई के संग होने पर,
जीवन में शान होती है,
भाई के अंदर भाई की जान होती है,
एक-दूजे के बिन दुनिया हैरान होती है।
बचपन हो या यौवन,
प्रेम प्रगाढ़ होता है,
जीवन के अंतिम क्षण तक,
भाई ही साथ होता है।
भाई-भाई का प्यारा होता,
छोटा भाई दुलारा होता,
भाई अगर बड़ा हो घर में ,
पिता की छांव देता तब है ।
साथ बढ़े साथ हैं खेलें ,
भाई से निकट कोई रिश्ता नहीं होता,
सुख- दुःख सब बटाँ जो सकता,
भाई कभी नहीं त्यागा जा सकता ।
बुद्ध प्रकाश ;मौदहा, हमीरपुर
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