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राजीव कुमार सिंह सेवानिवृत्त आईएएस। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
भारतीय प्रशासनिक सेवा में कई उच्च पदों पर रहकर आमतौर पर सेवानिवृत्ति के बाद ब्यूरोक्रेट या तो विदेश चले जाते हैं या फिर आराम की जिंदगी बिताने लगते हैं, लेकिन इससे अलग हटकर पूर्व आईएएस राजीव कुमार सिंह युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बने हुए हैं। सेवा में रहते हुए वे जुनून और अटल फैसले लेने के लिए सदैव चर्चा में रहे। निर्विवाद व्यक्तित्व वाले राजीव कुमार सिंह इन दिनों नौनिहालों का भविष्य तराशने में लगे हैं। उन्होंने पहले अपने पैतृक गांव में इंटर कालेज की स्थापना की और प्रतिवर्ष बोर्ड परीक्षा के टापर विद्यार्थी तैयार कर रहे हैं, वहीं अब कर्मभूमि शाहजहांपुर में कालेज स्थापित कर पढ़ाई के साथ ही बच्चों को आईएएस, इंजीनियरिंग, भारतीय प्रबंध संस्थान, मेडिकल के क्षेत्र आदि में जाने के लिए तैयारी भी करा रहे हैं।
मूलतः फर्रूखाबाद जनपद की तहसील अमृतपुर के गांव कुवेरपुर के रहने वाले राजीव कुमार सिंह रघुराज सिंह के पुत्र हैं। उनके पिता मध्यप्रदेश कृषि सेवा में कार्यरत थे। इसके बाद 1957 में तिलहर और जिले के अन्य ब्लाकों में खंड विकास अधिकारी रहे थे। बस कहीं न कहीं यहीं से शाहजहांपुर से भी इनका लगाव आज तक बना हुआ है। फतेहगढ़ से पढ़ाई करने के बाद जुलाई 1970 से जून 1973 तक दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध राजधानी कालेज के इतिहास विभाग में प्रवक्ता रहे। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी कर आईएएस बने। इसके बाद 1974 में बतौर ट्रेनिंग एक साल एसडीएम जलालाबाद रहे। एसडीएम सदर, सिटी मजिस्ट्रेट भी रहे साथ में नगर पालिका ईओ का कार्यभार भी रहा। शाहजहांपुर के बाद सिटी मजिस्ट्रेट मेरठ भी रहे। इसके बाद देहरादून में एडीएम एफआर बने और 1980 से 85 तक तैनात रहे। मुरादाबाद में तीन साल एडीएम ई और फिर लखनऊ में एडीएम सिटी रहे। लखनऊ विकास प्राधिकरण में दो वर्ष सचिव रहने के बाद उप्र चीनी विकास निगम में संयुक्त प्रबंध निदेशक रहे। नगर विकास विभाग में विशेष सचिव के पद पर भी तैनात रहे। इसके बाद 11 जुलाई 2000 को शाहजहांपुर के जिलाधिकारी बने और दिसंबर 2002 तक रहे। यहां से जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर और मथुरा के जिलाधिकारी भी रहे। इसके बाद सहारनपुर मंडल के कमिश्नर भी करीब डेढ़ वर्ष तक रहे। इसके बाद सेवानिवृत्त होकर शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। बिना थके एक नौजवान की तरह इनकी दिनचर्या युवाओं के लिए प्रेरित करने वाली है।
मिशनः बच्चों को पढ़ाई के साथ आईएएस-आईपीएस, इंजीनियरिंग, प्रबंधन की तैयारी कराना
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सेवानिवृत्त आईएएस राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि मेरे करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में दिल्ली से हुई। इसीलिए आज भी मैं उस भूमिका को अपने जीवन से हटा नहीं सका। प्रशासनिक सेवा में रहकर भले ही मैने सख्त फैसले लिए, राजनीतिक दबाव में कभी काम नहीं किया। स्वभावगत किसी राजनीतिज्ञ ने भी उनके ऊपर कभी नाजायज काम का दबाव नहीं बनाया। शाहजहांपुर जैसे धुर राजनीति के जिले में भी तब बाबा साहब का रुतवा रहता था, लेकिन कभी कोई दबाव बनाकर काम नहीं किया। मुझे इसीलिए जनहित के लिए काम करने में बहुत आनंद का अनुभव हुआ। वे कहते हैं कि अपने पैतृक गांव कुवेरपुर में पहले शांति देवी रघुराज सिंह इंटर कालेज खोला था जोकि अब महाविद्यालय तक चल रहा है। इस कालेज ने सदैव टापर छात्र दिए और इस वर्ष तक यहां से टापर छात्र निकल रहे हैं। कालेज के पहले टापर कार्तिकेय चौहान भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आईईएस) के थे जोकि जिनका देश में नंबर वन स्थान था। राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि हमने अपनी कर्म भूमि शाहजहांपुर में भी एक सीबीएसई का मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल शुरू किया है। यहां बच्चों को शिक्षा के साथ रोजगार परक पढ़ाई का मौका दे रहे हैं। हमारा मकसद मिलेनियम वर्ल्ड से मोटी फीस वसूलना नहीं है, बल्कि बेहतर शिक्षा के साथ बच्चों को आईएएस-आईपीएस, इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय प्रबंधन सेवा के लिए तैयारी कराना भी है। फिलहाल बच्चों को डे बोर्डिंग के तौर पर इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के साथ ट्यूशन, कोचिंग और खेलकूद की सुविधाएं भी दी जा रही हैं। सुबह को बच्चा आता है शाम को पांच बजे घर वापस लौटता है। आगे चलकर हास्टल की व्यवस्था भी शुरू करने की तैयारी चल रही है। जिसमें देश की जानीमानी ध्येय आईएएस कोचिंग के शिक्षक भी बच्चों को तैयारी करा रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी ने मान ली थी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना वाली बात
सेवानिवृत्त आईएएस राजीव कुमार सिंह को कई पुरस्कार भी मिले हैं। साथ ही देश के राजनेताओं ने भी उनके काम की सराहना की है। वे कहते हैं कि देश में जब पहली बार जब वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा शुरू हुई थी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह से प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश सबसे बेहतर काम करने वाले जिलाधिकारियों से बात कराने को कहा था। वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए मुझे भी बुलाया गया था। तब अटल बिहारी वाजपेयी सीधे मुझ से रूबरू हुए और पूछा था कि बताएं गांव को बेहतर करने के लिए सबसे जरूरी क्या संसाधन वहां होने चाहिए। तब मैने अपनी बात रखी और कहा था कि गांव के लिए बेहतर सड़क और स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल जाएं यह बहुत कारगर साबित होगा। इसके बाद अटल जी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत की है। वे कहते हैं कि मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि प्रधानमंत्री सड़क योजना को मेरे सुझाव से ही चयनित किया गया। आईएएस एसोसिएशन के कार्यक्रम में भी उन्हें वेस्ट आईएएस का पुरस्कार दिया गया था।
पूर्व आईएएस राजीव कुमार सिंह एक परिचय
मूल निवासीः फर्रूखाबाद जनपद की तहसील अमृतपुर के गांव कुवेरपुर
पिताः स्वर्गीय रघुराज सिंह
सेवाकालः जुलाई 1970 से जून 1973 तक दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध राजधानी कालेज के इतिहास विभाग में प्रवक्ता रहे।
भारतीय प्रशासनिक सेवाः 1974 में बतौर ट्रेनी एक साल एसडीएम जलालाबाद, एसडीएम सदर, सिटी मजिस्ट्रेट शाहजहांपुर रहे। साथ में नगर पालिका ईओ का कार्यभार भी रहा। शाहजहांपुर के बाद सिटी मजिस्ट्रेट मेरठ रहे। देहरादून में 1980 से 85 तक एडीएम एफआर रहे। मुरादाबाद में तीन साल एडीएम ई। लखनऊ में एडीएम सिटी, लखनऊ विकास प्राधिकरण में दो वर्ष सचिव, उप्र चीनी विकास निगम में संयुक्त प्रबंध निदेशक, नगर विकास विभाग में विशेष सचिव रहे। 11 जुलाई 2000 को दिसंबर 2002 शाहजहांपुर के जिलाधिकारी रहे। जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर और मथुरा रहे। सहारनपुर मंडल में डेढ़ वर्ष कमिश्नर पद से सेवानिवृत्त हुए।
कृषि के क्षेत्र में भी दे रहे हैं योगदान
सेवानिवृत्त आईएएस राजीव कुमार सिंह शिक्षा के क्षेत्र में तो बच्चों को अपना योगदान दे ही रहे हैं। कृषि के क्षेत्र में भी किसानों में लोकप्रिय हैं। कहते हैं कि पैतृक गांव कुवेरपुर में 1969 में जब वे एमए कर रहे थे, तभी से कृषि के प्रति भी लगाव था। यही प्रारंभिक लगाव आज भी है। पहले किसानों के लिए गन्ने के लिए उन्होंने स्पेशल बीज तैयार किया था। इस बार आलू का बीज तैयार करने के लिए तैयारी की जा रही है। किसानों को इस बार आलू का भी बीज उपलब्ध कराया जाएगा।
पिता की राह पर चल रहे बेटे रोहित कुमार सिंह
राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आईएएस-आईपीएस बनाने के लिए प्रेरित करने को उनके बेटे रोहित कुमार सिंह भी साथ दे रहे हैं। रोहित शुरू से लेकर ही सभी कक्षाओं के मेधावी विद्यार्थी रहे। शाहजहांपुर में सेंट पाल के साथ ही रोहित की शिक्षा देहरादून के वेल्हम बायज स्कूल में हुई है। लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद उन्होंने जीएफ कालेज के इतिहास विभाग में दो वर्ष अध्यापन भी किया। इसके बाद खुद बच्चों को शिक्षा देने के लिए ही इस मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल की स्थापना कराई। इस स्कूल को अपने मित्र विनय कुमार सिंह जो ध्येय आईएएस के संस्थापक भी हैं के साथ जोड़कर बच्चों को आईएएस-आईपीएल बनाने की ठानी है। अब मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल का माहौल भी इसी के अनुरूप बनाया गया है। अभी यहां पर डे बोर्डिंग सुविधा शुरू की गई है। इसके बाद हास्टल तैयार होने पर बोर्डिंग सुविधा भी दी जाएगी ताकि बच्चों का आईएएस आईपीएस बनने का सपना साकार किया जा सके।
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