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NRI मर्डर केस : पत्नी रमनदीप की फांसी उम्रकैद में बदली, प्रेमी गुरप्रीत की सजा बरकरार

शाहजहांपुर के बंडा क्षेत्र में नौ वर्ष पूर्व हुए NRI सुखजीत सिंह मर्डर में दोषी पत्नी रमनदीप कौर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है। सहअभियुक्त पत्नी के प्रेमी उम्रकैद सजा को बरकरार रखा गया है।

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Narendra Yadav
फोटो में बाएं सुखजीत सिंह , दाईं ओर उनकी पत्नी व उसका प्रेमी गुरुप्रीत सिंह

फोटो में बाएं सुखजीत सिंह , दाईं ओर उनकी पत्नी व उसका प्रेमी गुरुप्रीत सिंह Photograph: (फाइल फोटो)

शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता। जनपद के बंडा क्षेत्र के गांव बसंतापुर में नौ साल पहले हुए एनआरआई सुखजीत सिंह हत्याकांड में दोषी पत्नी रमनदीप कौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से सुनाई गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है। वहीं, इस मामले में सहअभियुक्त पत्नी के प्रेमी गुरप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। यह फैसला न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि फैसले में न्यायाधीश को कल्पना और पूर्वाग्रह से दूर रहकर केवल तर्क और तथ्यों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

इंग्लैंड के डर्बी शहर निवासी रमनदीप बनी पति की हत्यारिन 

सुखजीत सिंह ने वर्ष 2000 में जालंधर की मूल निवासी और इंग्लैंड के डर्बी शहर में रहने वाली रमनदीप कौर से शादी की थी। विवाह के बाद रमनदीप और सुखजीत के पारिवारिक मित्र गुरप्रीत सिंह के बीच प्रेम संबंध बन गए। 28 जुलाई 2016 को सुखजीत अपने परिवार और गुरप्रीत के साथ भारत आए। 15 अगस्त को वे शाहजहांपुर के बसंतापुर स्थित फार्म हाउस पहुंचे। इसी दौरान दो सितंबर 2016 की सुबह सुखजीत का शव फार्म हाउस की पहली मंजिल पर खून से लथपथ मिला। पुलिस ने जांच के बाद पत्नी रमनदीप और गुरप्रीत को गिरफ्तार कर लिया।

सुनियोजित तरीके से की गई थी हत्या, लेकिन कोर्ट ने नहीं माना दुर्लभतम

आरोप था कि दोनों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से हत्या की। ट्रायल कोर्ट ने बेटे की गवाही को आधार मानते हुए 6 अक्तूबर 2023 को रमनदीप को फांसी और गुरप्रीत को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना कि हत्या की साजिश बेहद नृशंस थी, लेकिन इसे ‘दुर्लभतम श्रेणी’ (rarest of rare) में नहीं रखा जा सकता। इसलिए पत्नी रमनदीप की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। वहीं गुरप्रीत की उम्रकैद की सजा बरकरार रही।

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