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HEALTH: मोबाइल ले रहे लोगो की जान, बिगड़ रहे है रिश्ते, सेहत भी हो रही खराब, जाने क्या है कारण और समाधान

मोबाइल का अत्यधिक उपयोग रिश्तों में दरार, मानसिक तनाव और सामाजिक अलगाव का कारण बन रहा है। युवा और बच्चे मोबाइल की लत से प्रभावित हैं। संवादहीनता से रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। समाजसेवी चिकित्सक डा संगीता मोहन ने मोबाइल के दुष्प्रभावों से भी सचेत किया है।

Narendra Yadav & Harsh Yadav
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मोबाइल ले रहे लोगो की जान बिगाड़ रहा है रिश्ते Photograph: (इंटरनेट मीडिया)

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। मदनापुर थाना क्षेत्र के गांव में मोबाइल को लेकर डीएलएड छात्र की हत्या कर दी गई। मुंबई में मोबाइल गेम खेलने पर बेटे की हत्या, कुछ साल पहले मोबाइल से बात करते हुए अटसलिया रेलवे क्रासिंग पार करते समय महिला शिक्षक की ट्रेन से कटकर मृत्यु तथा मोबाइल के कारण दुर्घटनाओं में आए दिन असमय लोगों का जाना आम हो गया है। इसका स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। बूढे, बच्चे, जवान, महिला पुरुष, छात्र सभी मोबाइल रोग की चपेट में आ रहे हैं। मोबाइल के दुष्प्रभाव व उसके बचाव के समाधान के लिए यंग भारत न्यूज एक समाचार श्रृंखला शुरु कर रहा है। जिसके माध्यम से रोजाना मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से होने की वाली समस्याओं व उसके समाधान पर विचार दिए जाएंगे। आज यह पहली खबर आपके सामने है। आप खबर को पढने के बाद अपने विचार भी साझा कर सकते हैं। उन्हें फोटो के साथ उचित स्थान दिया जाएगा। 

दरअसल डिजिटल युग में मोबाइल फोन जहां एक ओर सुविधाएं बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह इंसानी रिश्तों में दरार भी पैदा कर रहा है। मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। एक समय था जब परिवार के सदस्य आपस में बैठकर बातचीत करते थे, लेकिन आज हर किसी का ध्यान मोबाइल स्क्रीन पर ही टिका रहता है।

मोटापा, डिप्लोपिया, माइग्रेन, फोमो व कार्पल टनल सिंड्रोम के शिकार हो रहे लोग 

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समाजसेवी चिकित्सक डा संगीता मोहन
समाजसेवी चिकित्सक डा संगीता मोहन Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक व समाजसेवी डा संगीता मोहन का मानना है कि मोबाइल की लत (मोबाइल एडिक्शन) मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रही है। युवा वर्ग दिन-रात सोशल मीडिया, गेम्स और वीडियो में डूबा रहता है, जिससे उनमें चिड़चिड़ापन, अकेलापन और अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके साथ ही पारिवारिक संवाद घटने लगा है, जिससे आपसी समझ कम हो रही है और रिश्तों में गलतफहमियां जन्म ले रही हैं। मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से लोग डिप्लोपिया की चपेट में आ रहे है। इस रोग में आंखों से चित्र डबल दिखने लगता है। जरूरत से ज्यादा प्रयोग से मोतियाबिंद की संभावना बढ जाती है। माइग्रेन, सिर दर्द, स्पेट आफ  कंप्फयूजन की समस्या बढ रही है। लोग मोबाइल का प्रयोग करते करते स्वयं ई- मोबाइल बनते जा रहे है। इससे मोटापा होने का खतरा है। महिलाएं मोबाइल दिखा दिखाकर बच्चों को खाना खिलाती है, इस कारण बच्चे जरूरत से ज्यादा खाना खाने के कारण मोटापा की चपेट में आ रहे है। मोबाइल की बेवसाइट वर्चुअल फ्रेंड बढते जा रहे हैं, लेकिन जिंदगी से असल दास्त गायब है। परिवार में सभी के हाथ मोबाइल होता है, इस कारण रिश्ते बिगड रहे हैा। पति -पत्नी भी आपस में बात नहीं कर पा रहे। बच्चों की तरह वृद्धजनों को भी मोबाइल में उलझा दिया जाता है। डा संगीता मोहन बताती है कि इस समय कार्पल टनल सिंड्रोम नाम की बीमारी हो रही है, जिसका मुख्य कारण मोबाइल है, इससे हाथों में झनझनाहट होने लगती है। सर्वाइकल प्राब्लम भी बढ रही है। बच्चे मोबाइल फियर यानी फोमो से ग्रसित हो रहे है, इस कारण उनमें चिडचिडापन, जिद, मारपीट, तोडफोड करने की आदत सी हो गई है। समाजसेवी रुचिता गुप्ता भी डा संगीता मोहन के विचारों को समाज से जोड रही है। उनका कहना है कि  मोबाइल के कारण दंपत्तियों के बीच भी तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है। एक-दूसरे को समय न देना, हर वक्त मोबाइल में व्यस्त रहना, शक और अविश्वास को जन्म देता है। इससे तलाक जैसे गंभीर मामले भी सामने आ रहे हैं। समाजसेवी नीलम गुप्ता का मानना है कि बच्चों पर इस कदर मोबाइल का बुरा प्रभाव पड रहा है कि वे किताबों के बजाय इंटरनेट मीडिया पर प्रश्नो का हल खोजने में लगे रहते हैा। माता-पिता भी बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल थमा देते हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।

मोबाइल का सीमित प्रयोग की समाधानः डा स्वप्निल 

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डॉ. स्वप्निल यादव
डॉ. स्वप्निल यादव Photograph: (स्वयं )

जीएफ कालेज के बायोटेक्नालोजी विभागाध्यक्ष समाजसेवी प्रोफेसर डा स्वप्निल यादव का कहना है कि मोबाइल का सीमित और सोच-समझकर उपयोग ही समाधान है। परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताना और आपसी संवाद को प्राथमिकता देना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।

 दंपत्तियों में तलाक की नौबत

एक महिला ने अदालत में तलाक की अर्जी दी, क्योंकि उसका पति हर वक्त मोबाइल पर सोशल मीडिया में व्यस्त रहता था। वह न तो बातचीत करता था और न ही परिवार को समय देता था। धीरे-धीरे रिश्ते में भावनात्मक दूरी आ गई।

 मोबाइल गेम की लत से छात्र की आत्महत्या
मुंबई में एक 16 वर्षीय छात्र ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके माता-पिता ने उसका मोबाइल छीन लिया था। वह "PUBG" जैसे गेम्स का आदी था और खुद को अकेला महसूस करने लगा था।

 रोड एक्सीडेंट – मोबाइल यूज़ करते वक्त
दिल्ली में एक व्यक्ति सड़क पार करते समय फोन पर बात कर रहा था। उसने ट्रैफिक लाइट को नजरअंदाज कर दिया और तेज रफ्तार कार से टकरा गया। मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई।

 फर्जी मैसेज से फैली अफवाह और हत्या
महाराष्ट्र के एक गांव में व्हाट्सएप पर बच्चा चोरी की अफवाह फैली। गांववालों ने एक अजनबी को चोर समझकर पीट-पीटकर मार डाला। बाद में पता चला कि वह व्यक्ति निर्दोष था।

बच्चों में गुस्सा और चिड़चिड़ापन
एक 7 साल के बच्चे को हर समय मोबाइल पर कार्टून और गेम्स देखने की आदत थी। जब उसके माता-पिता ने मोबाइल छीना, तो वह चिल्लाने लगा, चीजें फेंकने लगा और स्कूल जाना बंद कर दिया।

ऑनलाइन फ्रॉड / ठगी

 शाहजहांपुर में एक बुजुर्ग को कॉल आया कि उनका बैंक खाता बंद हो रहा है। उन्होंने डर के मारे OTP शेयर कर दिया। कुछ ही मिनटों में उनके खाते से ₹75,000 निकल गए।

पढ़ाई में गिरावट
एक छात्र जो पहले कक्षा में अव्वल आता था, उसने मोबाइल पर TikTok और Instagram में इतना समय बिताना शुरू किया कि उसका रिजल्ट बेहद खराब आ गया और वह अवसाद में चला गया।

पारिवारिक दूरी और संवाद में कमी
त्योहार के दिन पूरा परिवार एक ही कमरे में था, लेकिन सबके हाथ में मोबाइल था। दादी ने शिकायत की: "पहले त्योहार पर बातें होती थीं, अब सब फोन में ही घुसे रहते हैं।"

मोबाइल के कारण हनियां 

  1. रिश्तों में दरार:

    • एक पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत इसलिए आ गई क्योंकि पति हमेशा मोबाइल पर व्यस्त रहते थे और पत्नी को समय नहीं देते थे। धीरे-धीरे शक और अविश्वास ने रिश्ते को खत्म कर दिया।

  2. दुर्घटना में मौत:

    • कई बार देखा गया है कि लोग सड़क पार करते समय या गाड़ी चलाते हुए मोबाइल का उपयोग करते हैं। एक युवक वीडियो कॉल करते हुए सड़क पार कर रहा था और ट्रक की चपेट में आ गया।

  3. पढ़ाई से दूरी:

    • एक छात्र, जो बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा था, दिन-रात मोबाइल गेम खेलने में लगा रहा। परिणामस्वरूप वह परीक्षा में फेल हो गया और मानसिक तनाव में चला गया।

  4. साइबर बुलिंग और आत्महत्या:

    • एक किशोरी को सोशल मीडिया पर ट्रोल और साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा। इससे वह डिप्रेशन में चली गई और अंततः आत्महत्या कर ली।

  5. बच्चों में व्यवहारिक बदलाव:

    • एक 6 साल का बच्चा मोबाइल गेम्स का आदी हो गया था। जब माता-पिता ने मोबाइल छीनने की कोशिश की, तो वह हिंसक व्यवहार करने लगा और चीजें फेंकने लगा।

  6. पारिवारिक संवाद की कमी:

    • एक संयुक्त परिवार में त्योहार के मौके पर सब लोग एक-दूसरे से मिलने के बजाय मोबाइल में व्यस्त थे। दादी ने दुखी होकर कहा – "पहले त्योहार साथ मनाए जाते थे, अब सब स्क्रीन के साथ रहते हैं।"

  7. फर्जी खबरों के कारण अफवाह और हिंसा:

    • एक गांव में मोबाइल पर आई फर्जी खबर ने अफवाह फैला दी और भीड़ ने एक निर्दोष व्यक्ति को मार डाला, जिसे बच्चा चोर बताया गया था।

  8. ऑनलाइन ठगी:

    • एक बुजुर्ग व्यक्ति को कॉल पर बताया गया कि उनका ATM ब्लॉक हो गया है और उनसे OTP लेकर हजारों रुपये निकाल लिए गए।

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