शाहजहांपुरवाईबीएनसंवाददाता
जलालाबाद थाना क्षेत्र में 2003 में हुई एक नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के मामले में स्थानीय अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट गरिमा सिंह ने दोषी बल्ली उर्फ बल्लीराम को दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला गवाहों के बयानों और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर लिया गया है।मामले की शुरुआत जलालाबाद थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर से हुई थी। उसने बताया था कि उसकी कक्षा सात में पढ़ने वाली बेटी को बल्ली नामक युवक से मिलते-जुलते देखा गया था, जिस पर उसने अपनी बेटी को डांटा भी था।
31 अक्टूबर 2003 को यह घटनाक्रम तब और गंभीर हो गया जब उसकी बेटी शौच के लिए खेत पर गई, लेकिन उसके बाद वह घर नहीं लौटी। पिता ने पुलिस को बताया कि बल्ली उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया था। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर लापता छात्रा की तलाश शुरू की।पुलिस की गहन छानबीन के बाद पीड़िता को ढूंढ लिया गया और मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू की गई। यह मामला पिछले कई वर्षों से अदालत में विचाराधीन था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाहों के बयान प्रस्तुत किए, जिन्होंने घटना की पुष्टि की।विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट गरिमा सिंह ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद पाया कि बल्ली उर्फ बल्लीराम दुष्कर्म का दोषी है। अदालत ने दोषी को दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, जो ऐसे गंभीर अपराधों के खिलाफ समाज को एक कड़ा संदेश देता है। यह फैसला दिखाता है कि कानून नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त रुख अपनाता है और दोषियों को उनके किए की सजा मिलती है।
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