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Photograph: (वाईबीएन NETWRK)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता।भारत रत्न और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि के अवसर पर शनिवार को मदरसा नुरुल हुदा, बिजली पूरा में एक विज्ञान प्रदर्शनी और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ज्ञानेंद्र मोहन 'ज्ञान' ने की, जबकि संचालन प्रधानाचार्य इकबाल हुसैन उर्फ फूल मियां ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों द्वारा बनाए गए विज्ञान मॉडल की प्रदर्शनी से हुई। विद्यार्थियों ने जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, वोल्केनो मॉडल, इलेक्ट्रिक सर्किट जैसे विषयों पर मॉडल तैयार किए जिन्हें लोगों ने सराहा। विज्ञान के प्रति बच्चों की रुचि और समझ ने उपस्थित जनों को प्रभावित किया।
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इसके बाद शुरू हुई काव्य गोष्ठी में शायरों और कवियों ने डॉ. कलाम को याद करते हुए अपने-अपने अंदाज में श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ शायर असगर
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यासिर ने पढ़ा–
चिरागे राह जो बनकर रहे तो बात भी है,
हम इस तरह से मुन्नवर रहे तो बात भी है...
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वरिष्ठ शायर हमीद खि़ज़र ने कहा–
थकन दिन की भुलाना चाहते हैं,
परिंदे आशियाना चाहते हैं...
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कविता पाठ करते हुए अध्यक्षता कर रहे ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान ने कहा–
उलझे हैं प्रश्न सभी,
बार-बार गिनना क्या,
बैठो मत इस तरह उदास,
सुलझाने का करो प्रयास।
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मोहतरमा गुलिस्ताँ खान ने कहा–
हमें मिटाने की कोशिश फुजूल है नादाँ,
हमें मिटाने की कोशिश में मर गई दुनिया।
खलीक अहमद शौक की पंक्तियों ने भी सबका ध्यान खींचा–
है साथ में खुदा तो मेरे दोस्त क्या कहूँ,
कश्ती का होगा कौन निगेहबां तेरे बगैर।
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वरिष्ठ कवि अजय अवस्थी ने कहा–
नादान है खुदा के जैसा होना चाहता है,
बेटा अपने बाप के बराबर होना चाहता है।
वहीं शायर कासिम अख्तर वारसी ने डॉ. कलाम को समर्पित करते हुए कहा–
ऐ कलाम तुमको सलाम हो,
तेरी याद सुबहो शाम हो...
वो कलाम थे, वो महान थे,
वो हमारे देश की शान थे...
कार्यक्रम के अंत में शिक्षक नेता जुबैर आलम अंसारी ने सभी उपस्थितजनों, कवियों, शायरों और प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर इमरान सईद खां, शाह नवाज खां, फैसल फैज़, फैजान आतिफ, इज़हार हसन, शारिक अली खां, सै. शारिक अली, सुबूही खानम, साजिद अली खां, मो. जाहिद, मोईन खां, सै. कामरान हुसैन, मो. जहूर खां, सै. हैदर अली व अब्दुल कादिर सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
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