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मधुमक्खी उत्पादन को लगाए गए बाक्स। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
विश्व मधुमक्खी पालन दिवस 20 मई को पूरी दुनिया मनाएगी। इस बार की थीम "प्रकृति से प्रेरित होकर हम सभी का पोषण करने वाली मधुमक्खियां" है। शाहजहांपुर जिला भी शहद की मिठास की ओर लगातार बढ़ रहा है। किसान परंपरागत खेती से मुंह मोड़कर मधुमक्खी पालन से जुड़ रहे हैं। इस कारोबार ने कई किसानों की जिंदगी को बदलकर रख दिया है। कारोबार बढ़ाते हुए दिल्ली, उत्तराखंड और बरेली तक किसान शहद की सप्लाई कर रहे हैं। बड़ी कंपनियां शहद को अपना ब्रांड बनाकर बेच रहीं हैं। किसानों की आय बढ़ने के बाद लगातार मधुमक्खी पालन करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसकी एक वजह प्रदेश सरकार द्वारा 40 फीसदी अनुदान भी है, जिससे लोग जुड़ रहे हैं।
जिले में गन्ना और गेहूं-धान को परंपरागत खेती माना जाता है। इसमें बेहतर आय न होने के चलते किसानों ने दूसरे विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं। जिले के करीब 100 से 200 किसानों ने मधुमक्खी पालन का कारोबार करते हुए अपनी आय में इजाफा किया है। इसमें कांट और पुवायां, तिलहर, निगोही, कलान, अल्लाहगंज के कृषक शामिल हैं। जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक ने बताया कि पहले गिने-चुने किसान ही मधुमक्खी का पालन करते थे। अब इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। शहद की कंपनियों द्वारा स्थानीय पालकों से शहद खरीदकर प्रोसेसिंग के बाद ऊंचे दामों में बिक्री किया जाता है। इसकी वजह 40 फीसदी अनुदान है।
यह योजना है शहद उत्पादन करने वाले किसानों को लाभकारी
किसानों को दो लाख बीस हजार रुपये पचास बाक्स स्थापित करने के लिए खर्च करने होते हैं। इसके बाद उद्यान विभाग किसानों द्वारा स्थापित मधुमक्खी पालन के बाक्सों को निरीक्षण करके 40 फीसदी अनुदान यानी 88 हजार रुपये किसानों को देता है। इन बाक्स से 20 से 25 लीटर तक शहद प्राप्त होता है। जोकि बाजार में 140 से 150 रुपये प्रति लीटर तक थोक में बिक जाता है। फुटकर में इसकी कीमत 240 से 250 रुपये प्रति किलो होती है। पचास बाक्स से किसानों को सालाना करीब दो लाख रुपये की आय आसानी से हो जाती है। साथ मधुमक्खी पालन से मोम भी निकलता है, इसकी बिक्री अलग होती है।
शाहजहांपुर में सालाना 120 से 150 टन शहद उत्पादन
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जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक ने बताया कि जिले में करीब तीन से साढ़े तीन हजार कालोनी हैं। करीब दो सौ किसान इससे जुड़े हैं। 120 से 150 टन शहद सालाना जिले में उत्पादन हो रहा है। इसकी कीमत करीब पौने दो करोड़ तक है। बागवानी मिशन के तहत इस योजना को उत्तर प्रदेश सरकार लगातार प्रोत्साहन दे रही है। शहद उत्पादन के कारोबार में दिलचस्पी रखने वाले किसान उद्यान विभाग में आकर संपर्क कर सकते हैं। पचास बाक्स स्थापित हैं तो निरीक्षण के बाद उन्हें अनुदान दिलाया जाएगा। अनुसूचित जाति-जन जाति के लोगों को भी इसमें विशेष छूट का प्रावधान है।
बाहर के किसान भी शाहजहांपुर में आकर करते हैं मौन पालन
जिले में फूल वाले पेड़ों, जंगलों और आसपास मौसम के हिसाब से बाक्स रखकर कारोबार किया जाता है। बताते हैं कि जैतीपुर इलाके में राजस्थान से आकर भी किसान बाक्स लगाते हैं। किसान मधुमक्खी पालन के लिए हिमाचल और उत्तराखंड भी जाते हैं।
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