Social concern: बाल गृह में शिक्षक बने रायन इंटरनेशनल के विद्यार्थी, एक महीने में बच्चों को बनाएंगे दक्ष
शाहजहांपुर के रायन इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों ने सामाजिक सरोकार का बड़ा काम शुरू किया है। यह बच्चे बाल गृह में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। एक महीने की छुट्टियों में यह बालगृह के बच्चों को दक्ष बनाएंगे।
रायन इंटरनेशनल स्कूल के कुछ विद्यार्थियों की भूमिका इन दिनों एक कुशल शिक्षक के रूप में नजर आ रही है। यह एक तो बहुत बड़ा सामाजिक सरोकार कर रहे हैं। इनके भीतर भरपूर आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है। इन्हें खुशी महसूस हो रही है कि वे बाल गृह में उन बच्चों को पढ़ा रहे हैं जोकि अपने माता-पिता से दूर हैं। इन विद्यार्थियों को इस बात की भी कोई चिंता फिक्र नहीं हैं कि गर्मी की छुट्टियों में कहीं घूमने जाकर बिताएंगे। इन्हें बस यह चिंता है कि वे कैसे एक माह में बाल गृह के बच्चों को पढ़ाकर दक्ष करेंगे।
इंटर्नशिप बच्चों के लिए बड़ी परिवर्तनकारी यात्रा
बाल गृह में बच्चों को पढ़ाते विद्यार्थी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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यह अच्छी पहल शुरू हुई है रायन इंटरनेशनल स्कूल की ओर से जिसकी विद्यार्थियों के अभिभावकों ने भी सराहना की है। प्रधानाचार्य वर्षा अग्रवाल की अगुवाई में यह सामाजिक सरोकार प्रोजेक्ट बाल गृह में इंटर्नशिप के नाम से शुरू किया गया है। बाल गृह में बच्चों को पढ़ाने के अनुभव साझा करते हुए बच्चों ने बताया कि यह हमारे लिए परिवर्तनकारी यात्रा की तरह है, जो कक्षा से परे अमूल्य अनुभव प्रदान करती है। इसने हमें शिक्षा के वास्तविक-विश्व महत्व को सिखाया, न केवल एक विषय के रूप में, बल्कि सशक्तिकरण के एक उपकरण के रूप में। युवा, परित्यक्त बच्चों के साथ काम करते हुए, हमने पाया कि युवा जीवन को आकार देने में छोटे-छोटे प्रयास भी कितने प्रभावशाली हो सकते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने से न केवल हमारी जिम्मेदारी की भावना गहरी हुई, बल्कि हमें स्कूली शिक्षा के विशेषाधिकार और शक्ति की भी याद आई। यह इंटर्नशिप केवल वापस देने के बारे में नहीं थी - यह एक साथ बढ़ने के बारे में थी।
यह विद्यार्थी निभा रहे हैं सामाजिक सरोकार
बाल गृह में अंग्रेजी सिखाती रायन इंटरनेशनल की विद्यार्थी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
बच्चों ने खुद तय किया अपना प्रोजेक्ट, बड़ी खुशी हुईः प्रधानाचार्य
बाल गृह में पढ़ाते रायन इंटरनेशनल के विद्यार्थी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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रायन इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्य वर्षा अग्रवाल कहती हैं कि बच्चों ने खुद अपना प्रोजेक्ट तय किया तो हमें भी बहुत खुशी हुई। बच्चों ने बाल गृह में पढ़ाने जाने के लिए बहुत ही दिलचस्पी दिखाई है। अलग-अलग सब्जेक्ट बच्चे बाल गृह में पढ़ा रहे हैं। बाल गृह के बच्चों से उनकी दिलचस्पी पूछी गई और उसी विषय को हमारे विद्यार्थी पढ़ा रहे हैं। हमने बच्चों से अनुभव साझा किए तो रोचक और अच्छी जानकारी सामने आई। बाल गृह के बच्चे भी बहुत खुश हैं और हमारे विद्यार्थियों के पढ़ाए गए विषयों को अच्छी तरह से समझ भी रहे हैं।