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आरोपी को आजीवन कारावास Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता । जिस बच्ची ने अभी जिंदगी की राह पकड़नी शुरू ही की थी, उसकी मासूमियत को दरिंदगी ने निगल लिया। परौर क्षेत्र की एक अनुसूचित जाति की 14 वर्षीय बालिका के अपहरण मामले ने पूरे इलाके को झकझोर दिया था। अब करीब नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराकर आजीवन कारावास की सजा सुनाकर न्याय की उम्मीद को मजबूत किया है।
दोषी को आजीवन कारावास की सजा, ₹37,000 का जुर्माना
पॉक्सो विशेष न्यायालय, शाहजहांपुर ने अनुसूचित जाति की नाबालिग किशोरी के अपहरण के मामले में कठोर निर्णय सुनाया है। अपर सत्र न्यायाधीश शिवकुमार तृतीय ने आरोपी अमित उर्फ अमीरे निवासी चौराबगर खेत (थाना कलान) को भारतीय दंड संहिता, एससी/एसटी अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत दोषी पाते हुए आजन्म कारावास और ₹37,000 के अर्थदंड से दंडित किया।
2016 से लंबित था मामला, पीड़िता की हो चुकी है मृत्यु
मामले की शुरुआत 23 जनवरी 2016 को हुई थी जब परौर क्षेत्र की एक महिला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी नाबालिग पुत्री घर पर अकेली थी तभी आरोपी उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। गांव के ही एक व्यक्ति ने आरोपी को टाटा मैजिक वाहन में किशोरी को ले जाते देखा था। पुलिस ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की और पर्याप्त साक्ष्य जुटाकर चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही पीड़िता की मौत हो गई, जिससे मामला और भी अधिक संवेदनशील हो गया।
न्यायाधीश की बोले : ऐसे अपराध समाज के लिए कलंक
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश शिवकुमार तृतीय ने कहा अनुसूचित जाति की मासूम बालिका के साथ किया गया यह कृत्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यह सामाजिक मूल्यों की हत्या है। समाज के कमजोर तबकों की बेटियों की अस्मिता की रक्षा न्यायालय का धर्म है। दोषियों को सख्त सजा देकर ही सामाजिक संतुलन और न्याय की भावना कायम की जा सकती है।"
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