जाम का झाम: अतिक्रमण से सिकुड़ रही सड़कें, जिम्मेदार खामोश
तिलहर नगर में मुख्य चौराहा विरियागंज दिन में लगभग दो-चार बार जाम के कारण राहगीरों की मुसीबत बन चुका है। पुलिस पिकेट के नाम पर खड़े होने वाले होमगार्ड्स यातायात को नियंत्रित कर पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं नतीजतन नागरिक बेहाल हैं।
जनपद की सबसे बड़ी नगर पालिका तिलहर का मुख्य चौराहा विरियागंज लगभग हर दिन सिकुड़ रही सड़कों और बढ़ते अतिक्रमण के कारण जन सामान्य की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रहा है। दिन में दो-चार बार जाम लगना जैसे आम बात हो चुकी है पुलिस पिकेट के नाम पर तैनात होमगार्ड यातायात को नियंत्रित करने में खुद को असहाय महसूस करते हैं।
अतिक्रमण के नाम पर खाना पूरी बनी अतिक्रमण की खास वजह
शासन के निर्देश पर चलाई जाने वाले अतिक्रमण अभियान कोतवाली से जोरशोर से शुरू होते हैं किंतु हिंदू पट्टी तिराहे तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देते हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए कोई स्पष्ट नीति, गाइड लाइन या फिर निष्पक्ष कार्रवाई न होने के कारण हर बार पक्षपात का आरोप लगता रहता है। अतिक्रमण का स्पष्ट चिन्ह्यांकन न होने से यातायात में बाधक बनने वाले स्थल अतिक्रमण अभियान से अछूते रह जाते हैं और अपनी हद रहने के बावजूद स्थलों पर प्रशासन का गुस्सा कुछ ज्यादा ही दृष्टिगोचर होता है।
नगर में मुख्य मार्गों पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सामने खड़े होने वाले दोपहिया और चौपाहिया वाहन जाम लगने का बड़ा कारण बनते हैं वहीं दूसरी तरफ अनियंत्रित ई रिक्शा भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। गन्ने की बैलगाड़ियां ट्रैक्टर-ट्रॉली और भारी वाहन के लिए डायवर्जन ना होने के कारण स्कूली बच्चे जाम में फंसकर लगभग रोज ही परेशान देखें जाते हैं। चौराहे पर मौजमपुर पंजाबी कॉलोनी से विरियागंज चौकी, तक पहले जैसी नो पार्किंग जोन बनाना समस्या को कुछ हद तक सुलझा सकता है।
पूर्व में तत्कालीन कोतवाल राजकुमार शर्मा ने दिन में रेलवे स्टेशन से आने वाले ई-रिक्शा और मध्यम व भार वाहनों को पोर्टर गज, तथा उमा टकीज से पंजाबी कलोनी मौजमपुर की तरफ डाइवर्ट करने के लिए पुलिस पिकेट तैनात की थी और बुजुर्ग बीमारो के लिए छूट देते हुए अन्य सभी वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया था इससे कुछ हद तक व्यवस्था में सुधार था किंतु यह व्यवस्था तत्कालीन समय में बंद हो जाने से फिर चौराहे पर जाम दिन में दो-चार बार लगने लगा है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर पहले जैसी वन वे रूट व्यवस्था यातायात के लिए संजीवनी का काम कर सकती है।
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