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सुभाष टावर शाहजहांपुर Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता ।शहर का ऐतिहासिक प्रतीक सुभाष टावर, जिसे आमतौर पर घंटाघर कहा जाता है, इन दिनों ठेले-गाड़ियों और अनियंत्रित अस्थायी दुकानों के कारण रोजाना जाम की चपेट में है। यह स्थल जहां कभी रैलियों आंदोलनों और सामाजिक आयोजनों का केंद्र रहा करता था, अब अफरा-तफरी और अव्यवस्था का पर्याय बनता जा रहा है।
घंटाघर के आसपास सड़कों पर ठेले और गाड़ियाँ जिस तरह से अव्यवस्थित रूप से खड़े किए जा रहे हैं, उससे खासकर सुबह और शाम के समय भारी जाम लग जाता है। बच्चों को स्कूल और कर्मचारियों को दफ्तर पहुंचने में देरी होना आम बात हो गई है।
स्थानीय निवासी रमेश चंद्र का कहना है हर दिन इसी जाम से जूझना पड़ता है। प्रशासन को कई बार शिकायत की पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।इसी प्रकार अंजान चौकी क्षेत्र में भी दुकानदारों ने सड़क किनारे अतिक्रमण कर लिया है जिससे मुख्य मार्ग की चौड़ाई घट गई है और यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
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स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार प्रशासन को शिकायत की गई, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। "हम रोज़ इसी जाम में फँसते हैं, बच्चों को स्कूल पहुँचाने में देरी होती है," एक स्थानीय निवासी ने बताया। ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी कभी-कभी होती है, पर वह भी इस भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाती।
समस्या को और गंभीर बनाता है अंजान चौकी के आसपास का क्षेत्र, जहाँ ये दुकानदार अपने ठेले लगाते हैं। इससे सुभाष टावर ( घंटाघर ) के आसपास अव्यवस्था फैल जाती है, जिससे ना केवल यातायात प्रभावित होता है बल्कि ऐतिहासिक स्थल की गरिमा भी कम होती जा रही है।
नगरवासियों की माँग है कि प्रशासन जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए। इसके लिए या तो इन अस्थायी दुकानों के लिए वैकल्पिक स्थान निर्धारित किया जाए या नियमित निगरानी की व्यवस्था की जाए, ताकि घंटाघर का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व बना रह सके।
वर्जन यातायात निरीक्षक
यातायात निरीक्षक विनय पांडेय ने जानकारी देते हुए कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए समय-समय पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं। सुभाष टावर और अंजान चौकी क्षेत्र में ट्रैफिक पुलिस की नियमित तैनाती रहती है, लेकिन बढ़ते ट्रैफिक और अतिक्रमण के चलते स्थिति संभालना चुनौतीपूर्ण है।