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उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद स्थित शोध संस्थान भवन Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाताः उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। हाईकोर्ट ने परिषद निदेशक के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत नवंबर माह से पेंशन बंद कर दी गई थी। कोर्ट के फैसले से प्रदेश भर के रिटायर्ड और वर्तमान कर्मचारियों में उत्साह की लहर दौड़ गई है।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए शुक्रवार का दिन उम्मीद की नई किरण लेकर आया। हाईकोर्ट ने परिषद निदेशक की ओर से जारी उस विवादित आदेश को स्थगित कर दिया है, जिसके चलते नवंबर माह से पेंशन रोक दी गई थी।
31 अक्टूबर 2025 को वर्तमान प्रभारी निदेशक एवं अपर आयुक्त (विकास) डॉ. वीकेशुक्ला ने एक एक्ट का हवाला देते हुए सभी रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन बंद करने का निर्देश जारी किया था। इस आदेश के बाद कर्मचारियों में भारी आक्रोश फैल गया था और वे आर्थिक संकट से जूझने लगे थे।
पूर्व जेडी डा शुचिता सिंह की याचिका से मिली राहत
गन्ना शोध परिषद के सेवानिवृत्त कमर्चारियों का बुढापे का सहारा बनी पूर्व संयुक्त निदेशक डा शुचिता सिंह। उन्होंने हाईकोर्ट में पेंशन बंद किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की। इससे
पेंशन बंदी से भुखमरी के कगार के पहुंच चुके वरिष्ठ नागरिकों को जिंदगी की नई आस जाग उठी। हाईकोर्ट ने डा शुचिता सिंह की ओर से दायर याचिका पर आज यानी 21 नवंबर को सुनवाई की। जिसमें प्रभारी निदेशक डॉ. वीके शुक्ला को भी अदालत में व्यक्तिगत रूप से स्वयं उपस्थित होना पड़ा।
निदेशक भी जान रहे थे हो गई चुक
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने निदेशक से कई महत्वपूर्ण सवाल किए और अंततः परिषद के पेंशन बंद करने वाले आदेश पर सीधे तौर पर स्टे जारी कर दिया। यानी अब सभी सेवानिवृत कर्मचारियों को पूर्व की भांति पेंशन मिलती रहेगी। खबर मिलते ही पूरे प्रदेश के रिटायर्ड कर्मचारियों और सेवारत स्टाफ में खुशी की लहर दौड़ गई। कई कर्मचारियों ने इसे "बुढ़ापे का सहारा लौटने जैसा फैसला बताया है।
लेकिन खतरे की घंटी बरकरार
हाईकोर्ट ने पेंशन पर अभी स्थगन आदेश जारी किया है। सुनवाई की अगली तिथि 28 नवंबर नियत की गई है। हाईकोर्ट से यह राहत जरूर मिली है, लेकिन यदि गवर्निंग बाडी से पेंशन बंदी का आदेश पारित करा लिया गया तो सेवा निवृत्त कार्मिकों की मुश्किलें बढ सकती है, इसलिए कर्मचारी संगठन हितों की रक्षा के लिए रणनीति में जुटे हैं, इसके लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन की भी रणनीति बनाई जा रही है
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