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UPSC Result 2024: बाहरी खर्चे कम करिए, पहले बच्चे पढ़ाएं, स्वागत समारोह में बोले यूपीएससी क्रैक करने वाले शकील

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने के बाद अपने गृह नगर पहुंचे शकील अहमद ने स्वागत समारोह में बाहरी खर्चे कम करके बच्चो की पढ़ाई कराने पर जोर दिया। कहा कि बच्चों के पढ़ने से मां-बाप का बुढ़ापा अच्छा कटता है।

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Akhilesh Sharma
शाहजहांपुर

शकील अहमद मंसूरी अपनी मां नफीसा और पिता हाजी तसब्बर हुसैन के साथ। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता

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यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करके अपने गृह नगर पहुंचे शकील अहमद मंसूरी ने स्वागत समारोह में बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाहरी खर्चे बंद करके सभी अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ें। क्योंकि बच्चे पढ़ेंगे तो मां-बाप का बुढ़ापा अच्छा कटेगा।

शकील अहमद यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद पहली बार गुरुवार की शाम दिल्ली से तिलहर पहुंचे थे। उनके स्वजनों ने अपने घर पर ही शकील के सम्मान में स्वागत का कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में शकील ने बच्चों और अभिभावकों को अच्छा संदेश दिया। शकील ने कहा कि मुझे पता है कि जब देश आजाद हुआ तो 17 प्रतिशत लोग ही हमारे देश में पढ़े लिखे थे। अब हमारे मोहल्ले में 16 प्रतिशत लोग ही पढ़े लिखे हैं। यह बहुत अफसोस की बात है। यह संख्या बहुत कम है। 70 साल में हम इससे ऊपर नहीं उठ पाए। अब हर मां-बाप की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं। छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी से तैयारी करें। क्योंकि आपके बच्चे पढ़ेंगे तो आपका बुढ़ापा आसान होगा। 

मैने हिम्मत मां से सीखी, ईमानदारी बाप से और संघर्ष भाइयों से सीखा 

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शकील कहते हैं कि मेरी जिंदगी के कई पहलू हैं। मां-बाप और भाइयों के प्यार ने मुझे इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया है। मैने हमेशा अपनी मां से हिम्मत सीखी। बाप से ईमानदारी सीखी और अपने भाइयों से मैने संघर्ष सीखा। मैने हमेशा सोचा कि भाई अपने कारोबार को कितनी मेहनत से करते हैं। अगर मैं पढ़ूंगा नहीं तो कैसे आगे बढ़ूंगा। मुझे पिता की ईमानदारी भी याद आती थी उससे सबक लेता था कि जिंदगी में इसे उतार लूं। मां की हिम्मत से मैने बहुत कुछ सीखा और मां-बाप और भाइयों से जो अच्छाइयां मैने सीखीं उन्हें अपनी जिंदगी में उतार लिया। यही मेरी जिंदगी की सफलता कह सकते हैं। 

बीमार था फिर भी मैने पेपर तैयार करने में हार नहीं मानी

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आईपीएस बने शकील अहमद का स्वागत करते लोग। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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शकील कहते हैं कि मैने जो तय किया उसे पूरा किया। मुझे डेंगू हो गया था। लेकिन मैं डरा नहीं। मैने सेंंटर पहुंच कर कांपते हाथों से पेपर तैयार किए। दोस्त से अनुरोध किया बस मुझे सेंटर तक पहुंचा दे। कांपते हाथों से पेपर तैयार करके भी मैने घर यह बात किसी को नहीं बताई। पेपर तैयार होते ही मै सीधे हास्पिटल पहुंचा। मेरी प्लेटलेट्स बहुत कम थी। इसके बाद इंटरव्यू हुआ था। जिसमें मेरा 506वीं रैंक पर मेरा सलेक्शन हुआ। मेरा भाई, बहन, भांजी, भतीजा-भतीजियां सभी से अनुरोध है सभी बच्चों को जरूर पढ़ाएं। बच्चों को पढ़ाने में कोई संकोच नहीं करें। 

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