Shahjahanpur News: मीडिया कार्यशाला में महिला स्वास्थ्य पर चर्चा, डाक्टर बोले-हर दिन 13 महिलाएं असुरक्षित गर्भपात से गंवाती है जान
शाहजहांपुर में प्रसार संस्था व साझा प्रयास के संयुक्त में मीडिया प्रतिनिधियों एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम में एमटीपी एक्ट 2021 के प्रावधानों, सुरक्षित गर्भ समापन और मातृ मृत्यु दर में कमी जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
जनपद में आज प्रसार संस्था बाराबंकी एवं साझा प्रयास के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य सुरक्षित गर्भ समापन और गर्भ निरोधक सेवाओं के प्रति जन-जागरूकता फैलाना रहा।
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
कार्यक्रम में जिले के मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला की शुरुआत प्रसार संस्था के सचिव शिशुपाल द्वारा स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा कि अनचाहे गर्भ और असुरक्षित गर्भपात के विषय पर सरकार जहां विभिन्न विभागों के साथ मिलकर कार्य कर रही है वहीं मीडिया की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि साझा प्रयास नामक नेटवर्क लगातार इस मुद्दे पर मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैला रहा है। कार्यक्रम में उन्होंने मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP Act) संशोधन 2021 की प्रमुख बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि अब विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भपात की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। भ्रूण विकृति के मामलों में मेडिकल बोर्ड की अनुमति से किसी भी समय गर्भपात कराया जा सकता है। अविवाहित महिलाओं को भी अब गर्भनिरोधक विफलता की स्थिति में गर्भपात का अधिकार प्राप्त है।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक कुमार मिश्रा ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भारत में प्रतिदिन 13 महिलाएं असुरक्षित गर्भपात के कारण अपनी जान गंवा देती हैं। मातृ मृत्यु दर में 8 प्रतिशत मौतें केवल असुरक्षित गर्भपात के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि गर्भपात जितना शीघ्र कराया जाए, उतना ही सुरक्षित होता है। यदि गर्भ 9 सप्ताह तक का हो तो गोलियों के माध्यम से भी समापन संभव है। उन्होंने गर्भ समापन के बाद महिलाओं में पोषण की कमी को भी गंभीर चिंता बताया। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि गर्भपात एक महिला के लिए मानसिक,सामाजिक और शारीरिक रूप से जटिल निर्णय हो सकता है। ऐसे में पति एवं परिवार को उसका साथ देना चाहिए और उसे सुरक्षित एवं वैध सेवाएं दिलाने में मदद करनी चाहिए। इस मौके पर यश ने त्रिपाठी अपर शोध अधिकारी, विमला बहन विनोबा सेवा आश्रम, कुमार निदेशक, कमला सिंह सलाहकार, साझा प्रयास ने भी अपने विचार साझा किए और मीडिया से इस दिशा में सहयोग की अपील की।