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Politics on Yamuna: दर्द से कराहती यमुना के जख्मों पर लगा रहे हैं 'विषाक्त राजनीति' का मरहम

गंदगी के बोझ से यमुना नदी व्याकुल है और गंभीर रूप से बीमार है। नदी अपना इलाज चाहती है। बिना उपचार के बिलखती है, चीखती है, चिल्लाती है। इस नदी का सबसे बड़ा दुख है कि एक जीवंत पौराणिक नदी को नाले में बदल दिया गया है। आइए जानते है इसका हाल... 

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Mukesh Pandit
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Photograph: (File)

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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देश की चौथी सबसे बड़ी नदी यमुना एक बार फिर गंदी और 'अशिष्ट' राजनीतिक बयानबाजी से आहत है। हिमालय से निकलकर प्रयागराज में गंगा से मिलन करने वाली इस पावन नदी के किनारे मथुरा-वृंदावन जैसे धार्मिक शहर हैं तो विश्व प्रसिद्ध ताजमहल गर्व से खड़ा है, लेकिन दिल्ली में यह नदी दूषित राजनीति की वजह से गहरे दर्द में हैं। दिल्ली में यमुना नदी गंदे और प्रदूषित पानी के लिए बदनाम है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा तीनों ही पार्टियां चुनाव के वक्त यमुना की सफाई के बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन क्या सही में वह इन वादों पर खरा उतर पाती हैं। एक सवाल यह भी है कि क्या इस चुनाव में यमुना के प्रदूषण के मुद्दे पर वोट डाले जाएंगे? आइए करते हैं पूरी पड़ताल।

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बीमार नदी चाहती है उपचार

गाद और गंदगी के बोझ से यमुना नदी व्याकुल है और गंभीर रूप से बीमार है। नदी अपना इलाज चाहती है। बिना उपचार के बिलखती है, चीखती है, चिल्लाती है। सूर्य पुत्री कहलाने वाली इस नदी का सबसे बड़ा दुख है कि एक जीवंत पौराणिक नदी को नाले में बदल दिया गया है। इसके लिए सबसे बड़ी गुनहगार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है, जो प्रतिदिन 80 करोड़ लीटर बिना ट्रीट किया हुआ गंदा पानी इस नदी में बहाती है। इसकी बड़ी कीमत नदी को चुकानी पड़ रही है। वस्तुत कालीदास की तरह दिल्ली उस टहनी को ही काट रही है, जिस पर वह बैठी हुआ है। बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, राजनीति वादे किए जाते हैं, लेकिन कोई भी यमुना की बीमारी का इलाज नहीं कर रहा है। रिपोर्ट कहती हैं कि दिल्ली में 22 किलोमीटर का यमुना का हिस्सा, वज़ीराबाद से ओखला तक, सबसे ज़्यादा प्रदूषित है। यहां शहर का 50% सीवेज बिना साफ किए सीधे नदी में गिरता है। कई जगहों पर नदी का पानी इतना जहरीला है कि इसमें जलीय जीवन भी नहीं पनप सकता।

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नाव में बैठकर यमुना का हाल जानते कांग्रेस नेता राहुल गांधी। Photograph: (File)
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यमुना पर राजनीतिक बयानबाजी

दरअसल, यमुना के पानी में अमोनिया की ज़्यादा मात्रा को लेकर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद अचानक यह राजनीति के केंद्रीय विषय में शामिल हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सेक्सना, हरियाणा के मुख्यमंत्री साहिब सिंह सैनी से लेकर सभी छोटे-बड़े नेता यमुना के गंदे पानी में अपने-अपने हाथ धोने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में यह तक कह दिया है कि वह पिछले 11 बरस से यमुना का पानी पी रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कार धामी ने पूछ लिया "यमुना सफाई के लिए केंद्र द्वारा आवंटित 8,500 करोड़ रुपये कहां गए?" केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  कहा था कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने का "झूठा" आरोप लगाया है। चुनाव आयोग भी मैदान में उतर आया और भाजपा की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने केजरीवाल को उनके आरोप के संबंध में सबूत सौंपने को कहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी यमुना को लेकर केजरीवाल पर झूठा वादा करने का आरोप लगा चुके हैं।

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क्या कहा था केजरीवाल ने

आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं पूर्व मुख्य अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि हरियाणा की तरफ़ से दिल्ली को जो पानी भेजा जा रहा है, उसमें ज़रूरत से ज़्यादा अमोनिया है जिसकी वजह से पानी ज़हरीला हो जाता है। केजरीवाल ने इसके लिए सीधे तौर पर हरियाणा की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था, "हरियाणा की BJP सरकार यमुना में ज़हर मिला रही है।" चुनाव आयोग को भेजे जवाब में केजरीवाल ने कहा है कि 15 जनवरी को यह 3.2 पीपीएम था और फिर बाद के दिनों में यह 7 पीपीएम तक पहुंच गया था। यह दिल्ली में पानी कमी करने की जानबूझकर साजिश की जा रही थी। जिस पर भाजपा ने सख्त एतराज जताया था और चुनाव आयोग में केजरीवाल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी। केजरीवाल ने 29 जनवरी को अपना जवाब चुनाव आयोग को सौंप दिया था। सीएम आतिशी ने एलजी और चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर जहरीली पानी के लेकर भी चेताया था। जिस पर एली सक्सेना ने प्रतिउत्तर दिया। 

आखिर क्या है अमोनिया? 

अमोनिया एक विषाक्त गैस है। यह नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से मिलकर बनती है। इसका उत्पादन उद्योगों के माध्यम से किया जाता है। अमोनिया का इस्तेमाल उर्वरकों, ठंडा करने के लिए रेफ़्रिजरेशन, प्लास्टिक, विस्फोटक, कपड़ा, कीटनाशक, रंग और अन्य रसायनों के निर्माण में भी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इसकी ज़्यादा मात्रा नुकसानदायक हो सकती है। हालांकि, अमोनिया काफी उपयोगी भी होता है। ये डिस्टलरी और टेनरी (चमड़ा उद्योग) कारख़ाना भी इसके उत्सर्जन के प्रमुख केंद्र है। इसके अलावा गंदा पानी साफ करने के संयंत्र, निर्माण सामग्री यानी सीमेंट और पेंट वगैरह के कारखानों से भी इसका उत्सर्जन होता है। पानी साफ करने के सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) अमोनिया को पानी से निकालने के लिए प्रभावी नहीं है।

अमोनिया का शरीर पर असर

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के अनुसार, पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। एक पीपीएम से अधिक अमोनिया शरीर के लिए हानिकारक है। अमोनिया के कारण त्वचा में जलन, खुजली, चकत्ते और फफोले पड़ सकते हैं। इसके कारण ​मितली, उल्टी और पेट दर्द जैसी पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। शरीर के कई अंगों को इसके कारण गंभीर नुकसान हो सकता है। हवा में अमोनिया की अधिक मात्रा होने से नाक और गले में जलन हो सकती है। लंबे समय तक अमोनिया के संपर्क में रहने से सांस की गंभीर बीमारी होने का खतरा होता है। पानी में इसकी मात्रा ज़्यादा होने पर मुंह, गले और पेट को नुक़सान पहुंचता है। 

जानिए यमुना सफाई के किसने क्या किये दावे

दिल्ली में पिछले दस वर्ष से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने इस बार जनता से 15 बड़े वादे किए हैं और इन्हें केजरीवाल की गारंटी नाम दिया है। इनमें छठवें नंबर पर यमुना को साफ करने की गारंटी दी गई है। केजरीवाल ने 2015 में कहा था कि पांच साल के भीतर यमुना नदी को साफ कर दिया जाएगा. लेकिन नौ साल बाद भी यमुना की हालत नहीं सुधरी है।

कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 26 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया है। इसमें 21वें पन्ने पर वायु, जल और भूमि प्रदूषण से जुड़े वादे किए गए हैं। इनमें यमुना नदी को साफ करने और उसके तटों पर से अतिक्रमण हटाने का वादा किया गया है। कचरे से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए हरित पुलिस स्टेशन बनाने की बात कही है। 

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली चुनावों के लिए 64 पन्नों का संकल्प पत्र जारी किया है। इसमें यमुना नदी को साफ करने, कचरे के पहाड़ों को खत्म करने और 2030 तक औसत एक्यूआई को आधा करने का वादा किया है। यह भी बताया है कि इन वादों को कैसे पूरा किया जाएगा। जैसे, नालों के पानी को यमुना में छोड़ने से पहले ट्रीट करने की बात कही है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा सबसे ज्यादा मुखर है। क्या यह चुनावी मुद्दा बन पाएगा, यह भी देखना दिलचस्प होगा।

 

दिल्ली चुनाव 2025
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