/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/21/864xwX0A42F1jAsOXAVV.jpg)
जम्मू-कश्मीर की बेहद खूबसूरत बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को ठीक एक माह पहले जिस तरह पाकपरस्त आतंकियों ने 26 निहत्थे और निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया, इससे आतंकवाद का घिनौना चेहरा पूरी दुनिया ने देखा, इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया। भारत आतंकवाद, उसके पोषकों और उसके आर्थिक मददगारों के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है और एकमत है कि इस खतरनाक बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंका जाए।
राजीव की हत्या हुई थी 21 मई को
21 मई को भारत में हर साल राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि है, जिनकी हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के आत्मघाती हमलावरों द्वारा की गई थी। इस हमले में राजीव गांधी के साथ-साथ 25 अन्य लोग भी मारे गए थे। इस दुखद घटना के बाद तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने 21 मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि आतंकवाद के विनाशकारी प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और शांति, एकता, और राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा दिया जाए।
आतंकवाद के खतरों से अवगत कराना है उद्देश्य
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों, विशेषकर युवाओं, को आतंकवाद और हिंसा के खतरों से अवगत कराना है। यह दिन आतंकवाद के दुष्प्रभावों, जैसे जान-माल की हानि, सामाजिक अस्थिरता, और आर्थिक नुकसान, के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। स्कूलों, कॉलेजों, और सार्वजनिक संस्थानों में इस दिन वाद-विवाद, संगोष्ठी, रैलियां, और आतंकवाद विरोधी शपथ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आतंकवाद विरोधी शपथ में लोग अहिंसा, सहनशीलता, और मानवता के मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।
आतंकवाद विरोधी दिवस शपथ
आतंकवाद भारत के लिए एक गंभीर और दीर्घकालिक चुनौती रहा है। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक ताने-बाने को भी कमजोर करता है। भारत विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों से जूझ रहा है। Anti-terrorism | anti-terrorism march | 26/11 terror attack | Airstrike on terror camps | Anti-terrorism stance | Anti terrorism statement
1989 में कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता
1989 में कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता, चुनावी धांधली और सामाजिक असंतोष के कारण आंतकवाद का दौर शुरू हुआ। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) जैसे संगठन इसे स्वतंत्रता आंदोलन के रूप में फैलाने लगे। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद से आतंकवाद स्थानीय युवाओं को भारत-विरोधी गतिविधियों में लिप्त करने लगे। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कमजोरी ने इन आंदोलनों को जनसमर्थन दिलाने में सहायता की।
धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक संघर्ष
धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक संघर्ष को एक साथ जोड़ा गया। अलगाववादी नेताओं ने ‘इस्लामिक जिहाद’ का नारा देकर अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठनों से समर्थन प्राप्त किया। मस्जिदों, मदरसों और मीडिया का दुरुपयोग करके उग्रवादी विचारधारा को फैलाया गया। उच्च बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और राजनीतिक अनिश्चितता के कारण युवाओं में कट्टरपंथ की ओर झुकाव बढ़ा। उग्रवादी समूहों ने ‘शहादत’ को आदर्श बनाकर युवाओं को हिंसा की ओर प्रेरित किया। 2010 के बाद स्थानीय स्तर पर मिलिटेंसी और बढ़ी।
पाकिस्तान कर रहा है ‘प्रॉक्सी वॉर’
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में ‘प्रॉक्सी वॉर’ लगातार चला रहा है। सीमा पार से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूह भारत में आतंक फैलाते रहे हैं। ड्रोन के जरिए हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई और सीमा पर घुसपैठ की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। ‘हाइब्रिड टेररिज़्म’ के रूप में नया खतरा उभर रहा है, जिसमें आम नागरिकों को भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किया जाता है।
जातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद: जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववादी समूह सक्रिय हैं, जो क्षेत्रीय स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग करते हैं।
धार्मिक आतंकवाद: 2008 के मुंबई हमले जैसे बड़े हमले धार्मिक उग्रवाद से प्रेरित थे, जिनका उद्देश्य सामाजिक विभाजन और भय पैदा करना था।
वामपंथी उग्रवाद: छत्तीसगढ़, झारखंड, और ओडिशा जैसे राज्यों में माओवादी हिंसा एक बड़ी समस्या है, जो सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से उपजी है।
नारकोटेररिज्म: उत्तर-पश्चिम भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़ा आतंकवाद भी एक उभरता खतरा है।
आतंकवाद का भारत पर प्रभाव
जान-माल की हानि: हजारों निर्दोष लोग आतंकवादी हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। उदाहरण के लिए, 2008 के मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे। आतंकवादी हमले पर्यटन, निवेश, और स्थानीय व्यवसायों को प्रभावित करते हैं। अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले ने पर्यटन उद्योग को गंभीर नुकसान पहुंचाया।आतंकवाद भय और अविश्वास को बढ़ावा देता है, जिससे सामाजिक एकता कमजोर होती है। बच्चों और युवाओं में मानसिक तनाव बढ़ता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को भारी संसाधन खर्च करने पड़ते हैं, जो विकास कार्यों से संसाधन हटाता है।
आतंकवाद प्रभावित देशों में भारत 14 वें नंबर पर
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत आतंकवाद से प्रभावित देशों में 14 वें स्थान पर है, जो दर्शाता है कि स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। फिर भी, जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में छिटपुट हमले चुनौती बने हुए हैं।
आतंकवाद की प्रमुख घटनाएं
- 2001 संसद हमला (13 दिसंबर 2001): नई दिल्ली में भारतीय संसद पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें 9 लोग मारे गए। यह भारत की लोकतांत्रिक संरचना पर सीधा हमला था।
- 2005 दिल्ली बम विस्फोट (29 अक्टूबर 2005): दिल्ली के बाजारों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 62 लोग मारे गए।
- 2006 मुंबई ट्रेन बम विस्फोट (11 जुलाई 2006): मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात बम विस्फोटों में 209 लोग मारे गए।
- 2008 जयपुर बम विस्फोट (13 मई 2008): जयपुर में सिलसिलेवार बम धमाकों में 63 लोग मारे गए।
- 2008 मुंबई हमला (26/11): लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने मुंबई में ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, और अन्य स्थानों पर हमला किया, जिसमें 166 लोग मारे गए। यह भारत के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था।
- 2016 पठानकोट एयरबेस हमला (2 जनवरी 2016): पठानकोट वायुसेना अड्डे पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
- 2019 पुलवामा हमला (14 फरवरी 2019): जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हुए।
- 2025 पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले ने क्षेत्र की शांति को फिर से प्रभावित किया।
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस न केवल राजीव गांधी की स्मृति में मनाया जाता है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह दिन लोगों को एकजुट होकर हिंसा और आतंक के खिलाफ लड़ने का संदेश देता है। भारत आतंकवाद से गंभीर रूप से प्रभावित रहा है, और इसका प्रभाव आर्थिक, सामाजिक, और मनोवैज्ञानिक स्तर पर देखा जा सकता है। उपरोक्त प्रमुख आतंकवादी घटनाएं दर्शाती हैं कि यह समस्या देश के लिए कितनी गंभीर है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्थापना
सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्थापना, कड़े कानून, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सामाजिक जागरूकता, शिक्षा, और एकता की आवश्यकता है। आतंकवाद विरोधी दिवस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।