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Bareilly News: श्री शिरडी साई खाटूश्याम श्यामगंज मंदिर में विराजे बाबा नीम करोली महाराज, फर्रूखाबाद से पहुंचे मुख्य महंत

श्री शिरडी साई खाटूश्याम मंदिर श्यामगंज में बाबा नीम करोली महाराज की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई। मुख्य अतिथि फर्रुखाबाद के महंत त्यागी जी और आचार्य महेश शर्मा ने वैदिक मंत्रों के साथ विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा कराई।

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Akhilesh Sharma
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प्राण प्रतिष्ठा में मंत्रोच्चारण करते महंत त्यागी जी महाराज। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

बरेली, वाईबीएन नेटवर्क। श्यामगंज स्थित श्री शिरडी साई-खाटूश्याम सर्वदेव मंदिर में बुधवार को सुबह आठ बजे से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बाबा नीम करोली की असीम कृपा से यह दिन भक्तों के लिए आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा रहा। मंदिर की भव्य साज-सज्जा की गई और बाबा श्याम का श्रृंगार कोलकाता और बैंगलुरु के फूलों से किया गया।
मंदिर परिसर को फूलों और रोशनी से सजा कर विधि विधान से स्थापना कार्य पूर्ण किया। महंत पंडित सुशील पाठक ने बताया कि मंदिर में भक्तों के स्वागत के लिए विशेष तैयारियां की गईं। पूरे परिसर में भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण से माहौल भक्तिमय रहा।  कार्यक्रम में फर्रुखाबाद स्थित बाबा नीम करोली मंदिर के महंत त्यागी जी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। त्यागी जी ने बाबा के भक्तों को उनके जीवन, शिक्षाओं और करुणा के संदेश के बारे में बताया। मुख्य यजमान विवेक पटेल, सांग्वेद संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य महेश चन्द शर्मा ने वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना कराई।

इस अवसर पर बोलते हुए नीम करौरी से पधारे महाराज ने कहा कि जिस तरह लोक व्यवस्था को हर श्रेणी का अधिकारी और कर्मचारी चलाता है, ठीक इसी तरह परमार्थिक व्यवस्था को ब्रह्म चलाते हैं। अनेकों देवी-देवता उनके नियमों और आदेशों का अक्षरस: पालन करते हैं और कर्म विपाक में बंधी सृष्टि गति करती है। उस व्यवस्था को समझना प्रत्येक विवेकवान व्यक्ति का परमार्थिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि श्री हनुमान जी इस व्यवस्था के प्रमुख पार्षद हैं और उनकी आज्ञा के बिना आप परमार्थिक मंडल में कतयी प्रवेश नहीं कर सकते। होत न आज्ञा बिनु पैसारे। श्री बाबा नीम करौरी महाराज इन्हीं हनुमान जी के लाडले दूत और सिद्ध अवतार हैं। नीम करौरी धाम की महिमा का भी उन्होंने ज्ञान प्रदान किया।

महंत पंडित सुशील पाठक ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य यजमान विवेक पटेल ने सपरिवार पूजा विधि और प्राण प्रतिष्ठा संस्कार का कार्य कराया। प्राण - प्रतिष्ठा में आए श्रद्धालुओं ने दर्शन कर बाबा नीम करोली का आशीर्वाद प्राप्त किया । इस पावन अवसर पर उपस्थित होकर बाबा नीम करोली का आशीर्वाद प्राप्त किया । उन्होंने कहा कि जो भी श्रद्धा और भक्ति से बाबा का नाम लेता है, उसके जीवन से संकट स्वतः दूर हो जाते हैं।  

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बाबा नीम करोली के प्रति बरेली में बढ़ती श्रद्धा  

हाल के वर्षों में बरेली में बाबा नीम करोली के भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आज प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर में भक्ति और ऊर्जा का नया अध्याय शुरू हो गया है। इस अवसर पर बिथरी बिधायक डाक्टर राघवेंद्र शर्मा उमेश कटेरिया पार्षद राजेश अग्रवाल अमरीश कटेरिया संजय आयलनी डाक्टर ए सी त्रिपाठी अनुपम टीबडेबाल आनंद लखटकिया रिटायर बीएसए रमेश चन्द्र वर्मा रघुवर दयाल बड्डे मुकेश पटेल लोकेश विपिन कश्यप सत्यबती पाठक अभिषेक शर्मा विनीत कुमार शर्मा श्रद्धा पाठक माही पाठक भगबानदास इन्द्रेश सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित होकर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया।  भजन मंडली ने बहुत सुंदर भजनों को गाकर श्री हनुमान जी,श्री राम जी तथा नीब करौरी बाबा का गुणगान कर माहौल को भावुक और रस मय कर दिया।

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प्रोफेसर एसी त्रिपाठी ने बताए बाबा नीम करोली के चमत्कार

बरेली कालेज के प्रो  एसी तिरपाठी ने नीम करौरी महाराज को आधुनिक भारत का सर्वश्रेष्ठ गृहस्थ सिद्ध संत और हनुमान जी के अवतार बताते हुए उनकी महिमा का गुणगान किया और दो अनूठे किस्से सुनाए। उन्होंने कहा कि भारत की परमार्थिकतत्वता को संदेह की दृष्टि से देखने वाले पश्चिमी समाज को भी बाबा श्री ने अंतर आंखें प्रदान की। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ख्यातनाम मनोवैज्ञानिक और प्रोफेसर रिचर्ड एलपरेट जिन्होंने भारतीय आध्यात्म को मन की एक दशा और कल्पना समझा और शरीर में जबरदस्त ड्रग्स का परिणाम बताया तो इसी शोध के तहत भारत पहुंचने पर जब बाबा नीम करौरी से मुलाकात की और बाबा का रिचर्ड की जेब में रखे पचीसों एवं एसडी की गोलियां फांक कर बिल्कुल सामान्य रहने की महिमा दिखाई तो मनोवैज्ञानिक का कायाकल्प हो गया और वो बाबा के ऐसे सधन डिवोटी हुए कि पाश्चात्य जगत से हजारों लोग बाबा नीम करौरी की शरण में आने लगे और यह सिलसिला आज भी कैंची धाम में देखा जा सकता है। बाबा ने रिचर्ड एलपरेट को रामदास नाम दिया और राम दास ने बाबा पर कई किताबें लिखीं।
   एक घटना और जिक्र करते हुए प्रो त्रिपाठी ने कहा कि समर्थ सद्गुरु की शक्ति का अंदाजा ‌लगाने की क्षमता सामान्य मनुष्य में नहीं है। अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए बाबा मृत्यु के देवता से भी कैसे लड़ बैठे। इसका रोचक जिक्र प्रो त्रिपाठी ने किया।
 प्रो त्रिपाठी ने महन्त सुशील पाठक साथी प्रो आनंद लखटकिया को कार्यक्रम में बुलावे का धन्यवाद भी दिया।

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