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एसआरएमएस मेडिकल कालेज में क्लीनिकल बायोकैमिस्ट्री और ओंकोलाजी सीएमई

एसआरएमएस मेडिकल कालेज में रविवार 2 फरवरी 2025 को बायोकैमिस्ट्री व ओंकोलाजी विभाग की ओर से सीएमई आयोजित हुई। एसआरएमएस के आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट व शोध संस्थान के सहयोग से आयोजित इस सीएमई में इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च की भूमिका बेंच से बिस्तर तक पर चर्चा की गई।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। एसआरएमएस मेडिकल कालेज में रविवार (2 फरवरी 2025) को बायोकैमिस्ट्री व ओंकोलाजी विभाग की ओर से सीएमई आयोजित हुई। एसआरएमएस के आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट व शोध संस्थान के सहयोग से आयोजित इस सीएमई में क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री में इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च की भूमिका बेंच से बिस्तर तक पर चर्चा की गई। सीएमई में विशेषज्ञों ने कैंसर की रोकथाम के लिए जांच को जरूरी बताया और इसमें बायोकैमिस्ट्री की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा के साथ इससे संबंधित विषयों पर चर्चा हुई।

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बीमारियों बचाव के लिए सही खानपान, जांच और इलाज जरूरी

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सीएमई में कैंसर के इलाज में नेचुरोपैथी की भूमिका, कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियों में फाइटोकैमिकल्स की भूमिका, कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियों में माइक्रोन्यूट्रिएंट की भूमिका, कैंसर व दूसरी गंभीर बीमारियों में डिटाक्सिफिकेशन, सेल्युलर मेटाबोलिज्म और एंटीआक्सिडेंट मैकेनिज्म पर भी व्याख्यान दिए गए। विशेषज्ञों ने बीमारियों के इलाज के साथ ही इसकी रोकथाम पर विशेष जोर दिया और इसमें सही खानपान, सही जांच और सही इलाज को महत्वपूर्ण बताया।

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अच्छे चिकित्सकों और मरीजों के कल्याण की प्रतिमूर्ति बन गया एसआरएमएसः डा.लाल चंद

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क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री में इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च की भूमिका बेंच से बिस्तर तक विषय पर आयोजित सीएमई के उद्घाटन सत्र का आरंभ सरस्वती वंदना, दीप प्रज्वलन और संस्थान गीत के साथ हुआ। उद्घाटन सत्र में नई दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कालेज में बायोकैमिस्ट्री के एचओडी डा.लालचंद ने अपनी बात शुरू करने से पहले श्लोक ‘न त्वहम् कामये राज्यम् न स्वर्गम् न पुनर्भवम्। कामये दु:खतप्तानम् प्राणिनामार्तिनाशनम्।‘ का जिक्र किया। कहा कि इसका अर्थ है कि न तो मुझे राज्य की कामना है और न ही स्वर्ग चाहिए, न ही पुनर्जन्म चाहिए।

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मरीजों के कल्याण की प्रतिमूर्ति बना एसआरएमएस

मुझे श्रीराम मूर्ति स्मारक संस्थान में इसी श्लोक की प्रतिध्वनि होते देख खुशी हो रही है। यह संस्थान अच्छे चिकित्सकों और मरीजों के कल्याण की प्रतिमूर्ति बन गया है। डा.लालचंद्र ने कहा कि प्राणिमात्र के कल्याण, सेवा, समरसता और संस्कार की जिस भावना को लेकर यह स्मारक बढ़ रहा है। उसकी प्रतिमूर्ति यहां के चिकित्सकों के साथ ही पूरे स्टाफ में दिखाई पढ़ती है। उन्नति का रास्ता यहीं से निकलता है और यही इस संस्थान की सफलता का मूलमंत्र है। लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए ऐसा और भी संस्थान बनाए जाने चाहिए।

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चिकित्सकों को भी काफी कुछ सीखने को मिलता है।

एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी ने सीएमई और वर्कशाप को संस्थान की वर्ककल्चर बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इससे संस्थान के चिकित्सकों, विद्यार्थियों के साथ ही आसपास के चिकित्सकों को भी काफी कुछ सीखने को मिलता है। क्वालिटी एजूकेशन के लिए भी यह जरूरी है। देव मूर्ति जी ने क्वालिटी एजूकेशन को प्रोत्साहन देने के लिए एसआरएमएस ट्रस्ट की ओर से अपने सभी संस्थानों के सभी कोर्स में प्रतिभाशाली एक विद्यार्थी का शैक्षिक शुल्क माफ करने और स्कालरिशप का भी जिक्र किया।

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32 हजार से परिवारों की हेल्थ कुंडली हुई तैयार।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति लगाव बनाए रखने के लिए भी जरूरी है। उन्होंने ट्रस्ट द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक योजनाओं की भी जानकारी दी। कहा कि बीमारी के इलाज के साथ साथ उसकी रोकथाम भी जरूरी है। इसके लिए जांच आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने जिले के सभी ब्लाकों में जाकर सभी परिवारों की हेल्थ कुंडली बनाने का फैसला किया है। अब तक 32 हजार से परिवारों की हेल्थ कुंडली तैयार हो चुकी है। हम अगले दो वर्ष में सभी परिवारों की जांच कर लेंगे।

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कैंसर की रोकथाम  समय से स्क्रीनिंग से ही संभव है।

इससे पहले सीएमई के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डा.मनोज गुप्ता ने सभी का स्वागत किया और सीएमई के विषय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ रहे कैंसर की रोकथाम समय से इसकी स्क्रीनिंग से ही संभव है। स्क्रीनिंग बायोकैमिस्ट्री का हिस्सा से इसका रोल महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी को देखते हुए दोनों विभागों के सहयोग से इस सीएमई का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि आज स्वास्थ के प्रति ज्यादातर लोग जागरुक हैं।

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डा.एमएस बुटोला ने कालेज की उपलब्धियों की जानकारी दी

स्वस्थ रहने में कहीं न कहीं दालचीनी, अदरक जैसे तमाम प्राकृतिक उत्पादों  और उचित खानपान की भूमिका पर भी लगातार चर्चा होती रहती है। ऐसे में हेल्थकेयर में नेचुरोपैथी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आज इसी से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। सभी ने बीमारी से बचाव और रोकथाम के लिए सही खानपान, सही जांच और सही इलाज को स्वीकार किया। स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए यही हमारा भी उद्देश्य है। मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला ने कालेज की उपलब्धियों की जानकारी दी और वर्कशाप को सफल बताया। अंत में सीएमई के साइंटिफिक चेयरमैन डा.तौकीर अहमद ने सभी का आभार जताया।

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सभी विभागाध्यक्ष व फैकेल्टी मौजूद रहे।

उद्घाटन सत्र का संचालन अनीता बिष्ट ने किया। सीएमई में एम्स भोपाल के डा.सुखेश मुखर्जी, केजीएमयू की डा.कल्पना सिंह, बीएचयू के डा.कमलेश पलनडुकर, गोरखपुर के प्रभात सिंह, इरा मेडिकल कालेज के डा.तारिक महमूद, डा.माला महतो, डा.सुनील कुमार सिंह, डा.राकेश शर्मा, डा.पूनम अग्रवाल, डा.अजमल कमाल अंसारी, डा.किरन भट, डा. शिखा सक्सेना, डा.आकाश बंसल ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर एसआरएमएस मेडिकल कालेज के डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन आदित्य मूर्ति, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.आरपी सिंह, सीएमई के आर्गनाइजिंग चेयरमैन डा.पियूष अग्रवाल, डा.शरद जौहरी, डा.दीप पंत, डा.स्मिता गुप्ता, डा. शशिबाला आर्य, डा.तनु अग्रवाल, डा.केएम झा, डा.बिंदू गर्ग, डा.मनोज टांगड़ी, डा.विजय कुमार सहित सभी विभागाध्यक्ष व फैकेल्टी मौजूद रहे।

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