लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पैसे के लिए आईएएस अफसर इतने निचले पायदान तक गिर जाएंगे, जिसके बारे में हर किसी का जमीर भी गंवारा नहीं करता है। बरेली में तैनाती के दौरान करप्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश ने जहां गाय, भैंस सहित अन्य जानवर काटे जाते हैं। उस स्लाटर हाउस को भी नहीं बख्शा। एक मांस कारोबारी से अच्छे रिश्ते होने के साथ चर्चा रही कि स्लाटर हाउस में उनकी अच्छी साझेदारी थी। बहरहाल अब करप्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश निलंबित हैं, चोरों की तरह मुंह छिपाये फिर रहे हैं और उत्तर प्रदेश पुलिस उन्हें ढूंढ रही है। वह अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आये हैं।
यहां बता दें कि करप्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश को 31 जुलाई 2012 में बरेली का डीएम बनाया गया था। वह आठ जून 2014 तक जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहे। इस बीच टाउनशिप, जमीन के मामलों से लेकर मांस कारोबारी से उनकी नजदीकी खूब चर्चा में रही। यह भी कहा जाता रहा कि जिस निजी टाउनशिप को बसाने में उन्होंने कानून-कायदे को ताक पर रख दिया। उसमे उनका पैसा लगा हुआ था। इसकी शिकायतें भी हुईं। मगर अपने प्रभाव से उन्होंने दबवा दिया।
निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बरेली में डीएम रहने के दौरान स्टांप के जरिये सरकारी खजाने को लाखों का चूना लगाया। बरेली-लखनऊ हाईवे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर जो प्राइवेट टाउनशिप बसाई गई उसमे कम स्टांप ड्यृटी लगाए जाने की चर्चा जोरों पर है। आज भी अगर यूपी सरकार जांच करे तो उसके खजाने में लाखों रूपये आ सकते हैं। यही नहीं, भू उपयोग परिवर्तन में भी नियमों की अनदेखी कर बिल्डर को राहत दी गई। इसकी जांच बाद में शुरू हुई, जो अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
आरोप तो यह भी लगे निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बरेली में डीएम रहने के दौरान जमकर गदर काटा। एक बड़े कपड़ा कारोबारी की डीएम को अनदेखी रास नहीं आई। इसके बाद डीएम अभिषेक प्रकाश कपड़ा कारोबारी के प्रतिष्ठान दर्जनों विभागों से छापे डलवाये। इससे कपड़ा कारोबारी घबड़ा गया। मगर जब एक अस्पताल जबरिया कमी निकालकर सील करवा दिया। तब शिकायत शासन में हुई। फिर वह थोड़े ठंडे हुए।
निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की बलिया सांसद ने केंद्र सरकार से की थी शिकायत
वर्ष 2021 में बलिया के तत्कालीन सांसद वीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग में निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश खिलाफ शिकायत की थी। अरोप लगाया था कि बरेली में डीएम रहने के दौरान अभिषेक प्रकाश ने बरेली-शाहजहांपुर हाईवे पर करीब 400 बीघा जमीन खरीदी। इसमें पद का लाभ उठाते हुए स्टांप ड्यूटी की चोरी की। इसी जमीन पर यह विवादित निजी टाउनशिप पर बसा दिया। इसकी जांच शुरू हुई और तत्कालीन डीएम से रिपोर्ट भी मांगी गई थी। एसडीएम सदर ने इसकी जांच की और मंडलायुक्त कार्यालय में इसके खिलाफ अपील हुई। यहां से केस सुनवाई के लिए एसडीएम कार्यालय को वापस भेज दिया गया। बाद में राजस्व परिषद में अपील हुई तो जांच लखनऊ के एसडीएम सदर को दे दी गई। उस समय अभिषेक प्रकाश खुद लखनऊ के डीएम थे। यह प्रकरण अभी लंबित है।
निकांत जैन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। व्यवसायी हसनरजा अब्बासी ने वजीरगंज कोतवाली में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का एक और मुकदमा दर्ज कराया है।अब्बासी का आरोप है कि निकांत ने उनकी जमीन को धोखाधड़ी से अपने नाम करवाकर उस पर लोन ले लिया। आरोप है कि 2017 में निकांत ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरोसा भरोसा गांव में एक भूखंड पर कब्जा किया और उस पर एक निजी कंपनी के नाम से सवा करोड़ रुपये का बैंक लोन लिया। जब अब्बासी ने इसका विरोध किया, तो निकांत ने उन्हें धमकाया और मामला रफा-दफा करने के लिए 25 लाख रुपये की मांग की। यहां बता दें कि निकांत जैन निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश का करीबी है। उस पर धोखाधड़ी, जालसाजी, जमीन हड़पने और अवैध रूप से बैंक लोन लेने जैसे आरोप लगे हैं।
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