महाकुंभ 2025
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कुंभ यानि कलश, कुंभ अर्थात घड़ा, कुंभ यानि संस्कृतियों, कलाओं और धार्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम, कुंभ मतलब ऋषि-मुनियों का अनूठा संगम जहां ऐसे संतों, धर्मगुरुओं, महर्षियों के दर्शन होते हैं जिनके दर्शन खुली आंखों से संभव नहीं है। कुंभ सिर्फ आस्था का ही नहीं अपितु सनातन की विभिन्न संस्कृतियों का संगम भी है।
कुंभ का अस्तित्व कोई नई बात नहीं है, कुंभ का संबंध समुद्र मंथन से है। मंथन के दौरान जब अमृत निकला तो उसके लिए दानवों और देवताओं में युद्ध हुआ, जिसमें अमृत की तीन बूंदें धरती पर मौजूद तीन नदियों में गिर गईं, जिसके कारण वहां कुंभ का आयोजन किया जाता है। जिन नदियों में अमृत गिरा, वे हैं: गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा, जिनके तट पर आज भी कुंभ का आयोजन होता है।
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