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MDA: दमदार वीसी ने जब समझी मानसरोवार योजना के बाशिंदों की दिक्कत, भू-माफिया से खाली कराया कम्यूनिटी सेंटर

धोखेबाज बिल्डरों और एमडीए में उन्हें कोई अंतर नहीं लगा। यह तो पहले पता रहता है, प्राइवेट बिल्डर धोखा कर सकता है। मगर यहां तो एमडीए अफसर धोखेबाज हैं, जिन्होंने मानसरोवर योजना के बाशिंदों के लिए बनाये गये कम्यूनिटी सेंटर पर भू-माफिया का कब्जा करवा दिया।

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Anupam Singh
हीदर
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मुरादाबाद, वाईबीएन, संवाददाता। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) की वर्ष 2017 में रही दमदार उपाध्यक्ष (वीसी) कनकलता त्रिपाठी आज भले ही यहां सीट पर नहीं हैं, मगर उन्होंने मानसरोवर योजना के हजारों लोगों की दिक्कतों को समझा और भू-माफिया के कब्जे से कम्यूनिटी सेंटर को छुड़वाया। यही वजह है कि मानसरोवर योजना में रहने वाले हजारों लोग आज भी उस दमदार वीसी को याद करते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि एमडीए में वीसी तो बहुत आये और गये। मगर दमखम वाला ऐसा कोई वीसी नहीं आया जो मानसरोवर योजना में बना कम्यूनिटी सेंटर यहां के बाशिंदों को वापस दिला सके।

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दरअसल प्राधिकरण जब भी किसी योजना का खाका खींचता है तो उसमे पार्क, कम्यूनिटी सेंटर आदि की व्यवस्था करता है। इस तरह की सुविधाओं में जो जमीन जाया होती है। उसकी कीमत वह उन लोगों से वसूलता है, जो लोग योजना में जमीन, भवन आदि की रजिस्ट्री कराते हैं और उसी दर के हिसाब से स्टांप ड्यूटी लगती है। इस तरह की धनराशि मानसरोवर योजना के बाशिंदों से भी स्टांप शुल्के जरिये एमडीए वसूल चुका है। 

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मानसरोवर योजना के बाशिंदो का कम्यूनिटी सेंटर।

 धोखेबाज बिल्डर और एमडीए में नहीं अंतर

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अक्सर सरकार और उसकी निर्माण एजेंसियां विज्ञापन, पंपलेट आदि के जरिये लोगों को आगाह करती हैं, धोखेबाज बिल्डरों की अवैध कालोनियों में प्लाट, मकान आदि ना खरीदें। केवल सरकार की ओर से अधिकृत एजेंसी व प्राधिकरण से जमीन, भवन आदि का सौदा करें, क्योंकि आप लोग प्राइवेट बिल्डरों के चंगुल में फंसकर बर्बाद हो सकते हैं, क्योंकि अक्सर देखा गया। बिल्डर प्लाट बेचते समय तो पार्क आदि दिखाते हैं। मगर कुछ बिल्डर पार्क की जमीनों को भी बाद में बेच देते हैं और आवासीय बाशिंदे ठगा महसूस करते हैं। मानसरोवर योजना में रहने वाले लोगों का कहना है कि धोखेबाज बिल्डरों और एमडीए में उन्हें कोई अंतर नहीं लगा। यह तो पहले पता रहता है, प्राइवेट बिल्डर धोखा कर सकता है। मगर यहां तो प्राइवेट बिल्डरों से ज्यादा धोखेबाज एमडीए अफसर हैं, जिन्होंने मानसरोवर योजना के बाशिंदों के लिए बनाये गये कम्यूनिटी सेंटर पर भू-माफिया का कब्जा करवा दिया।

क्यों होती है दमदार वीसी की चर्चा

2017 में एमडीए की तत्कालीन उपाध्यक्ष कनक लता त्रिपाठी ने मानसरोवर योजना में बना कम्यूनिटी सेंटर जो वर्तमान में एक होटल में तब्दील हो चुका है। उसके लीज निरस्त कर दिया था और 15 दिन के भीतर एमडीए को हैंडओवर करने का आदेश दिया था। इस पर मानसरोवर के बाशिंदों ने खुशी जाहिर की थी। मगर कुछ क्रप्ट अधिकारियों की वजह से कम्यूनिटी सेंटर भू-माफिया के कब्जे से आज तक खाली नहीं हो पाया।

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एमडीए वीसी अनुभव सिंह।

 क्या बोले नवागत वीसी

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के नवागत वीसी आईएएस अनुभव सिंह ने यंग भारत से बातचीत में बताया कि एमडीए की जो भी संपत्तिया लीज अथवा किराये पर हैं। उनका ब्यौरा वह एकत्र करवा रहे हैं। एक-दो हफ्ते में रिपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगी। उसके बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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