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मानसरोवर आवसीय योजना का प्रवेश द्वार।
मुरादाबाद, वाईबीएन, संवाददाता।आवासीय कॉलोनी मानसरोवर के जिन बाशिंदों ने अपने बच्चों के शादी-विवाह, मुंडन संस्कार आदि कार्यक्रम करने जैसी सुविधाओं को देखकर यहां पर (मानसरोवर योजना में) महंगे दरों पर मकान और जमीन खरीदे। वह लोग आज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्हें अपने यहां होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए निजी होटलों और बैंक्विट हॉल में कार्यक्रम करने को विवश होना पड़ रहा है। इसकी वजह कोई और नहीं, बल्कि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) के करप्ट अधिकारी गण है।
दरअसल मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने वर्ष 1995 में दिल्ली रोड पर एक आवासीय कॉलोनी का खाका खींचा। जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र में तालाब काफी थे। इसलिए इस आवासीय योजना का नाम मानसरोवर रखा गया। उस वक्त बनाए गए मानचित्र के अनुसार इसमें वोट हाउस, स्कूल, कम्युनिटी सेंटर आदि बनाने का प्रावधान किया गया, क्योंकि उस वक्त मानसरोवर योजना डवलप हो रही थी और पुराने शहर मुरादाबाद के लोगों को यह योजना दूर लग रही थी। इसलिए एमडीए ने लोगों को आधुनिक सुविधाओं का हवाला दिया। लोग आकर बसना शुरू हो गये। 30 वर्षों में मानसरोवर योजना में करीब साढ़े छह सौ परिवार उन सुविधाओं चलते बस गये, जो उन्हें बताई गईं थी।
भटकना पड़ता है एक से दूसरे बैंक्विट हॉल
कम्यूनिटी सेंटर जैसी जिन सुविधाओं को दृष्टिगत लोगों ने एमडीए की मानसरोवर योजना को आबाद किया। अब वह सुविधा उनसे छीन ली गई। मानसरोवर में रहने वाले लोगों के यहां जब किसी तरह का मांगलिक आयोजन होता है तो उसे अंजाम देने के लिए यहां के लोगों को एक से दूसरे बैंक्विट हाल और होटल में भटकना पड़ता है। उन्हें अगर शादी वाली तारीख पर एक बैंकट हाल या होटल नहीं मिल पाया है, उन्हें मजबूरन दूसरे होटल में जाना पड़ता है और उन्हें मुंह मांगी कीमत चुकानी पड़ती है। जबकि उनकी कालोनी मानसरोवर योजना के अंदर ही कम्युनिटी सेंटर अर्थात सामुदायिक भवन मौजूद है। जहां पर एक साथ तीन-तीन शादियां हो जाती हैं। बावजूद इसके मानसरोवर कॉलोनी के बाशिंदे मांगलिक आयोजनों के लिए ठोकर खाने को विवश हैं।
जाने क्या बोले लोग
कम्युनिटी सेंटर के बारे में जब मुरादाबाद मानसरोवर योजना में रहने वाले लोगों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कम्युनिटी सेंटर के बारे में सुना तो बहुत है। मगर अभी हम लोगों का जो कम्युनिटी सेंटर है। उसे पर बहुत बड़े भू-माफिया का अधिकृत और अनाधिकृत तौर पर कब्जा हो चुका है। तभी अंदर जाकर देखेंग क्या-क्या सुविधाएं हैं।
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कब्जा हटे तो बने बात
मानसरोवर कम्युनिटी सेंटर से भू-माफिया का अगर कब्जा हट जाए तो कॉलोनी के बाशिंदो को बहुत राहत मिलेगी, क्योंकि इस कॉलोनी में भी मांगलिक के साथ शोक जैसे आयोजन भी समय-समय पर होते रहते हैं।
बिगड़ गया मानसरोवर योजना का स्वरूप
इसे मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मनमर्जी कहेंगे या कुछ और कि मानसरोवर योजना अपने मूल अस्तित्व को खो चुकी है,क्योंकि यह भू-माफियाओं और एमडीए के अफसरों के गठजोड़ का शिकार हो गई है। इसके चलते यहां के लोगों हर छोटी-छोटी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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