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नवीन मंडी मझोला: प्रस्ताव में Moradabad के अफसरों ने दफन किया सरकार का आदेश

लोगों का कहना है कि यह कहां का नियम है, जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। उन्हें पहले बसाया जाए। उसके बाद ही जमीन को कब्जामुक्त कराया जाए। मंडी सभापति और मंडी सचिव ने प्रस्ताव के नाम पर एक प्ले कार्ड खेला है, जो प्ले कार्ड सफल हुआ है।  

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Anupam Singh
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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता। मंडी सभापति ने उत्तर प्रदेश सरकार के उसे आदेश को प्रस्ताव की फाइल में दफन कर दिया, जिस आदेश में शासन ने कहा है कि नवीन मंडी मझोला में जितने लोग जमीनों पर कब्जा करके बैठे हैं। उनको हटा करके जमीन खाली कराई जाएं और इसकी जानकारी शासन को अवगत करवाया जाए। 

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दरअसल नवीन मंडी मझोला ने साढ़े सात सौ लाइसेंस कारोबार के लिए लोगों को बांट रखे हैं। मगर मंडी परिसर में केवल 243 दुकान हैं। इसलिए बाकी लोगों को दुकान नहीं मिल सकी। मगर मंडी ने कारोबार करने के लिए लाइसेंस दे रखा है। इसलिए इन लोगों ने नवीन मंडी परिसर मझोला के भीतर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया और स्थायी व अस्थायी निर्माण कर लिया। इस तरह से एक-एक लाइसेंस धारी ने 300-300 गज जमीन पर कब्जा कर रखा है, जिसकी कीमत वर्तमान में कई सौ करोड़ बताई जाती है। इसको लेकर पिछले दिनों यंग भारत ने एक अभियान चलाया। हालांकि इस अभियान का मुरादाबाद के अधिकारियों पर कोई असर तो नहीं हुआ। मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुध जरूर ली। सरकार ने मंडी निदेशक को आदेश दिया कि नवीन मंडी मझोला की सरकारी जमीनों पर से लाइसेंस धारी कब्जेदारों बेदखल किया जाए। इस आदेश के अनुपालन में मंडी सभापति ने पिछले दिनों बहुत जोर-शोर के साथ कुछ जमीनों को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराया। मगर इस बीच शहर के विधायक रितेश गुप्ता ने अपने समर्थकों के साथ इस कार्रवाई का विरोध कर दिया। नतीजा यह हुआ कि मंडी सभापति और मंडी सचिव दोनों दबाव में आ गए।

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फाइल फोटो।

 सरकार को किया गुमराह 

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नवीन मंडी मझोला में दुकान बनाने का जो प्रस्ताव 3 साल पहले गया था उसी प्रस्ताव को एक बार फिर मंडी सभापति और मंडी सचिव की ओर से निदेशालय को भेज दिया और उसके साथ ही यह भी अवगत कराया कि लोगों की मांग है पहले उन्हें दुकान देकर बसाया जाए। तब वह जमीन खाली करेंगे।

अतिक्रमणकारियों का हो आवंटन

लोगों का कहना है कि यह कहां का नियम है, जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। उन्हें पहले बसाया जाए। उसके बाद ही जमीन को कब्जामुक्त कराया जाए। मंडी सभापति और मंडी सचिव ने प्रस्ताव के नाम पर एक प्ले कार्ड खेला है, जो प्ले कार्ड सफल हुआ है।   

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यह है आदेश।

 

तो अफसरों की मंशा है सरकारी जमीन पर लोग काबिज रहे 

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नवीन मंडी मझोला की कई सौ करोड़ की जमीन पर जिन लोगों ने कब्जा कर रखा है। वह तब तक काबिज रहे जब तक उनके लिए दुकान बनकर तैयार नहीं हो जाती है। भले ही इस प्रक्रिया में कई दशक लगें। मंडी सभापति और मंडी सचिव की कार्यप्रणाली से यही उनकी मनसा जग जाहिर हो रही है। 

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मंडी सभापति किंशुक श्रीवास्तव।

 क्या बोली मंडी सभापति 

मंडी सभापति किंशुक श्रीवास्तव ने बताया कि दुकान बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। अभी निदेशालय ने कुछ कहा नहीं है।

 

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