मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
आगामी 30 मार्च से माता रानी के पर्व नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। फलस्वरुप मुरादाबाद के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी । इस परिप्रेक्ष्य में मुरादाबाद के मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व है । मुरादाबाद शहर में कई प्राचीन स्थल है। लेकिन धार्मिक स्थल में रामगंगा पर स्थित काली माता के मंदिर की बात ही कुछ खास है। इस मंदिर का रहस्य हर कोई जानना चाहता है। हालाँकि आपने यहाँ की मान्यता के बारे में बहुत कुछ सुना होगा यहां जिसने मुराद मांगी वह खाली हाथ नहीं जाता है। यह सिद्ध पीठ है आमतौर पर भक्तों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रों में यहाँ विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। लोग बहुत दूर-दूर से यहां दर्शन के लिये आते है।
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काली माता मंदिर का रहस्य
काली माता मंदिर की स्थापना ब्रिटिश शासन के समय में हुई। ये मंदिर 400 वर्ष पूर्व से बना हुआ है। कहा जाता है, कि यहां देवी स्वयं प्रकट हुई थी। मंदिर का टीला 20 से 25 फिट ऊंचाई पर बना हुआ ब्रिटिश शासन से यहां मठ की सेवा महंत लोग करते है ब्रिटिश प्रशासन मठ को हटाने के लिए आए दिन परेशान करते थे। एक बार जब ब्रिटिश शासन के अधिकारी टीले को हटाने पहुंचे तो महंत जी टीले की मिट्ठी उठाते हुए कहा कि ये मिट्ठी जहां तक जाएगी वहाँ तक मठ की जमीन होगी और मिट्ठी मिश्री बन जाएगी मिट्ठी जहां तक गई मिश्री बन गई । इस चमत्कार के आगे ब्रिटिश अधिकारियों का सर झुक गया माता का करिश्मा देख अधिकारियों ने मठ की जमीन छोड़ दी इसीलिए काली माता मंदिर को मिश्री वाला टीला भी कहा जाता है।
जाने माता की महिमा, संतोषी माता मंदिर का कौन सा राज काली मंदिर से जुड़ा है
काली माता मंदिर के पास गुरुद्वारा है। उसके बराबर मे संतोषी माता का मंदिर है। कहा जाता है कि यहां की मान्यता बहुत है जो भी श्रद्धा से पूजा करता है। यहां आकर जो भी माँगता है, माता रानी उसकी सारी मनोकामना पूरी करती है। इस मंदिर में नवग्रह और शनिदेव का मंदिर, शिव जी और नंदी महाराज विराजमान है। इसी के साथ-साथ यहां और भी मंदिर है। जिनकी अपनी-अपनी पहचान है।
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ऐसे पहुंचे मंदिर
रेलवे व बस स्टेशन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर के लिए निजी साधन के अलावा ई-रिक्शा आटो में भी आसानी से मिल जाता है। मंदिर के महंत सज्जन गिरी कहते है कि माँ के दरबार में भक्तों की श्रद्धा है। और माता रानी उनकी मुराद पूरी करती है मन्नत पूरी होने पर लोग यहां भंडारा कराते है यहां पशु बलि नहीं दी जाती है। माता को प्रसाद के रूप में श्रृंगार,नारियल चढ़ाया जाता है । लोग भारी संख्या में गाजियाबाद दिल्ली,लखनऊ और उत्तराखंड से माँ के दर्शन के लिए आते है। नवरात्रि मे मंदिर की सजावट के लिए कारीगर दिल्ली से आते है। परिसर की साज- सज्जा फूलों जिस में कई तरह के फूलों का प्रयोग किया जाता है साथ कई तरह के फल से भी मंदिर को सजाया जाता है।
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