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टांडा में दुकानों पर अतिक्रमण के नोटिस चस्पा करती टीम। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। टांडा में बाजपुर-मुरादाबाद मुख्य मार्ग चौड़ीकरण की वजह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेज हो गई है। अभी तक तो लाल निशान लगाने के लिए भेदभाव के आरोप लग रहे थे। लेकिन अब नोटिस जारी होते ही खलबली मच गई। लोगों ने हंगामा किया और नोटिस लेने से मना कर दिया तो नोटिस दुकानों पर चस्पा कर दिए गए। अफरा तफरी की स्थिति बनी रही।
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टांडा में मुख्य मार्ग से अतिक्रमण हटाया जाना है। करीब एक हजार से 1500 तक दुकानें टूटने के कगार पर हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी सख्ती के साथ कार्रवाई कर रहे हैं। लाल निशान लगाने में भेदभाव के आरोप हैं। नोटिस जारी होने के बाद कहीं कम तो कहीं अधिक दुकानों को तोड़ने का आरोप है। नोटिस जारी होने के एक सप्ताह के भीतर अतिक्रमण में आ रहीं दुकानों और मकान को स्वयं तोड़ने के लिए कहा गया है। अन्यथा लोक निर्माण विभाग इस अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाएगा।
उधर, बादली क्षेत्र के दुकानदारों ने प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पहले जहां 15.70 मीटर का निशान लगाया गया था, वहां नोटिस में मात्र 5 मीटर दिखाया गया है। विश्व हिंदू परिषद के नेता राजकुमार सक्सेना ने बताया कि कुछ जगहों पर 20 मीटर के निशान को नोटिस में घटाकर 2 मीटर कर दिया गया है। उन्होंने प्रशासनिक कर्मचारियों पर रिश्वत लेकर काम करने का आरोप लगाया है।
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नोटिस लेने से किया इनकार तो दुकानों पर किए चस्पा
दुकानदारों ने नोटिस लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि, उपजिलाधिकारी टांडा ने दुकानदारों द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताया है। टांडा में पीडब्ल्यूडी की भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर विवाद बनता जा रहा है। पीडब्ल्यूडी द्वारा तीन दिन पहले चिह्नांकन और सीमांकन कार्य पूरा किया गया था। मंगलवार को चिह्नित दुकानों और भवनों पर नोटिस चस्पा करने का काम शुरू हुआ।
सात दिन में अतिक्रमण न हटाया तो चलेगा बुलडोजर
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प्रशासन ने सभी अतिक्रमणकारियों को 7 दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। समय सीमा में अतिक्रमण नहीं हटाने पर प्रशासन जेसीबी से कार्रवाई करेगा। इस कार्रवाई में धार्मिक स्थल, आवासीय भवन और प्रमुख व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी शामिल हैं।
कोई राहत मिलने की उम्मीद कम
लोगों का कहना है कि एक प्रतिनिधि मंडल लखनऊ गया है। एक दल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से मिलने गया है। लेकिन कहीं से कोई राहत की उम्मीद नहीं है। मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी कुछ नेता जुगाड़ लगा रहे हैं। आखिर किस आधार पर अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोका जाएगा, यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है।
नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग, प्रशासन देखता रहा सड़क पर खड़ी हो गईं आलीशान इमारतें
टांडा में अतिक्रमण कैसे हुआ कोई एक दिन का वाकया नहीं है। पचास साल में कैसी स्थिति हो गई, सबके सामने है। जब सड़कों पर धड़ाधड़ दुकानें बनीं, मकान खड़े हुए तो यह विभाग कहां गए। किसी ने नहीं रोका, न नोटिस दिया। नगर पालिका ने नक्शा पास कर दिए। नाला भी बन गए। इमारतें खड़ी होती रहीं, अब एक बार में सबको ध्वस्त करने की तैयारी है। कोई भेदभाव का आरोप लगा रहा है तो कोई इस कार्रवाई को अमानवीय बता रहा है।