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मोरी गेट पर एक गोदाम से पकड़ी गईं दवाएं। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। जिले में बिना लाइसेंस की दवाओं और नशीली दवाओं का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर चल रहा है। औषधि प्रशासन विभाग ने जिस तरह से कार्रवाई करके 17 लाख रुपये से अधिक की दवाएं पकड़ी हैं, यह इस बात का संकेत है। अगर दवाओं के इस कारोबार पर पैनी नजर से कार्रवाई हो तो बड़े खुलासे हो सकते हैं।
जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह के निर्देशन में प्राप्त सूचना के आधार पर औषधि निरीक्षक मुकेश कुमार ने पुलिस बल के साथ शहर कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित मोरी गेट के एक गोदाम में छापेमारी की। इस दौरान अवैध कन्डेक्टस टीआर 100 मिली की कफ सीरप की 11893 बोतल बरामद की, जिसकी कीमत लगभग 17,72,057 रुपये है।
- जिलाधिकारी के निर्देश पर अवैध औषधियों की बरामदगी पर अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज करायी गयी एफआईआर
छापेमारी में एनडीपीएस ( नार्कोटिक ड्रग्स एक्ट) अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत पुलिस बल द्वारा थाना कोतवाली, मोरी गेट से 02 अभियुक्तों अब्दुल कादिर पुत्र मोहम्मद तालिब निवासी करीमपुर गरबी, रामपुर एवं तहसील टांडा के एहसान नूरी पुत्र इरफान अली निवासी परसुपुरा थाना सहित अनीश पुत्र अफसर अली निवासी बाजा वाला थाना अजीम नगर वर्तमान पता मोहल्ला नूरी गेट थाना कोतवाली, रामपुर (मौके से फरार हो गया) के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गई है। औषधि निरीक्षक ने बताया कि बरामद की गयी समस्त औषधियों को सीज़ कर दिया गया है और नियमानुसार 01 नमूना जांच के लिए लिया गया है। जिसकी परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने पर और विवेचना के उपरान्त सक्षम न्यायालय में वाद दाखिल किया जाएगा।
रामपुर में बिना लाइसेंस दवाएं आगरा से लाकर बेची जाती हैं
रामपुर में धमौरा के पास एक खंडहर में दवाओं का जखीरा बरामद हुआ था। पुलिस ने मुरादाबाद निवासी एक दवा कारोबारी और उसके पुत्र को गिरफ्तार करके भेजा था। पुलिस ने तब खुलासा किया था कि रोडवेज की बसों से यह दवाएं परिचालकों के माध्यम से मंगाई जाती हैं। लेकिन कोई चेकिंग से बचने के लिए भी परिचालकों द्वारा जिम्मेदारी ली जाती है। इसके लिए परिचालक मुंह मांगे रुपये वसूलते हैं। लेकिन तब हुई कार्रवाई जहां के जहां रुक कर रह गई थी। रोशन बाग के इंडस्ट्रियल एरिया में एक कारोबारी के यहां भी छापा मारकर नशीली दवाओं का कारोबार पकड़ा गया था। इस तरह रामपुर में दवाओं का अवैध कारोबार वैध कारोबार के समतुल्य चलता आ रहा है। इस पर प्रभावी अंकुश की जरूरत है। अगर औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों पर ही जांच कराई जाए तो हकीकत सामने आ सकती है।